आधुनिक ज्योतिष में एक विधान है जो आजकल बहुत प्रचलन में है| ये है Lal Kitab.
अपनी अनूठी शैली और सरल उपायों तथा फलादेश की सरलता के कारण ज्योतिष की ये शाखा बहुत अधिक प्रचलित है| ये एक बहुत सरल शैली में लिखी ज्योतिष की किताब है जिसमें जीवन के समस्याओं के लिए बहुत ही सरल और सस्ते उपायों से ग्रहों को अनुकूल बनाया जा सकता है|
ज्योतिष की इस शाखा में जटिल गणितीय समीकरणों और नक्षत्र की विषम गणनाओं को नहीं लिया गया है अपितु काल पुरुष कुंडली या natural zodiac को लिया गया है|
Lal Kitab का इतिहास
Lal Kitab ज्योतिष की एक आधुनिक शाखा है जो बीसवीं शादी के तीसरे दशक से शुरू हुई| इस पद्धति के जन्मदाता पंडित रूपचंद जोशी माने जाते हैं जो जालंधर पंजाब के फरवाला गाँव में जन्मे थे| बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में पंडित रूपचंद जोशीजी ने ज्योतिष के गूढ़ रहस्यों को तत्कालीन प्रचलित लोकभाषा उर्दू में Lal Kitab के जरिये सर्वसाधारण तक पहुँचाने सफल प्रयोग किया| ब्रिटिश शासन के समय पंडितजी डिफेंस एकाउंट्स में कार्यरत हुए और gazetted officer की हैसियत से सेवानिवृत्त हुए| बचपन से ही पढाई और खासकर गणित में पंडित जी बहुत अच्छे थे और scholarship से पढाई करी|
भाषा विज्ञान में पंडितजी को खास रूचि थी और और बहुत उत्साह से उन्होंने उर्दू, अंग्रेजी और पर्शियन भाषाओँ में महारत हासिल करी| उनकी लिखावट बहुत खूबसूरत थी और उनको अच्छी quality के pen से विशेष लगाव था| उनके पास महंगे pens का उत्कृष्ट संग्रह था| वैसे तो पंडितजी बहुत ही सरल ग्रामीण जीवन शैली जीते थे, पर अपने profession में high rank British officers से उनके दैनिक संबंधों ने उनमे उच्च सभ्याचार और अच्छे सूट आदि में विशेष रूचि भी दी| वे धाराप्रवाह अंग्रेजी में बोलते थे|
पंडितजी की ज्योतिष यात्रा हस्तरेखा शस्त्र से शुरू हुई| फिर खगोल विद्या (Astronomy) और ज्योतिष शास्त्र का गहन अध्ययन किया| हस्तरेखा शास्त्र को ज्योतिष से मिलाकर कुंडली को दुरुस्त करने का नवीन और क्रांतिकारी idea Lal Kitab पंडितजी का था| ज्योतिष की कई शाखों को मिला कर एक दुसरे से inter link करके उन्होंने इसे सामुद्रिक शास्त्र कहा की जैसे समुद्र में आकर सब जल स्रोत एक हो जाते हैं वैसे ही ये सामुद्रिक शास्त्र है|
Lal Kitab की विभिन्न कृतियाँ
पंडित रूपचंद जोशीजी ने अपनी पहली महान कृति Lal Kitab 1939 में “समुद्रिक लाल किताब के फरमान” के नाम से सृजन किया| ये कृति समझने में मुश्किल थी क्योंकि ये मुख्य रूप से हस्तरेखा पर आधारित थी और मुद्रण व प्रूफरीडिंग की त्रुटियाँ भी थी|
इसके बाद इनकी दूसरी कृति 1940 में “इल्मे सामुद्रिक की लाल किताब के अरमान” के नाम से आई जो “लाल किताब के अरमान” के नाम से प्रचलित हुई| इस कृति को पहली Lal Kitab से मिलकर पढने की हिदायत तथा किताब के अंत में पहले वाले प्रकाशन का पंक्ति और पेज के हिसाब से संशोधन का विवरण था|
1941 में पंडितजी की लेखनी से “लाल किताब का तीसरा हिस्सा” निकला जो एक सन्दर्भ हवाला या ready reference की तरह था| पहली बार पंडितजी ने आसानी से याद रखने के लिए इस Lal Kitab को काव्य रूप में प्रस्तुत किया| इस कृति के छोटे आकार के कारण पंडितजी इसे “गुटका” कहते थे| अपने इस तीसरे ग्रन्थ में पंडितजी ने अपनी पहली कृतियों – “फरमान” और “अरमान” – के रहस्यों को खोलने का सफल प्रयास किया|
