About gem stones – आदिकाल से मानव रत्नों से मंत्रमुग्ध रहा है| प्राचीन काल से रत्नों, मोती माणक आदि का प्रचलन रहा है जो राजा महाराजा और धनवानों तक सीमित था| उस समय के रत्न बहुत ही शुद्ध और महंगे हुआ करते थे| आभूषणों के अलावा भी आदिकाल से रत्नों का प्रयोग ज्योतिषीय उद्देश्यों के लिए भी किया जाता रहा है और हमारे प्राचीन शास्त्रों और पुराणों में इनका उल्लेख है|
रत्नों के पहनने का एक तरह का फैशन आधुनिक काल में देखा जा सकता है| हमारे आसपास देखें तो लोग उँगलियों में तरह तरह के पत्थर धारण किये देखे जा सकते हैं| कुछ लोग शौकिया इन्हें पहनते हैं और कुछ ज्योतिष सलाह के अनुसार|
Mostly मुझसे पूछा जाता है की मेरा लग्न ये तो क्या मैं ये रत्न पहन सकता हूँ या नहीं, या मेरी तो कुंडली ही नहीं है तो मैं कौन सा रत्न पहनूं आदि| तो दोस्तों रत्नों (gem stones) की मेरी अगली articles की series में मैं हर नवरत्न को बारहों लग्नों से मिला कर बताऊंगा की कौन से लग्न को कौन सा रत्न सूट करेगा और क्यों|
रत्नों (gem stones) के बारे में कई धारणाएं तथा अवधारणायें भी हैं| कई लोग कहते हैं नीलम नहीं पहनना चाहिए, ये या तो उठा देता है या बुरी तरह से गिरा देता है, हीरा हरेक को सूट नही करता, पुखराज में हल्का लाल आ जाये तो यह खूनी पुखराज है वगैरा वगैरा|
आइये gemstones से जुड़े ऐसे ही कुछ common प्रश्नों के उत्तर जानते है|
प्रश्न: Gem stones या रत्न क्या हैं?
उत्तर: रत्न विभिन्न प्राकृतिक खनिज पदार्थों का घनीभूत रूप है जो देखने में सुन्दर, पहनने में टिकाऊ, अच्छी चमक तेज और आभा लिये होता है| पृथ्वी के गर्भ में, जहाँ प्रचंड अग्नि व ताप है वहां से खनिज पदार्थ मैग्मा या जलते हुए लावा के रूप में धरती के गर्भ से निकल कर धरती के भीतरी सतह पर आकर जम कर लाखों वर्षों पृथ्वी के अन्दर के gases के साथ अत्यधिक दबाव (extreme pressure) में रह कर, ये खनिज एक घनीभूत (condensed) स्वरुप ले लेती है और विभिन्न खनिज पदार्थों के के आधार पर विभिन्न रत्नों में परिवर्तित हो जाती है|
पृथ्वी के अन्दर और पहाड़ों के खदानों के विभिन्न खनन प्रक्रियाओं द्वारा इन्हें निकाल कर cutting, shaping और polish आदि कर के ये रत्नों के सुन्दर रूप में हम तक पहुँचते हैं|
प्रश्न: नवग्रह नवरत्न या नवरत्न क्या हैं?
उत्तर: यूँ तो प्रकृति में हजारों तरह के रत्न हैं, पर हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों और ज्योतिषाचार्यों ने ज्योतिष प्रयोग के लिए नौ ग्रहों के नौ रत्नों का वर्णन किया है जिन्हें नवरत्न कहते हैं| नवग्रह नवरत्न हैं माणिक, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद एवं लहसुनिया|
इनकी और जानकारी यहाँ है: Navagraha Gemstones – नवग्रह रत्न धारण, भाग्य निर्धारण
प्रश्न: क्या रत्न (gem stones) हर कोई पहन सकता है?
