
Pearl Gemstone
Pearl gemstone – नवग्रह रत्न मोती के बारे में साधारणतया यह कहा जाता है की इसे कोई भी धारण कर सकता है क्यूंकि ये चंद्रमा का रत्न है और चंद्रमा मन का कारक है| मगर ऐसा है नहीं, क्यूंकि कुंडली में यदि चंद्रमा में स्वामित्व में कोई दुषस्थान हो तो मोती धारण अशुभ फल दे सकता है|
चन्द्र का रत्न मोती कौन धारण कर सकता है? एक Astrologer और Gemologist की हैसियत से सबसे ज्यादा आम प्रश्न मुझसे पूछा जाता है की मैं कौन सा रत्न धारण करूँ या कौन सा रत्न मुझे suit करेगा|
जैसा मैंने अपने पहलेवाले इस article में कहा था की मैं हर रत्न को हर लग्न से मिलकर बताऊँगा की कौन से लग्न को कौन सा रत्न सूट करेगा और क्यों, तो इसी series में आइये दोस्तों आज हम चन्द्र के रत्न मोती की बात करते हैं की प्रत्येक लग्न का चंद्रमा से क्या सम्बन्ध है और किस लग्न को मोती suit करेगा किसे नहीं|
चंद्रमा क्यूंकि एकाधिपति ग्रह हैं जिसका मतलब है एक भाव के स्वामी इसलिए मोती रत्न निर्धारण थोडा आसान हो जाता है| जब दो भावों का स्वामित्व आता है तब एक भाव शुभ और दूसरा अशुभ हो तो रत्न निर्धारण में काफी सावधानियां लेनी पड़ती है|
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मेष लग्न और मोती रत्न Aries ascendant and Pearl gemstone
Natural zodiac यानी राशी चक्र की पहली राशी है मेष राशी| मेष राशी मंगल के स्वामित्व की पहली राशि है| मेष लग्न हो तो चंद्रमा के स्वामित्व में चतुर्थ भाव यानी कर्क राशी होगी| (मेष लग्न या प्रथम भाव, वृषभ दूसरा, तीसरा मिथुन और चतुर्थ भाव कर्क) लग्नेश मंगल और चन्द्र आपस में मित्र ग्रह हैं|
चतुर्थ भाव सुख भाव और मात्रु भाव है मतलब माँ का स्थान है| मोती धारण इस case में काफी शुभ है| सुख भाव होने की वजह से और इस भाव के स्वामी का लग्नेश से मित्रता की वजह से मोती धारण जातक को शारीरिक और मानसिक सुख प्रदान करेगा| क्यूंकि ये भाव भूमि भाव भी है तो parental संपत्ति के उत्तराधिकार में भी ये सहायक है|
इसी तरह मेष लग्न में मोती धारण पढाई लिखी में help करता है और माँ की तरफ से किसी भी तरह की अनुकम्पा में भी ये सहायक होता है| वैसे तो मोती रत्न धारण इस case में साधारण रूप से ही अच्छा है, पर चंद्रमा की महादशा या अंतर दशा में तो ये बहुत ही अच्छे फल देता है|
वृषभ लग्न और मोती Effect of Pearl gemstone on Taurus lagna
वृषभ राशी राशी चक्र की दूसरी राशी है और शुक्र के स्वामित्व की पहली राशी है| वृषभ लग्न में चन्द्र के स्वामित्व में तीसरा भाव यानी मिथुन राशी होगी| (प्रथम भाव या लग्न वृषभ, दूसरा मिथुन और तीसरा भाव और राशी कर्क) यहाँ लग्नेश शुक्र और तृतीयेश चन्द्र के शत्रु ग्रह हैं|
तीसरा भाव ज्योतिष में दुश्स्थान माना गया है, इसे त्रिषढाय और उपचय भाव से भी जाना जाता है| तीसरे भाव के स्वामित्व की वजह से मोती वृषभ लग्न के लिए उपयुक्त नहीं है| यहाँ exception या अपवाद ये है की चन्द्र यदि तीसरे भाव में ही स्थित हो यानी अपने ही भाव में हो तो चन्द्र स्वग्रही हो जाते हैं और सिर्फ इस स्थिति में वृषभ लग्न के लोग चन्द्र की महा दशा या अंतर दशा में मोती पहन सकते हैं|
