Navagraha Jupiter – ब्रहस्पति को नवग्रहों में देवगुरु का स्थान प्राप्त है| ज्योतिष में कहा जाता है की लग्न में स्थित सशक्त ब्रहस्पति सवा लाख दोष दूर कर देता है|
कुंडली में एक सशक्त ब्रहस्पति को भगवान् का तोहफा समझा जाता है| ऐसे जातक पूर्व पुण्य लेकर इस धरती में अपने कर्मों के अच्छे फल भोगने के लिए जन्म लेते हैं|
लग्न का ब्रहस्पति (Navagraha Jupiter) कुंडली के तीन बड़े महत्वपूर्ण भावों को – पंचम, सप्तम एवं नवम – दृष्टि देकर उन भावों को शक्ति प्रदान करता है|
पंचम भाव पूर्व पुण्य भाव एवं धर्म कोण है, सप्तम भाव सांसारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विवाह का भाव है तथा नवम भाव धर्म कोण है और आगामी कर्म का भाव भी है|
ज्योतिष में जब हम ग्रहों की बात करते हैं तो हर ग्रह का अपना:
- कारकत्व है (पिता, माता, भात्र आदि)
- लिंग है (स्त्री, पुरुष, नपुंसक)
- प्रकृति है (राजसिक, सात्विक, तामसिक)
- स्वभाव है (उग्र, सौम्य आदि)
- जाती है (ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि)
- दिशा है (पूर्व, पश्चिम आदि)
- मानव शरीर के विभिन्न अंगों का स्वामित्व है|
ब्रहस्पति (Navagraha Jupiter) किन चीजों के कारक हैं?
- ज्ञान एवं बुद्धि
- गुरु या अध्यापक
- पुत्र, वंशज
- बड़े भाई या बहन
- पिता पक्ष के पूर्वज
- स्त्री जातक में पति
- धन संपत्ति
- शिक्षा
- ज्योतिष
- Logic
- शास्त्रों का ज्ञान
- प्रवीणता
- भगवान् या गुरु में श्रद्धा
- न्यायाधीश
- धर्माचार्य
- इन्द्रियों पर नियंत्रण
- खुशहाली
- सद्गुण
पीड़ित ब्रहस्पति जीवन में क्या अशुभ फल देता है?
ग्रह पीड़ित या कमजोर होते हैं जब वो नीच के हो कर कुंडली में स्थित हों, या दुश्स्थान में बैठे हों| यदि दुश्स्थान का स्वामित्व हो, सूर्य की निकटतम डिग्री में होकर अस्त हों, ग्रहण की स्थिति में हों, planetary war में हारे हुए हों या पाप ग्रहों से युत या दृष्ट हों या मृत्यु भाग में हों तब भी ग्रह पीड़ित माने जाते हैं|
कुंडली में पीड़ित ब्रहस्पति (Navagraha Jupiter) स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए अच्छा नहीं माना जाता| ऐसा ब्रहस्पति पीड़ित अवस्था में :
- पीलिया (Jaundice) दे सकता है|
- यकृत (Liver) के रोग दे सकता है|
- गठिया रोग दे सकता है|
- मन्दाग्नि – पेट में जलन (Dyspepsia) और पाचन ग्रंथि (Pancreas) के रोग हो सकते हैं|
- जलोदर रोग (शरीर के सेल्स या tissues में पानी के जैसे फ्लुइड्स का भरना) हो सकता है|
- नजला और बलगम से सम्बंधित रोग दे सकता है|
- ज्यादा पीड़ित हो तो TB भी दे सकता है |
दूसरी और एक मजबूत ब्रहस्पति (Navagraha Jupiter) कुंडली के लिए शुभ होकर बुद्धिमत्ता, समृद्धि और यश देता है| ब्रहस्पति ज्ञान का कारक है| ये उच्च स्तरीय शिक्षा, ज्ञान, धार्मिक प्रवृत्ति और परंपरागत परिपाटियों को भी दर्शाता है|
शारीरिक रूप से ब्रहस्पति शरीर में किसी तरह की वृद्धि के, चर्बी के, उर्जा का संग्रह और liver द्वारा उर्जा का release आदि को भी represent करता है|
शरीर में अत्यधिक growth एवं ट्यूमर आदि के भी यही कारक हैं| आतंरिक रूप से प्रसन्नता, आशावादिता, वाक्पटुता और जीवन में आगे बढ़ना एवं उन्नति करना, ये सब ब्रहस्पति की परिधि में आते हैं|
स्त्री जातक में ब्रहस्पति (Navagraha Jupiter) का बड़ा महत्व है क्यूंकि स्त्री जातक में ये पति तथा पति से relationship के कारक है|
ब्रहस्पति के मित्रों में सूर्य, चन्द्र और मंगल आते हैं, बुध एवं शुक्र इनके शत्रु हैं तथा शनि से ये सम भाव (neutral) रखते हैं| कालपुरुष राशिचक्र में ये नवमेश एवं द्वाद्शेष होकर धनु राशी तथा मीन राशि के स्वामी हैं|
धनु में 0-10 डिग्री इनकी मूलत्रिकोण राशि है| मूलत्रिकोण राशी में ग्रह बहुत अधिक शुभ हो जाते हैं इसीलिए मूलत्रिकोण में ग्रह को देखने का महत्व है|
ब्रहस्पति कर्क राशी में 0-5 डिग्री में उच्च के होते हैं तथा मकर राशि में 0-5 डिग्री में नीच के होते हैं| उच्च स्थिति में ग्रह सबसे बलवान और नीच स्थिति में बलहीन माने जाते हैं इसीलिए इन अवस्थाओं को देखने का भी बड़ा महत्व है|
ये सात्विक प्रकृति के, पुरुष राशि, आकाश तत्व, ब्राह्मण जाति, उत्तर पूर्व दिशा के ग्रह हैं और इनके अधिदेव नारायण हैं|
ब्रहस्पति (Navagraha Jupiter) उन लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो उच्च शिक्षा प्राप्त विद्वान हों, experts, अध्यापक, सलाहकार, जीवन से भरपूर, आशावादी और वो लोग जो उन्मुक्त विचारधारा से हैं| ऐसे लोग आध्यात्मिक उन्नति के लिए निष्ठावान होते हैं| ब्रहस्पति के जातक अमूमन मीठा एवं मोटा करने वाले खाने के शौकीन होते हैं|
ब्रहस्पति का स्वरुप – दिखने में बड़ा पेट, मोटा शरीर, पीली मगर बड़ी आँखें, धार्मिक प्रव्रत्ति, शास्त्रों और विज्ञान का ज्ञान, दीप्तिमान पीला वर्ण, तीक्ष्ण बुद्धि और धार्मिक अनुसरण में उत्सुकता, ये सब ब्रहस्पति की खासियत है|
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