उत्तर: जी हाँ, रत्न हर कोई धारण कर सकता है बशर्ते आप इसे afford कर सकें| Actually आजकल असली रत्न इतने महंगे हो गए हैं की हर कोई इन्हें धारण नहीं कर सकता| इसकी वजह यह है की रत्न (gem stones) प्रकृति की देन है और प्रकृति का आज हम इतना शोषण कर चुके हैं की अन्य प्राकृतिक संपदाओं की तरह ये भी ख़त्म होते जा रहे हैं|
ज्योतिष प्रयोग में रत्न धारण से पूर्व कुडंली का सूक्ष्म अध्ययन बहुत जरूरी है और रत्न धारण इसके बाद ही किया जाना चाहिए|
प्रश्न: रत्न क्यों धारण किये जाते हैं?
उत्तर: जन्म कुंडली में जब किसी विशेष ग्रह को सशक्त करना हो तो एक अनुभवी ज्योतिषी कुंडली का अति सूक्ष्म अध्ययन कर नवरत्नों में से किसी एक रत्न का या संयोजित combination रत्नों का निर्धारण करता है| पीड़ित, बलहीन और कमजोर ग्रहों के लिए रत्न धारण किया जाता है| ये जो अवधारणा है की नीलम हर कोई नहीं पहन सकता आदि ये सब कुडंली के विश्लेषण के बाद ही पता चल सकता है, यदि शनि आपका लग्नेश है और अच्छे भाव में है तो नीलम आपको जरूर सूट करेगा|
प्रश्न: अगर किसी के पास जन्म की details या कुंडली नहीं है तो कौन सा रत्न पहना जाये?
उत्तर: अगर किसी के पास जन्म कुंडली ना हो तो किसी एक specific ग्रह का रत्न निर्धारण मुश्किल हो जाता है| ऐसे जातक अगर रत्न पहनना चाहें तो वे नवरत्न ring या नवरत्न माला या नवरत्न bracelet पहन सकते हैं| नवरत्न ring या माला में नौ के नौ रत्न छोटे या medium साइज़ के लगे रहते हैं जिससे धारक को नवग्रहों का balanced power मिलता है| हालाँकि इनमे लगे रत्न high quality के नहीं होते पर चूंकि ये quantity में ज्यादा होने की वजह से इच्छित फल प्रदान करते हैं|
प्रश्न: Synthetic Stone या कृत्रिम रत्न क्या हैं?
उत्तर: प्राक्रतिक सम्पदा के अति शोषण से और खनन प्रक्रिया तथा इसकी labour आदि की कमी की वजह से रत्नों का उत्पादन गिरता जा रहा है| अन्य कारण जैसे रत्न कटाई व polish आदि के कुशल कारीगरों की कमी आदि की वजह से रत्नों की कीमत भी बहुत ऊँची उठ चुकी है| इस स्थितिं का फायदा उठाने के लिए आजकल synthetic stone बाजार में असली के नाम से बिक रहे हैं|
Synthetic stone मानव निर्मित होते हैं जो laboratory में कृत्रिम रूप से बनाये जाते हैं और इनकी cost बहुत कम आती है| इनमे चमक, तेज, आभा और colour के लिए रसायन, शीशा, क्रिस्टल और जस्ता आदि प्रयोग किया जाता है और ठीक असली रत्न की तरह दिखाया जाता है| ऐसे रत्न ज्योतिषीय उपायों के लिए निष्फल होते हैं| रत्न हमेशा सरकारी lab में ही टेस्ट कराने चाहिए ताकि असली नकली का पता चले|
प्रश्न: अच्छी quality के रत्न में क्या गुण होने चाहिए?