इसके बाद इस महाशास्त्र Lal Kitab की चौथी कृति 1942 में “लाल किताब – तमीमशुदा” आई जो लाल किताब सिद्धांत की सबसे विस्तृत और ब्योरेवार कृति है| और अन्तं में 10 वर्ष के अंतराल के बाद 1952 में “इल्मे सामुद्रिक की बुनियाद पर ज्योतिष की लाल किताब” के नाम से अंतिम कृति आई| Lal Kitab series की इस अंतिम कृति पर पहली बार पंडितजी के भांजे पंडित गिरधारीलाल का प्रकाशक के रूप में और काँगड़ा वासी पंडित आत्मा राम शर्मा का लिपिक के रूप में नाम आया|
सेवा निवृत्ति के बाद पंडित रूचंद जोशी अपने पैदाईशी गाँव में निशुल्क हजारों लोगों की कठिन समस्यों का लाल किताब ज्योतिष की मदद से हल किया| हालाँकि पंडितजी स्वयं लाल किताब ज्योतिष के रचयिता थे, पर किसी कुंडली का समस्या समाधान अपनी Lal Kitab पढ़े बिना नहीं देते थे|
Lal Kitab से ज्योतिष फलादेश
वैसे तो भारतीय वैदिक ज्योतिष अपने आप में सम्पूर्ण विज्ञान है और फलादेश में पूर्ण रूप से सक्षम है, पर सदियों से चले आ रहे ज्योतिष के इस विधान को सीखना व समझना आम आदमी के लिए आसान बात नहीं| गणित की जटिल गणनाएं, कई तरह के वर्ग चार्ट, नक्षत्र, फिर उनके चरण, ग्रहों की डिग्रियां आदि जान कर समझ कर ही आगे बढ़ा जा सकता है|
लाला किताब ज्योतिष पद्धति में सरल तरीके से समस्या को समझना और उसका निवारण है| पर ये पद्धति भी वैदिक ज्योतिष पर ही आधारित है| पारंपरिक प्रचलित ज्योतिष से बनायी गयी कुंडली ही आधार है – बस इस कुंडली को कालपुरुष कुंडली में परवर्तित कर दिया जाता है और जन्म के ग्रहों को वहीँ रहने दिया जाता है|
इसका मतलब लग्न में जो भी राशी हो वहां मेष या एक लिख दिया जाता है और क्रमशः anticlockwise बाकी के ग्यारह राशियों को इनके अंकों को 2..3..4..आदि लिख दिया जाता है पर ग्रहों की स्थिति नहीं बदली जाती| इसे बहुत ही सुन्दर तरीके से लाल किताब में कहा है :-
“राशि छोड़ नक्षत्र भूला, नहीं कोई पंचांग लिया, मेख राशि खुद लग्न को गिनकर, बारह पक्के घर मान लिया”
1952 के इस ग्रन्थ की टीका-टिपण्णी में कहा है – “ज्योतिष के मुताबिक राशियों का लग्न की तबदीली के कारण जन्म कुंडली में घूमते रहने का चक्कर जाता रहा पंचांग की लम्बी चौड़ी गिनती गयी| और आखिर पर फलादेश देखने के वक्त 28 नक्षत्र और 12 राशियाँ भी भुला दी गयी| जन्म कुंडली में इकट्ठे बैठे हुए ग्रह वर्ष फल में भी अलहदा अलहदा न किये गए| जिससे लग्नेश धनेश की पुरानी गिनती का ख्याल स्वतः समाप्त हुआ| ग्रहों का असर इनकी आशिया वस्तुओं, कारोबार या रिश्तेदार के मुतल्लका कायम होने से पक्का होने का भेद जाहिर हुआ जो जरूरत के वक्त मददगार साबित हुआ”|
Lal Kitab के उपाय
उपरोक्त टिपण्णी के आखिरी पंक्ति के मुताबिक इस पद्धति में कुंडली के हर घर व ग्रह के लिए कारक वस्तुएं निश्चित कर दी गयी हैं जिनका असर जातक व उसके परिवार पर होता है| यही नहीं, Lal Kitab की इस पद्धति के अनुसार जातक के घर व उसमे रखे मवेशी, पालतू जानवर पेड़ पौधे और घर का अन्य सामान इत्यादि सभी का असर जातक पर होता है| ग्रहों का प्रत्येक घर में नेक (शुभ) या बद (अशुभ) असर हो सकता है| सभी ग्रहों की अच्छी व बुरी अवस्था को पहचानने की निशानियाँ भी दी गयी है|
जैसा की हर व्यवसाय में होता है और विशेषकर ज्योतिष में, आजकल use से ज्यादा इस ज्ञान का misuse हो रहा है| आजकल उपायों के नाम पर लोगों को डरा कर जरुरत हो ना हो, इन बातों को ध्यान में ना रख कर ज्यादातर लालची लोगों ने इसे भी अंधाधुंध पैसा बनाने का जरिया बना लिया है| Lal Kitab को जैसा आजकल “टोटकों” और उपायों की पुस्तक में तब्दील कर दिया गया है, ऐसा है नहीं|
