Navagraha Venus – शुक्र कालपुरुष कुडंली या नैसर्गिक कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण दो भावों का स्वामित्व रखते हैं|
ये भाव हैं धन एवं कुटुंब भाव तथा विवाह एवं दाम्पत्य भाव – यानी द्वितीय भाव तथा सप्तम भाव| सांसारिक जीवन के यही दो भाव सबसे महत्वपूर्ण हैं| पुरुष जातक में शुक्र स्त्री के कारक हैं एवं नैसर्गिक रूप में (universally) विवाह के कारक है|
शुक्र ग्रह कुदरती गुणकारी एवं लाभकारी शुभ ग्रह माने जाते हैं| दाम्पत्य जीवन में ख़ुशी, विलासिता एवं sex से related शयन सुख आदि कुंडली में शुक्र की अनुकूल स्थिति पर निर्भर करते हैं|
ज्योतिष में जब हम ग्रह की बात करते हैं तो हर ग्रह का अपना:
- कारकत्व है (पिता, माता, भात्र आदि)
- लिंग है (स्त्री, पुरुष, नपुंसक)
- प्रकृति है (राजसिक, सात्विक, तामसिक)
- स्वभाव है (उग्र, सौम्य आदि)
- जाती है (ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि)
- दिशा है (पूर्व, पश्चिम आदि)
- मानव शरीर के विभिन्न अंगों का स्वामित्व है
शुक्र (Navagraha Venus) किन चीजों के कारक हैं?
- विवाह, दाम्पत्य जीवन
- इन्द्रियों की पूर्ती
- पत्नी
- वाहन
- आभूषण, रत्न और मोती
- विलासिता की वस्तुएं
- जलीय स्थान
- भावावेष
- कामुकता
- वीर्य (Semen)
- चांदी (Silver)
- अचल संपत्ति
- सुगन्धित पुष्प
- जननांग (Reproductive Organs)
- कामोत्तेजना
- परफ्यूम एवम सुगन्धित द्रव्य
- यौवन
- नृत्य, संगीत और गीत
- रंगशाला (theater)
- Actors
- कवी/कवयित्री Poets
कुंडली में अशुभ स्थिति का शुक्र जीवन में क्या कठिनाईयां दे सकता है?
ग्रह पीड़ित या कमजोर या अशुभ तब होते हैं जब वो नीच के हो कर कुंडली में स्थित हों, या दुश्स्थान में बैठे हों या दुश्स्थान का स्वामित्व हो| इसके आलावा सूर्य की निकटतम डिग्री में होकर अस्त हों, ग्रहण की स्थिति में हों, planetary war में हारे हुए हों या पाप ग्रहों से युत या दृष्ट हों तब भी ग्रह पीड़ित माने जाते हैं| | इस तरह स्थित अशुभ शुक्र की उपस्थिति से:-
- विवाह एवं दाम्पत्य जीवन में समस्याएं आती है|
- नेत्र रोग हो सकता है|
- वृक्कशोध nephritis (kidney का दीर्घकालीन रोग) हो सकता है|
- गर्भाशय के रोग हो सकता हैं|
- आंतरिक अंगों की सूजन एवं cyst हो सकता है|
- अत्यधिक काम वासना से उत्पन्न परेशानियां आ सकती हैं|
- यौन रोग या गुप्त रोग हो सकता है|
- ज्यादा विलासिता और अधिक खाने पीने से उत्पन्न परेशानियां हो सकती हैं|
- वीर्य से सम्बंधित रोग हो सकते हैं|
- शीघ्रपतन या रात्री में उत्सर्जन (nocturnal emission) हो सकता है|
शारीरिक रूप से शुक्र (Navagraha Venus) पुरुष जीवतत्व के सबसे निर्मल पहलू याने वीर्य (Semen)का कारक है| स्त्री पुरुष के जननागों पर इनका स्वामित्व है| आंतरिक रूप से ये हमारे आनंद लेने और इसका बैलेंस करने के सामर्थ्य को दर्शाता है |
शुक्र (Navagraha Venus) का सम्बन्ध विलासिता, सुख साधन, सुसंस्कृत, मनोहर एवं विशिष्ट वस्तुएं, कला एवं संगीत गोष्ठी, आभूषण, कला, नृत्य संगीत और इन सभी क्षेत्रों के professionals से है|
उच्च दर्जे की स्त्रीयां जैसे रानी, (आज के सन्दर्भ में कहें तो first या royal lady) hotel industry के लोग, मिठाई बनाने वाले, चावल, cotton, सफ़ेद फूल और फल, सिल्क, सफ़ेद हाथी घोड़े इन सब का स्वामित्व भी शुक्र का है|
शुक्र कुदरती गुणकारी एवं लाभकारी ग्रह है| ये जिस भाव में स्थित हो उस भाव के कारकत्व को सुधारता है| ये जिस ग्रह से युति करे या दृष्टि दे उस ग्रह पर भी ये positive प्रभाव डालता है|
नैसर्गिक कुंडली के दुसरे और सातवें भाव का स्वामित्व से Navagraha Venus धन, कुटुंब और दाम्पत्य को प्रभावित करता है|
शुक्र कालपुरुष कुंडलीचक्र में द्वितीयेश एवं सप्तमेश होकर वृषभ राशी और तुला राशि के स्वामी हैं| तुला राशि में 0-15 डिग्री इनकी मूलत्रिकोण राशि है|
मूलत्रिकोण राशी में ग्रह बहुत अधिक शुभ हो जाते हैं इसीलिए मूलत्रिकोण में ग्रह को देखने का महत्व है|
शुक्र मीन राशि में 27 डिग्री में उच्च के (Exalted) तथा कन्या राशि में 27 डिग्री में नीच के (Debilitated) होते है|
उच्च स्थिति में ग्रह सबसे बलवान और नीच स्थिति में बलहीन माने जाते हैं इसीलिए इन अवस्थाओं को देखने का भी बड़ा महत्व है|
शुक्र (Navagraha Venus) एक राजसिक प्रकृति के, स्त्री राशी, जलीय तत्व, ब्राह्मण जाति, दक्षिण पूर्व दिशा के ग्रह हैं| इनकी अधिदेवी माँ लक्ष्मी हैं| इनके मित्र शनि एवं बुध हैं, शत्रु सूर्य और चन्द्र हैं तथा मंगल और ब्रहस्पति से ये समभाव रखते हैं|
शुक्र (Navagraha Venus) गहरे भूरे वर्ण के, सुन्दर एवं आकर्षक, सुडोल बदन, काले बाल, कवी के जैसे और कामुक प्रव्रत्ति के हैं| लम्बे हाथ, चौड़ी छाती, वीर्य की अधिकता, राजसिक प्रकृति, शोभायमान, जोशीले, ज्ञान एवं बुद्धि से युक्त है शुक्र का व्यक्तित्व|
इस वर्णन का मतलब ये नहीं की इस ग्रह से प्रभावित जातक ऐसे ही होंगे, overall ऐसी personality होगी तथा साथ ही लग्न, लग्न में बैठे या लग्न को दृष्टि देने वाले ग्रह, लग्न का नक्षत्र आदि अन्य चीजें मिलकर ही पूरी personality तय करती है|
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