उत्तर: अच्छी quality का रत्न (gem stones) अच्छी चमक लिए और आभा लिए रहनी चाहिए| ऐसे रत्न की बनावट समतल होनी चाहिए, रत्न में घनत्व होना चाहिए और रत्न की सतह पर कोई dent, crack या खरोंच नहीं होनी चाहिए| देखने में कांतिहीन रत्न कभी धारण नहीं किया जाना चाहिए| असली रत्न में प्राकृतिक समावेश (natural inclusion) रहते हैं जिन्हें प्रकृति के हस्ताक्षर “Nature’s signature” कहते हैं| ये इस तरह है जैसे शरीर में नसें दिखाई देती हैं उसी तरह रेशे चिह्न आदि पत्थर में भी रहते हैं| ये समावेश या inclusion कम या ज्यादा तो हो सकते हैं जो रत्न की कीमत decide करते हैं| अगर शीशे की तरह साफ़ पत्थर होगा तो वो या तो नकली होगा या बहुत अधिक मूल्यवान (कई लाखों में) में होगा|
बाकी के गुण specific पत्थर पर depend करता है| जैसे की नीलम में नीले रंग के फैलावट एक सी नहीं होगी या मूंगे की सतह मोम के जैसे feel होगी आदि|
प्रश्न: Processed gemstones क्या हैं?
उत्तर: कई बार रत्नों (gem stones) के रंग और चमक को बढाने के लिए gem stones को कई तरह के प्रक्रियाओं से निकाला जाता है जैसे उच्च ताप पर heat करना, chemical processing, dye करना, glass filling आदि| एक अनुभवी gemmologist अपने lab इक्विपमेंट से इन्हें पहचान सकता है| इन processing से पत्थर की चमक, क्लैरिटी आदि बढ़ जाती है| पर ज्योतिषीय प्रयोगों के लिए शुद्ध unprocessed पत्थर ही उत्तम रहता है, चाहे आप छोटा पत्थर पहन लें|
प्रश्न: उपरत्न क्या हैं और ज्योतिष में इनका क्या role है?
उत्तर: हमारे शास्त्रों में total 84 रत्नों (gem stones) का वर्णन है जिनमे नौ ग्रहों के नवरत्न के बाद 75 रत्न हैं| इन 75 रत्नों को उपरत्न से जाना जाता है| इनमे कई तो विरले ही प्रयोग में हैं, कई लुप्त हो चुके हैं पर कई रत्न हैं जिन्हें हम नवरत्नों की जगह प्रयोग कर सकते हैं| कई बार ऊँची कीमत की वजह से या असली नवरत्न न मिलने की वजह से या कई बार उपरत्न ही प्रयोग करने की स्थिति में इन उपरत्नों का प्रयोग होता है| उपरत्न आराम से afford किये जा सकते हैं और इनके पहनने का असर भी होता है| Afford कर सकने की हालत में नवरत्न ही धारण किया जाना चाहिए पर न afford कर सकें तो उपरत्न धारण भी अच्छा उपाय है|
ये कुच्छ इस तरह है की आप किसी महंगे और मशहूर brand का कपडा धारण करते है क्यूंकि आप इसे afford कर सकते हैं, ये अच्छी quality का होते हुए लम्बे समय तक चलता है और ये आपकी status के हिसाब से भी है| पर वो ही कपडा बिना brand name का उसी स्टाइल या color में मैं सस्ता खरीद कर पहनता हूँ, चलता ये भी है और ये मेरा तन ढकता है और मेरा काम इससे चल जाता है|
मुख्य उपरत्नों में पुखराज के लिए सुनैला, नीलम के लिए नीली या कटैला, पन्ने के लिए ओनिक्स, हीरे के लिए जिरकन या सफ़ेद पुखराज और माणक के लिए स्पिनल आदि पहने जाते हैं| उपरत्नों के अगले article में मैं इस विषय पर और जानकारी दूंगा|
प्रश्न: मैंने अधिकाँश हर ग्रह का पत्थर पहना है, फिर भी दुखी हूँ, क्यों?
उत्तर: इसके कई कारण हो सकते हैं| जैसा मैंने पहले कहा कुडंली का अध्ययन करके ही रत्न धारण करें| हो सकता है की आपने जिन ग्रहों के रत्न धारण किये हैं उनके स्वामित्व में अशुभ भाव भी हैं| या कोई ग्रह उनमे नीच का हो सकता है| जो gem stones आपने धारण किये हैं वो कृत्रिम या नकली तो नहीं? क्या आपने इन रत्नों को विधिवत धारण किया है? क्या आपने सही उँगली में सही रत्न पहन रखा है? क्यूंकि ये ही कुछ बातें हैं जो gem stones के असर से सम्बंधित हैं|
प्रश्न: क्या रत्नों को पहनने की खास उँगली और इन्हें बनवाने की खास धातु है?
