Navagraha Budha – संस्कृत में Intellect को बुद्धि कहा जाता है और ज्योतिष में Mercury को बुध कहा जाता है जो बुद्धि का ही अपभ्रंश रूप है| तो इस तरह बुध हमारी बुद्धि, सोच, ज्ञान और वाणी आदि का कारक है|
बुध एक बहुत ही अनुकूलनशील ग्रह है जो जिस परिस्थिति में हो उसी में ढल जाता है| शुभ ग्रहों के प्रभाव में ये शुभ और अशुभ ग्रहों के प्रभाव में ये अशुभ बन जाता है|
बुध सूर्य से निकटतम ग्रह है इसीलिए ये एक अशांत, बहुत जल्दी बदलने वाला तथा चंचल ग्रह है जो ज्यादातर वक्री (retrograde – पीछे जाने का movement) अवस्था में रहता है|
जब हम ग्रहों की बात करते हैं तो हर ग्रह का
- कारकत्व है (पिता, माता, भात्र आदि)
- लिंग है (स्त्री, पुरुष, नपुंसक)
- प्रकृति है (राजसिक, सात्विक, तामसिक)
- स्वभाव है (उग्र, सौम्य आदि)
- जाती है (ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि)
- दिशा है (पूर्व, पश्चिम आदि)
- मानव शरीर के विभिन्न अंगों का स्वामित्व है
बुध (Navagraha Budha) किन चीजों के कारक हैं?
- बुद्धिमता
- शिक्षा
- मित्र
- व्यापार वाणिज्य
- गणित
- वैज्ञानिक अध्ययन
- मामा एवं मामी
- Accountancy
- मोती
- काला जादू
- मौज मस्ती
- महक
- वाक् शक्ति
- तर्क शक्ति
- दिमाग की बुधिजीविता
पीड़ित बुध जीवन में क्या परेशानियाँ देता है?
ग्रह पीड़ित या कमजोर होते हैं जब वो नीच के हो कर कुंडली में स्थित हों, या दुश्स्थान में बैठे हों या दुश्स्थान का स्वामित्व हो, सूर्य की निकटतम डिग्री में होकर अस्त हों, ग्रहण की स्थिति में हों, planetary war में हारे हुए हों या पाप ग्रहों से युत या दृष्ट हों| बुध (Navagraha Budha) यदि कुंडली में पीड़ित हो तो:
- दीर्घकालीन पेचिश (chronic dysentery) दे सकता है|
- constipation (कब्ज) दे सकता है|
- पाचन शक्ति में क्षीणता हो सकती है|
- फेफड़ों से सम्बंधित रोग हो सकता है|
- श्वास से सम्बंधित रोग जैसे अस्थमा हो सकता है|
- Kidney problem
- तंत्रिका रोग हो सकते हैं|
- पागलपन की अवस्था भी हो सकती है|
शारीरिक रूप से बुध शरीर के उन अंगों को दर्शाता है जो आंतरिक और बाह्य में सम्प्रेषण – संवाद (communicate) करते हैं जैसे स्नायु तंत्र (nervous system), मुंह, होंठ एवं हाथ|
ये हमारे चर्म यानी skin को भी represent करता है क्यूंकि चर्म के द्वारा ही हम बाह्य दुनिया को महसूस feel करते हैं और ये भी एक तरह का communication है| इसीलिए पीड़ित बुध (Navagraha Budha) चर्मरोग का भी कारण बनता है|
बुध (Navagraha Budha) उन लोगों को represent करता है जो बहुत कम्यूनिकेट करते हैं, मध्यस्थता करते हैं, अनुवादक translator हैं, या किसी भी तरह की जानकारी ट्रान्सफर या फिर सूचना प्रसार प्रचार करते हैं|
भाषा से सम्बंधित कुछ भी हो, संकेतों का प्रयोग हो, logic, सूचना प्रकम information processing, लोगों से networking आदि सब बुध की परिधि में आते हैं| वो जटिल विचार करने की क्रिया जो बोलने के ठीक पहले आती है और communication में परिवर्तित होती है, वो क्षमता बुध से आती है|
ग्रहों में सूर्य, शुक्र और शनि इनके मित्र हैं, चन्द्र शत्रु हैं एवं ब्रहस्पति से ये सम भाव रखते हैं|
कालपुरुष कुडंलीचक्र में तृतीयेश एवं षष्ठेश होकर मिथुन (मिथुन राशी के बारे मेंअधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें) और कन्या राशि (कन्या राशी की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें) के स्वामी हैं|
मिथुन और कन्या राशि 15-20 डिग्री इनकी मूलत्रिकोण राशि है| मूलत्रिकोण राशी में ग्रह बहुत अधिक शुभ हो जाते हैं इसीलिए मूलत्रिकोण में ग्रह को देखने का महत्व है|
कन्या राशि में 0-15 डिग्री में Navagraha Budha उच्च के तथा मीन राशि (मीन राशी की अधि जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें) में 0-15 डिग्री ये नीच के होते हैं|
उच्च स्थिति में ग्रह सबसे बलवान और नीच स्थिति में बलहीन माने जाते हैं इसीलिए इन अवस्थाओं को देखने का भी बड़ा महत्व है|
बुध (Navagraha Budha) एक राजसिक प्रवृत्ति के ग्रह हैं जो नपुंसक लिंग, पृथ्वी तत्व, वैश्य जाति, उत्तर दिशा के और इनके अधिदेव विष्णु हैं|
बुध अल्पवयस्क young look के हैं जिनका slim, कोमल और सुन्दर शरीर है, बड़ी लाली लिए आँखें हैं, गहरा हरा रंग है, स्वस्थ त्वचा वाले मध्यम कद के हाजिर जवाब और वाग्विद्ग्ध हैं|
इस वर्णन का मतलब ये नहीं की इस ग्रह से प्रभावित जातक ऐसे ही होंगे, overall ऐसी personality होगी तथा साथ ही लग्न, लग्न में बैठे या लग्न को दृष्टि देने वाले ग्रह, लग्न का नक्षत्र आदि अन्य चीजें मिलकर ही पूरी personality तय करती है|
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