वैसे ज्योतिष में द्वितीय और सप्तम भाव शुभ भाव तो माने गए हैं पर साथ ही ये मारक भाव (death inflicting house) भी हैं, खास तौर पर इन भावों के स्वामी की महा दशा या अंतर दशा में| अगर इन भावों के स्वामी लग्नेश में मित्र हों या किसी और तरह से शुभ हों (जैसे पूर्ण योगकारक आदि) तो इनका मारकत्व कम हो जाता है|
मिथुन लग्न और मोती धारण Gemini ascendant and Pearl gemstone
मिथुन natural zodiac की तीसरी राशी है और बुध के स्वामित्व की पहली राशी है| मिथुन लग्न में चन्द्र के स्वामित्व की कर्क राशी, दूसरी राशि या दूसरा भाव बनेगा| (प्रथम या लग्न भाव मिथुन फिर कर्क) इस case में लग्नेश बुध चन्द्र को शत्रु ग्रह मानते हैं| द्वितीय भाव को ज्योतिष में मारक स्थान भी माना गया है| मिथुन लग्न के जातक को मोती नहीं पहनना चाहिये क्यूंकि चंद्रमा यहाँ मारकेश बनते हैं|
यहाँ exception या अपवाद यह है की मिथुन लग्न में अगर चन्द्र उच्च के होकर बारहवें भाव यानी वृषभ में स्थित हों तो चन्द्र की महादशा में मोती (Pearl gemstone) पहना जा सकता है
कर्क लग्न चन्द्र की स्वराशी और मोती Cancer Moon’s own sign and Pearl
कर्क लग्न में चन्द्र स्वयं लग्नेश हैं| कर्क राशि natural zodiac की चतुर्थ राशि और चतुर्थ भाव है जिसे ज्योतिष में सबसे शुद्ध और सबसे उत्तम केंद्र भाव माना गया है| इस भाव को सुख भाव और मात्रु भाव भी माना गया है| इस case में मोती धारण अति उत्तम है| जीवन में सब तरह के सुख और समृद्धि के लिए कर्क लग्न के जातक मोती पहन सकते हैं|
कर्क लग्न के जातक पूरी life मोती पहन सकते हैं| चूंकि चंद्रमा को ज्योतिष में मन का कारक माना गया है तो इस case में मोती धारण (Pearl gemstone) जातक को मन की शक्ति, विचारों का बल, अच्छा स्वास्थ्य और लम्बी आयु प्रदान करता है|
सिंह लग्न और मोती धारण Leo lagna and Pearl gemstone
सिंह राशि ज्योतिष चक्र का पंचम भाव है जो सूर्य के स्वामित्व का एकाधिपति भाव है| सिंह लग्न में चन्द्रमा बारहवें भाव के स्वामी बनते हैं| (लग्न या प्रथम भाव सिंह, फिर क्रमशः कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ, मिथुन और बारहवां भाव कर्क) हालाँकि इस case में लग्नेश सूर्य चन्द्र के मित्र ग्रह हैं पर चंद्रमा के स्वामित्व का जो भाव है वो अशुभ है|
सिंह लग्न के जातक को मोती धारण नहीं करना चाहिए क्यूंकि यहाँ मोती (Pearl gemstone) पहनना एक अशुभ भाव को activate करेगा| बारहवां भाव व्यव भाव है, loss का house. ये भाव किसी भी तरह का loss, नुक्सान, व्यय, अस्पताल, कारागार आदी से सम्बंधित है तो ऐसे भाव को activate करना naturally अच्छा नहीं है|
यहाँ exception या अपवाद यह है की यदि चंद्रमा बारहवें भाव में ही स्थित हो तो स्वग्रही बन जाता है और ऐसे case में चंद्रमा की महादशा में मोती धारण कर सकते हैं क्यूंकि स्वग्रही ग्रह अपनी दशा में बलवान होता है और अपने भाव की रक्षा करता है|
कन्या लग्न और मोती Virgo ascendant and Pearl
