Navagraha Ketu - केतु को ज्योतिष में एक अनिष्टकर एवं अशुभ ग्रह माना गया है| ज्योतिष में केतु वास्तव में ग्रह न होकर छाया ग्रह या अप्रकाशित ग्रह है| हर कुंडली में राहू और केतु की उपस्थिति रहती है क्यूंकि ज्योतिष के नवग्रह में ये दो छाया ग्रह हैं तो हर कुंडली में इनकी उपस्थिति अनिवार्य है| राहू और केतु को छाया ग्रह इसलिए कहा गया है की वास्तव में ये खगोलीय पिंड रूप में न होकर चंद्रमा के दो गणितीय बिंदु हैं| चन्द्रमा जब अपनी धुरी पर पृथ्वी की … [Read more...]
Navagraha Rahu – आज के युग में अशुभ ग्रह राहू क्यों अत्यंत महत्वपूर्ण है?
Navagraha Rahu - राहू को ज्योतिष में एक अनिष्टकारी और अशुभ ग्रह माना गया है| शास्त्रों में राहू को "शनिवत राहू" कहा गया है जिसका मतलब है राहू शनि की तरह असर करने वाला ग्रह है और शनि खुद एक अनिष्टकर ग्रह माना गया है| राहू जिस भाव में स्थित होता है या जिस ग्रह के साथ युत होता है उसकी शक्ति क्षीण कर देता है| राहू को ज्योतिष में छाया ग्रह या अप्रकाशित ग्रह कहा गया है जिनका अपना कोई पिंड स्वरुप नहीं है जैसे बाकी समस्त ग्रहों का है| वास्तव में राहू … [Read more...]
Navagraha Saturn – ज्योतिष में सबसे रहस्यमय ग्रह शनि सबसे उदार कैसे ?
Navagraha Saturn - शनि ग्रह कालपुरुष कुंडली या नैसर्गिक कुंडली के दशम एवं एकादश भाव के स्वामी हैं| शनि को ज्योतिष में कर्माधिपति के नाम से भी जाना जाता है| दशम भाव कर्म का भाव है, जीवन में हम कर्म दशम भाव से ही करते हैं, और एकादश भाव लाभ का या यूँ कहें कर्मों के फल का भाव| शनि क्रूर ग्रहों में क्रूरतम ग्रह माने गए है| ये दुःख, संताप के कारक हैं जो पूरी क्रूरता के साथ कस कर काम कराने वाले कठिन Taskmaster हैं| तो दोस्तों, ये बात कुछ जमती नहीं की … [Read more...]
Navagraha Venus – आधुनिक जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भावों के स्वामी शुक्र
Navagraha Venus - शुक्र कालपुरुष कुडंली या नैसर्गिक कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण दो भावों का स्वामित्व रखते हैं| ये भाव हैं धन एवं कुटुंब भाव तथा विवाह एवं दाम्पत्य भाव - यानी द्वितीय भाव तथा सप्तम भाव| सांसारिक जीवन के यही दो भाव सबसे महत्वपूर्ण हैं| पुरुष जातक में शुक्र स्त्री के कारक हैं एवं नैसर्गिक रूप में (universally) विवाह के कारक है| शुक्र ग्रह कुदरती गुणकारी एवं लाभकारी शुभ ग्रह माने जाते हैं| दाम्पत्य जीवन में ख़ुशी, विलासिता एवं sex से … [Read more...]
Navagraha Jupiter – धर्म, ज्ञान एवं अध्यात्म का कारक ब्रहस्पति
Navagraha Jupiter - ब्रहस्पति को नवग्रहों में देवगुरु का स्थान प्राप्त है| ज्योतिष में कहा जाता है की लग्न में स्थित सशक्त ब्रहस्पति सवा लाख दोष दूर कर देता है| कुंडली में एक सशक्त ब्रहस्पति को भगवान् का तोहफा समझा जाता है| ऐसे जातक पूर्व पुण्य लेकर इस धरती में अपने कर्मों के अच्छे फल भोगने के लिए जन्म लेते हैं| लग्न का ब्रहस्पति (Navagraha Jupiter) कुंडली के तीन बड़े महत्वपूर्ण भावों को - पंचम, सप्तम एवं नवम - दृष्टि देकर उन भावों को शक्ति … [Read more...]
