Navagraha Mars – मंगल पौरुष एवं पराक्रम के ग्रह हैं जिन्हें नवग्रहों में प्रधान सेनापति से जाना जाता है| ज्योतिष में मंगल को एक अनिष्टकर ग्रह माना गया है|
मगर आधुनिक समाज के परिपेक्ष में मंगल के अनिष्ट का जो तत्व है वो व्यवसाय में और आज के जीवन में जरूरी भी हो जाता है| प्रकृति से मंगल योद्धा हैं, जिनका साहस, हिम्मत, दिलेरी, जोश, सब्र, शारीरिक शक्ति, हिंसा, forcefulness, नेतृत्व एवं आत्मविश्वास आदि का कारकत्व है| और शायद ये mention करने की जरूरत नहीं है की आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में survival के लिए ये चीजें कितनी आवश्यक हैं!!
जब हम ग्रहों की बात करते हैं तो हर ग्रह का
- कारकत्व है (पिता, माता, भात्र आदि)
- लिंग है (स्त्री, पुरुष, नपुंसक)
- प्रकृति है (राजसिक, सात्विक, तामसिक)
- स्वभाव है (उग्र, सौम्य आदि)
- जाती है (ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि)
- दिशा है (पूर्व, पश्चिम आदि)
- मानव शरीर के विभिन्न अंगों का स्वामित्व है
मंगल (Navagraha Mars) किन चीज़ों का कारक है?
- ताकत, शक्ति, हिम्मत
- छोटे भाई
- अचल सम्पति
- भूमि
- बीमारी
- रक्त
- शल्यक्रिया
- शत्रु
- विज्ञान
- तर्क
- अग्नि
- डिफेंस
- सौतेली माँ
- क्रोध, घृणा, हिंसा
- पाशविक प्रवृत्ति
- घाव, जलना, आघात
कोई भी व्यवसाय जिसमे किसी भी तरह का औजार, instrument या हथियारों का प्रयोग हो जैसे की पुलिस, सेना, या surgeon जैसा profession सब मंगल (Navagraha Mars) के अधीन आता है|
कमांडर्स, Generals, सैनिक या पुलिसकर्मी आदि इन सब की कुंडली में मंगल मजबूत स्थिति में होगा या कर्म (Profession) के भाव दशम भाव से सम्बन्ध रखता होगा| आधुनिक युग में मंगल Sports एवं खिलाड़ियों का भी प्रतिनिधित्व करता है|
पीड़ित या कमजोर मंगल क्या अशुभ फल देता है?
पीड़ित या कमजोर मंगल (Navagraha Mars) से हमारा क्या तात्पर्य है? ग्रह पीड़ित या कमजोर होते हैं जब वो नीच के हो कर कुंडली में स्थित हों, या दुश्स्थान में बैठे हों या दुश्स्थान का स्वामित्व हो|
ग्रहों के पीड़ित होने की दूसरी अवस्थाएं हैं – सूर्य की निकटतम डिग्री में होकर अस्त हों, ग्रहण की स्थिति में हों, planetary war में हारे हुए हों या पाप ग्रहों से युत या दृष्ट हों| ऐसा मंगल (Navagraha Mars) जीवन में काफी कष्टों का कारण बन सकता है – ये जातक को हिंसक, क्रूर, आक्रामक, अशिष्ट एवं असभ्य बना सकता है| पीड़ित मंगल जातक को महत्वाकांक्षाहीन और प्रेरणाहीन बना कर जीवन में असफलता ही असफलता देता है|
पीड़ित या कमजोर मंगल किन आपदाओं का कारण बनता है?
- रक्त व पित्त के विकार
- घाव, जख्म
- बिजली के झटके
- बन्दूक की गोली लगना
- चाक़ू के जख्म
- अग्नि से जलना
- Infection
- Eczema (खाज-खुजली, rashes)
- चेचक, Plague, TB जैसे रोग
- बवासीर, Ulcer
- शल्य क्रिया (ऑपरेशन)
अनुकूल मंगल उर्जा, दृढ़ता और एक्शन लेने की क्षमता को दिखाता है| यह ग्रह न्याय प्रबंध और व्यवस्था प्रिय है| अच्छी स्थिति में बैठा मंगल (Navagraha Mars) उर्जा, उत्साह, दृढ संकल्प और उद्देश्य के प्रति strong sense, अच्छी प्रशासनिक योग्यता और स्वछन्द मिजाज देता है|
मंगल हमें परिस्थितियों को विश्लेषण करने की क्षमता भी देता है| मगर साथ ही ये जातक को क्रोधी, विवादप्रिय, हथियार एवं गोला बारूद प्रिय आदि भी बनाता है|
शरीर में ये शारीरिक ताकत, उर्जा और strength के रूप में अभिव्यक्तित होता है| सामाजिक परिवेश में मंगल उन रिश्तों को represent करते हैं जो हमारी strength का, हमारी सहनशक्ति का परीक्षण करते हैं जैसे हमारे प्रतिद्वंदी या शत्रु| मंगल की अवस्था हमारी कुंडली में हमारे एनर्जी लेवल और महत्वाकांक्षा को दर्शाती है|
ग्रहों में सूर्य चन्द्र और ब्रहस्पति इनके मित्र ग्रह हैं, बुध और शनि शत्रु हैं, और शुक्र या कुछ cases में शनि के साथ ये सम भाव रखते हैं| ये कालपुरुष राशिचक्र के लग्नेश मेष (मेष की अधिक जानकारी यहाँ है) और अष्टमेश वृश्चिक (वृश्चिक की अधिक जानकारी यहाँ है) के स्वामी हैं|
मेष राशि 0-12 डिग्री तक मंगल की मूलत्रिकोण राशि है| मूलत्रिकोण राशी में ग्रह बहुत अधिक शुभ हो जाते हैं इसीलिए मूलत्रिकोण में ग्रह को देखने का महत्व है|
मंगल शनि की राशी मकर (शनि की राशी मकर के बारे में यहाँ पढ़ें) में 0-28 डिग्री में उच्च के और चंद्रमा की कर्क राशि (कर्क राशी के बारे में यहाँ पढ़ें) में 0-28 डिग्री में नीच के होते हैं|
उच्च स्थिति में ग्रह सबसे बलवान और नीच स्थिति में बलहीन माने जाते हैं इसीलिए इन अवस्थाओं को देखने का भी बड़ा महत्व है|
ये पुरुष, तामसिक प्रवृत्ति, उग्र स्वभाव, क्षत्रिय जाति, दक्षिण दिशा के ग्रह हैं और इनके अधिदेव सुब्रह्मण्य हैं|
मंगल (Navagraha Mars) उग्र लाल नेत्र वाले, ठिगने कद के, मजबूत और जवान काठी, छोटे घुंघराले बाल, वीरता पूर्ण और लड़ने को सदा तैयार प्रकृति के हैं|
इस वर्णन का मतलब ये नहीं की इस ग्रह से प्रभावित जातक ऐसे ही होंगे, overall ऐसी personality होगी तथा साथ ही लग्न, लग्न में बैठे या लग्न को दृष्टि देने वाले ग्रह, लग्न का नक्षत्र आदि अन्य चीजें मिलकर ही पूरी personality तय करती है|
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