उत्तर: जी हाँ, हर रत्न को पहनने की अपनी उँगली है और उनको बनवाने की धातु भी| तर्जनी उँगली या index finger में पुखराज, मध्यमा या middle finger में हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया, अनामिका या ring finger में माणिक, मूंगा तथा कनिष्ठा या little finger में मोती और पन्ना पहना जाता है|
धातु की बात करें तो माणिक, पन्ना, मूंगा, और पुखराज सोने में, मोती, नीलम, गोमेद, लहसुनिया चांदी में और हीरा प्लैटिनम या 18 carat सोने में बनाया जाता है| इनमे नीलम लोहे में, पुखराज और पन्ना पंचधातु में, माणक और मूंगा तांबे में भी बनवाया जा सकता है|
प्रश्न: आमतौर पर मोती सोमवार, मूंगा मंगलवार और नीलम शनिवार आदि पहना जाता है, क्या ये सही है?
उत्तर: आमतौर पर ये बहुत प्रचलन में है की ग्रहों के साप्ताहिक दिन के अनुसार रत्न धारण किया जाता है और इसमें कोई बुराई भी नहीं है| पर मेरे व्यक्तिगत और professional अनुभव में जन्म नक्षत्र तथा रत्न स्वामी के राशिगत स्थिति के हिसाब से निकाले गए विशेष मुहूर्त में रत्न धारण किया जाये तो ही रत्न सही मायने में फल देते हैं|
प्रश्न: प्रायः अंगूठी को कच्चे दूध में रात भर रख कर अगले दिन पूजा करके धारण कर लेते हैं, क्या ये सही है?
उत्तर: रत्न धारण प्रचलन में ये तरीका भी बहुत आम है| पर जैसा मैंने कहा मैं मेरे व्यक्तिगत और professional अनुभव के हिसाब से चलता हूँ| रत्न धारण का एक प्राचीन और बहुत ही प्रभावपूर्ण अनुष्ठान है “पञ्चतत्व शुद्धीकरण” और “रत्न ऊर्जा सम्प्रेषण” अनुष्ठान, जिसे मैं अपने मार्गदर्शन में धारक से करवाता हूँ| इस अनुष्ठान से एक तो रत्नों में उपस्थित negative positive उर्जा को शुद्धीकरण होता है और साथ ही धारक के विभिन्न चक्रों से रत्न को tune किया जाता है ताकि रत्न वो फल दे सके जिसके लिए पहना गया है|
प्रश्न: कई बार रत्न चटक या crack जाता है या रंग बदल जाता है, इसका मतलब क्या है?
उत्तर: अगर पहना हुआ पत्थर चटक जाये या crack हो जाये तो ये प्रायः आने वाले बुरे समय की सूचना देता है| ऐसे में पत्थर उतार कर अंगूठी से निकलवा कर आदरपूर्वक प्रार्थना आदि के साथ विसर्जन कर दें और दूसरा धारण करें| साथ ही अपनी कुंडली का निरीक्षण करवाएं और यदि किसी शान्तिकर्म की जरूरत पड़े तो उसे करें| रत्न आमतौर पर रंग नहीं बदलता, अगर रंग बदलता है तो हो सकता है रत्न dye किया हुआ हो मतलब कृत्रिम रूप से रंग डाला गया हो|
प्रश्न: पहना हुआ रत्न क्या धारण कर सकते हैं?
उत्त: जी नहीं, पहना हुआ और उतरा हुआ रत्न कभी धारण नहीं करना चाहिये| जिस व्यक्ति ने यह रत्न धारण किया हुआ है, रत्न उस व्यक्ति के चक्रों के द्वारा उसकी energy से tuned है, और वो आपकी energy से clash करेगा|
उम्मीद है रत्नों के सम्बन्ध हमारे दिल में उठने वाले आम सवालों को मैंने यहाँ cover किया है|
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