लाल किताब के उपाय बहुत ही सोच समझ कर वैज्ञानिक तरीके से ईज़ाद किये गए हैं| ग्रहों के कारक, मित्र या शत्रु घर में स्थित ग्रह, परस्पर मैत्री या शत्रुता आदि अनेक असूलों के आधार पर बनाये गए हैं| ये उपाय बहुत जल्द और बेहद असरकार तरीके से काम करते पाए गए हैं| पर इसका मतलब ये नहीं की लाल किताब में हर समस्या का समाधान है, पंडित रूपचंद जोशीजी ने वो उपाय दिये हैं जिनसे बचाव किया जा सकता है, किसी का बुरा नहीं|
लाल किताब के शुरू शुरू में ही इन पंक्तियों को देखिये:-
“बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज है, मगर मौत का कोई इलाज नहीं, दुनियावी हिसाब-किताब है, कोई दावा-ए-खुदाई नहीं”|
इससे आगे कितनी सुन्दरता से इन्सान का अपने कर्मों से रिश्ता बताया है:-
“याद रहे ना रहे, मगर ख्याल जरुर रहे की- इन्सान बंधा खुद से लेख से अपने, लेख विधाता कलम से हो कलम चले खुद कर्म पे अपने, झगडा अक्ल किस्मत हो (यहाँ अक्ल बुध और किस्मत ब्रहस्पत लिखा गया है) क्योंकि लिखा जब किस्मत का कागज, वक्त था वो गैब का भेद उसने गुम था रक्खा, मौत दिन और गैब का ख्याल रखना था बताया, कृतघ्न इन्सान का एवज लड़की लड़का बोला, खतरा था शैतान का”
इसकी टिपण्णी में कहा है –
“हवाई ख्याल की बुनियादी दीवार का मजमून बेशक तुझे मौत का दिन, किसी के भेद या ऐब और माता के पेट में लड़का है या लड़की का इशारा कर देगा| मगर ऐसी बातों का अपने वक्त से पहले ही जाहिर कर देगा तेरे खून को कोढ़ की (बीमारी) का सबूत देगा| क्योंकि दुनिया में अगर इलाज है तो सिर्फ बीमारी का ही है मगर मौत का कोई चारा नही और ज्योतिष भी गैब के वाकफियत का इल्म जरुर है मगर कोई जादू मन्तर नहीं यह सब दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा-ए-खुदाई नहीं अगर है तो सिर्फ अपने जाती बचाव में किसी हद तक रूह की शांति के लिए मदद का जरिया है| मगर किस दूसरे पर हमला करने का हथियार नहीं|
किस्मत के मैदान में अगर कहीं पानी की नाली पीछे से भरी आ रही हो और उसके रास्ते में कोई ईंट पत्थर गिरकर उसकी रवाना को रोक रहा हो तो मजमून की मदद से उस कंकर पत्थर को दूर करके पानी की चाल को दुरुस्त करने की बामौका कोशिश की जा सकती है मगर पानी की मिकदार या किस्मत के मैदान में कोई कमी बेशी नहीं की जा सकती| हाँ इतना जरुर है की यह मजमून बाज औकात अपनी बरकत से किसी प्राणी पर हमला करने वाले जालिम शेर के सामने एक ऐसी गैबी दीवार खड़ी कर देगा जिससे की शेर उसका कुछ बिगाड़ ना सके| फिर भी शेर और ऊँची छलांग से हमला करे तो ये मजमून गैबी दीवार को और भी उंचा करता जायेगा मगर हमला करने वाले शेर पर ना तो गोली चलाएगा ना ही उसकी टांग पकड़ेगा मगर रूहानी मदद से वो शेर थक हार कर खुद ब खुद ही चला जाये या हमले का इरादा ही छोड़ देगा| जिससे दोनों अलहदा अलहदा हो जाने पर वो प्राणी सुख का सांस लेने लगेगा”|
Lal Kitab की इस series को इसी article से शुरू कर रहा हूँ जिससे लाल किताब का background clear हो जाये| आने वाले articles में लाल किताब के उपाय, ग्रह स्थिति और लाल किताब ज्योतिष पर और articles आयेंगे, तो मेरी site पर आते रहिये और जानते रहिये|
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