Navagraha Budha – बुद्धि और वाकशक्ति के कारक बुध
Navagraha Budha - संस्कृत में Intellect को बुद्धि कहा जाता है और ज्योतिष में Mercury को बुध कहा जाता है जो बुद्धि का ही अपभ्रंश रूप है| तो इस तरह बुध हमारी बुद्धि, सोच, ज्ञान और वाणी आदि का कारक है| बुध एक बहुत ही अनुकूलनशील ग्रह है जो जिस परिस्थिति में हो उसी में ढल जाता है| शुभ ग्रहों के प्रभाव में ये शुभ और अशुभ ग्रहों के प्रभाव में ये अशुभ बन जाता है| बुध सूर्य से निकटतम ग्रह है इसीलिए ये एक अशांत, बहुत जल्दी बदलने वाला तथा चंचल ग्रह है जो … [Read more...]
Navagraha Mars – नवग्रहों में सेनाधिपति और पराक्रम के ग्रह मंगल
Navagraha Mars - मंगल पौरुष एवं पराक्रम के ग्रह हैं जिन्हें नवग्रहों में प्रधान सेनापति से जाना जाता है| ज्योतिष में मंगल को एक अनिष्टकर ग्रह माना गया है| मगर आधुनिक समाज के परिपेक्ष में मंगल के अनिष्ट का जो तत्व है वो व्यवसाय में और आज के जीवन में जरूरी भी हो जाता है| प्रकृति से मंगल योद्धा हैं, जिनका साहस, हिम्मत, दिलेरी, जोश, सब्र, शारीरिक शक्ति, हिंसा, forcefulness, नेतृत्व एवं आत्मविश्वास आदि का कारकत्व है| और शायद ये mention करने की जरूरत … [Read more...]
Navagraha Moon – चन्द्र को ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है?
Navagraha Moon - वैदिक ज्योतिष में चन्द्र को सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है| चन्द्र पृथ्वी के निकटतम और सबसे तीव्र गतिमान ग्रह है जो सूर्य से प्रकाशित होता है| चंद्रमा हमारे मस्तिष्क और जटिल मनोवैज्ञानिक आतंरिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है| हमारी मनःस्थिति जीवन में बड़ी महत्वपूर्ण होती है क्यूंकि किस भी परिस्थिति के हर emotional response के लिए हमारी मनःस्थिति ही उत्तरदायी है| चन्द्रमा अपनी शक्ति धरती के निकटतम होने से प्राप्त करता … [Read more...]
Navagraha Sun – सूर्य को आत्मकारक क्यों माना गया है?
Navagraha Sun - समस्त सौरमंडल में सूर्य सबसे महत्वपूर्ण ग्रह हैं| सूर्य प्रकाश, उर्जा और ताप के स्तोत्र हैं जिनके बिना धरती पर कोई जीवन संभव नहीं| वेदों के अनुसार सूर्य सौमंडल के समस्त घटित घटनाओं के मूल जनक हैं| सूर्य को "आदित्य" कहा जाता है जिसका मतलब है सबसे पहले जन्म लेने वाला| सूर्य को शास्त्रों में "भूतस्य जातः" भी कहा गया है जिसका मतलब है पंचमहाभूतों के सृष्टिकर्ता| पंचमहाभूत हैं -पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश - जिससे हर वस्तु को आकार … [Read more...]
Navagrah – नवग्रहों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव है ?
Navagrah - हिन्दू ज्योतिष के अनुसार नवग्रह या सौरमंडल के 9 ग्रह धरती पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं|खगोल विज्ञान या Astronomy के द्वारा ये तो हम जानते ही हैं की तकरीबन तीन लाख अस्सी हजार किलोमीटर दूरी पर स्थित चंद्रमा हमारी पृथ्वी के समुद्र के जल को आकर्षित कर ज्वार भाटे का कारण बनता है| तो क्या ये चंद्रमा हम पर - मानव जीवन पर (जो 70% जल है!) कोई असर नहीं डालेगा? ये भी fact है की 149.6 करोड़ किलोमीटर दूरी पर स्थित सूर्य हमारी पृथ्वी पर जीवन और … [Read more...]