कन्या राशी राशी मंडल की छठी राशी और छठा भाव है जो बुध के स्वामित्व की दूसरी राशी है| कन्या लग्न में चन्द्र ग्यारहवें भाव के स्वामी बनता हैं| (कन्या लग्न भाव फिर क्रमशः तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ, मिथुन और ग्यारहवां भाव कर्क)
इस case में हालाँकि लग्नेश बुध चन्द्र को अपना शत्रु मानते हैं पर चन्द्र के स्वामित्व में एक अच्छा भाव है – ग्यारहवां भाव, जो लाभ भाव है और शुभ स्थान है| कन्या लग्न में चन्द्र यदि नवम भाव यानी वृषभ में स्थित हैं तो उच्च के यानी exalted होते हैं और ऐसी स्थिति में चन्द्र की महा दशा या अंतर दशा में मोती (Pearl gemstone) धारण बहुत शुभ है, ये भाग्य को खोलेगा|
कन्या लग्न में चन्द्र चूंकि लाभेश हैं यानी लाभ भाव के स्वामी हैं तो अगर इस लग्न की कुंडली में चंद्रमा किसी तरह से पीड़ित हो या कमजोर हो तो भी मोती धारण जातक के लिये अच्छा है क्यूंकि शुभ भाव के स्वामी और लाभेश को इससे बल मिलेगा|
तुला और मोती Libra ascendant and wearing Pearl
अब बात करते हैं तुला राशी की| तुला राशी शुक्र के स्वामित्व की दूसरी राशि है| तुला, राशी मंडल की सप्तम राशी और सप्तम भाव है| तुला लग्न में चन्द्र के स्वामित्व में दशम भाव आएगा| (तुला लग्न भाव फिर क्रमशः वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ, मिथुन और दशम भाव कर्क)
इस case में हालाँकि लग्नेश शुक्र, चन्द्र के शत्रु ग्रह हैं पर चन्द्र के स्वामित्व में कुंडली का सबसे सक्रिय और सशक्त भाव – दशम भाव है| दशम भाव कर्म भाव है| जीवन में हम जितने भी कर्म, व्यवसाय, आमदनी आदि करते हैं वो सब दशम भाव के कार्यक्षेत्र में आते हैं|
चन्द्र के इतने शुभ और active भाव – दशम भाव – के स्वामित्व की वजह से तुला लग्न के जातक मोती धारण कर सकते हैं| और अगर कहीं चंद्रमा दशम भाव में ही स्थित हों तो कहने क्या! ऐसे case में चंद्रमा की महा दशा या अंतर दशा में पहना गया मोती जातक को व्यवसाय में उन्नति, कर्म में प्राधान्यता, नाम यश और ऐश्वर्य आदि प्रदान करने में सक्षम होता है|
वृश्चिक और Pearl gemstone – Scorpio ascendant and Pearl
वृश्चिक राशि natural zodiac की अष्टम राशी और अष्टम भाव है और मंगल के स्वामित्व की दूसरी राशी है| वृश्चिक लग्न में चंद्रमा के स्वामित्व में नवम भाव आता है| (वृश्चिक लग्न भाव फिर क्रमशः धनु, मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ, मिथुन और नवम भाव कर्क)
यहाँ वृश्चिक लग्न के लग्नेश मंगल हैं जो चंद्रमा के मित्र ग्रह हैं| चंद्रमा के स्वामित्व में नवम भाव बहुत ही शुभ त्रिकोण भाव है, जो भाग्य भाव, धर्म भाव और पिता का भाव भी है| इस case में मोती धारण धर्म के प्रति झुकाव, अच्छा स्वास्थ्य, दीर्घायु और पिता के लिए गुणकारी तथा अच्छे विचार आदि शुभ फल देता है|
वृश्चिक लग्न के जातक अगर मोती को मूंगे के combination में पहने तो और भी उत्तम है क्यूंकि यहाँ लग्न और छठा भाव भी cover हो जाता है| अब आप कहेंगे की छठा भाव तो दुषस्थान है, पर यहाँ छठे घर का स्वामित्व खुद लग्नेश और एक malefic ग्रह मंगल का है जो की ज्योतिष में अच्छा माना गया है|
धनु लग्न और मोती Sagittarius ascendant and Pearl
तो चलिए अब राशी चक्र की नवम राशी और नवम भाव धनु की बात करते हैं| धनु ब्रहस्पति के स्वामित्व की पहली राशी है| धनु लग्न में कर्क राशी के स्वामी चन्द्र का भाव अष्टम भाव बनता है| (धनु लग्न या प्रथम भाव फिर क्रमशः मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ, मिथुन और अष्टम भाव कर्क)
अष्टम भाव को ज्योतिष में बहुत अशुभ भाव माना गया है| ये एक दुषस्थान है जिसे कुडंली का black hole कहते हैं| अष्टम या अष्टमेश से सम्बंधित हर चीज़ अशुभ फल देती है| हालाँकि यहाँ अष्टमेश चन्द्र और लग्नेश ब्रहस्पति मित्र ग्रह है, पर चन्द्र के स्वामित्व का अशुभ भाव, शुभ फल नहीं दे सकता, इसलिए धनु लग्न के जातक को मोती धारण नहीं करना चाहिये|
इसमें exception या अपवाद ये है की चन्द्र यदि अष्टम भाव में ही स्थित हों और जातक वयस्क हो तो चन्द्र की महादशा या अंतर दशा में मोती धारण किया जा सकता है| चन्द्र को एकाधिपति होने की वजह से अष्टम भाव का दोष नहीं लगता| यहाँ वयस्क जातक इसलिए कहा गया है क्यूंकि चन्द्र अष्टम भाव में बालारिष्ट (बच्चों के अरिष्ट या कष्ट) का भी कारण बनता है|
मकर लग्न और मोती धारण Capricorn ascendant and Pearl
अगली राशी है मकर राशी जो शनि के स्वामित्व के पहली राशी और राशी चक्र की दशम राशी और दशम भाव है| मकर लग्न में चन्द्र सप्तम भाव के स्वामी बनते हैं| (लग्न मकर फिर क्रमशः कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ, मिथुन और सप्तम भाव कर्क)
सप्तम भाव ज्योतिष में कलत्र भाव एवं युवती भाव भी है| ये मुख्यतः विवाह का भाव है| इस case में लग्नेश शनि और सप्तमेश चन्द्र शत्रु ग्रह हैं इसीलिए मकर लग्न के जातक को मोती नहीं पहनना चाहिये| Exception – पर चूंकि यहाँ चन्द्र एक शुभ केंद्र के स्वामी हैं और यदि चंद्रमा सप्तम भाव में ही स्थित हों तो मोती धारण किया जा सकता है|
कुम्भ लग्न और मोती धारण Aquarius and Pearl gemstone
शनि के स्वामित्व की अगली राशी है कुम्भ राशी जो राशी चक्र की ग्यारहवीं राशी है और ग्यारहवां भाव भी है| कुम्भ लग्न में चन्द्र छठे भाव के स्वामी बनते हैं| (लग्न भाव कुम्भ, फिर क्रमशः मीन, मेष, वृषभ, मिथुन और कर्क) इस case में शनि चूंकि लग्नेश हैं और चन्द्र के शत्रु हैं तथा चन्द्र के स्वामित्व का भाव भी अशुभ है इसलिए मोती धारण अशुभ फल देगा|
मीन लग्न और मोती Pisces and wearing Pearl
राशी चक्र की आखिरी राशी यानी बारहवां भाव है मीन राशी जो ब्रहस्पति के स्वामित्व की दूसरी राशी है| मीन लग्न में चन्द्र पंचम भाव के स्वामी होते हैं| (मीन लग्न भाव, फिर क्रमशः मेष, वृषभ, मिथुन और कर्क)
मीन लग्न में लग्नेश ब्रहस्पति चंद्रमा के मित्र ग्रह हैं और यहाँ चंद्रमा के स्वामित्व में शुभ त्रिकोण भाव है इसलिए मीन लग्न के जातक के लिये मोती धारण बहुत शुभ फल देगा| मोती धारण यहाँ अच्छा भाग्य, नाम यश और अच्छी संतान आदि देने में सहायक होता है| और चन्द्रमा की महादशा या अंतर दशा में तो जातक को बहुत ही गुणकारी फल मिल सकते हैं|
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