Mesh Rashi Sankranti सूर्य सौरमंडल के केंद्रबिंदु है जिसके चारों और बाकी समस्त ग्रह प्रदक्षिणा करते रहते हैं| पृथ्वी पर जीवन के कारण सूर्य हैं, पृथ्वी की सूर्य प्रदक्षिणा के कारण ही दिन रात और मौसम आते जाते रहते हैं| सूर्य प्रकाश उर्जा और ताप के स्रोत हैं जिनके बिना पृथ्वी पर जीवन सम्भव नहीं|
सूर्य को शास्त्रों में “प्रत्यक्षदैवम” कहा गया है, मतलब वो देव जो हमारे सामने प्रत्यक्ष हैं – जिन्हें हम नित्य प्रति देख सकते हैं| इन्हें “कर्मसाक्षी” और “सर्वती साक्षी भूतम” भी कहा गया है जो हमारे समस्त कर्मों के साक्षी हैं, witness हैं| सूर्य है तो जीवन है सूर्य नहीं तो पृथ्वी क्या सारा सौरमंडल प्रकाशहीन हो जायेगा और पृथ्वी निर्जीव| ज्योतिष में सूर्य को आत्म कारक कहा गया है|
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सूर्य सौरमंडल में गोचर करते समय जब एक राशी से दूसरी राशी में प्रवेश करते हैं, इसे संक्रमण कहते है, संक्रमण से संक्रांति बनी| वर्ष में बारह राशियों में सूर्य के बारह संक्रमण होते हैं| इनमे दो मुख्य हैं – एक मकर संक्रांति और दूसरी मेष संक्रांति – Mesh Rashi Sankranti.
मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ती है जब सूर्य धनु राशी से मकर राशी (Capricorn zodiac) में प्रवेश करते हैं और सूर्य का उत्तरायण शुरू होता है| उत्तरायण 6 महीने का गोचर है जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध का गोचर करके 6 महीनों के लिए उत्तर अभिमुख होते हैं| उत्तरायण के सूर्य बहुत शुभ माने जाते हैं| महाभारत युद्ध की समाप्ति पर जब भीष्म पितामह इच्छा मृत्यु से जीवन त्याग करने के लिए शरशय्या (तीरों से बनी शय्या) पर लेटे थे, तब वे सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में लेटे थे| इतना शुभ है सूर्य का उत्तरायण होना|
Mesh Rashi Sankranti यानी मेष संक्रांति 14 अप्रैल को पड़ती है जब उत्तरायण का सूर्य मीन राशी का गोचर करके Mesh rashi में प्रवेश करते हैं| Mesh rashi कालपुरुष या natural zodiac की प्रथम राशी या कालपुरुष का उदय लग्न है| मेष से ही ज्योतिष चक्र बारह राशियाँ प्रारंभ होती हैं|Mesh Rashi Sankranti खास संक्रांति है क्यूंकि मेष एक महत्वपूर्ण राशी है, इसी राशी में सूर्य उच्च के होते हैं| कोई भी ग्रह जब अपनी उच्च अवस्था में होता है तो सबसे शक्तिशाली और शुभ माना जाता है|
Mesh Rashi Sankranti
14 अप्रैल को मेष संक्रांति है| इस दिन दिल्ली समय के मुताबिक सुबह 8 13 पर सूर्य मेष राशी में प्रवेश करेंगे| समूचे भारत में सौर कैलेंडर का अनुसरण करने वालों के लिए ये नव वर्ष है| Mesh rashi संक्रांति को महाविषुव संक्रांति से भी जाना जाता है| उड़ीसा में पना संक्रांति, असम में बिहू, बंगाल में पोहेला बोइशाख या नब बर्ष, पंजाब में बैसाखी, तमिलनाडु में पुथांडू और केरला में विशु आदि – इस तरह पूरे भारत में मेष संक्रांति नव वर्ष से जुडी है| मेष संक्रांति ग्रीष्म ऋतू का आगमन भी है| Official रूप से इस दिन से गर्मी की शुरुआत होती है|
Mesh Rashi Sankranti का सूर्य अर्घ्य
वैसे तो सूर्य को नित्य अर्घ्य देना अच्छा है पर Mesh rashi संक्रांति का अर्घ्य विशेष है| इस दिन सुबह जल्दी उठा कर स्नानादि से शुद्ध होकर, शरीर पर हो सके तो कोई लाल वस्त्र धारण करें, फिर ताम्बे (copper) के लोटे में जल भरें| फिर इस जल में लाल चन्दन, थोडा कुमकुम और लाल फूल, जैसे गुलाब की पत्तियां डालें| फिर पूर्व की और मुंह करके दोनों हाथों से लोटे को सर से ऊपर उठा कर धीरे धीरे जल की धारा बना कर 7 बार में जल चढ़ाएं| यदि अपने घर में सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं तो जल के गिरने की जगह कोई बर्तन या बाल्टी रख लें, और एकत्रित जल को किसी गमले पौधे या पेड़ पर डालें|
सूर्य को अर्घ्य देते समय गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें| यदि गायत्री मन्त्र जपने में मुश्किल हो तो सिर्फ “ॐ सूर्याय नमः” “ॐ आदित्याय नमः” का जाप करते रहें| सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए निम्न मंत्र का जितना हो सके, जाप करें:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः| (Om hraam hreem hraum sah sooryaay namah)
Mesh Rashi Sankranti के उपाय
- यदि जन्म कुण्डली मे सूर्य नीच का है तो Mesh Rashi Sankranti के दान का विशेष महत्व है| जरुरतमंदों को इस दिन गेहूं, copper की कोई वस्तु और गुड का दान शुभ है| इस दान से स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का भी निवारण होगा|
- बहते पानी में copper का सिक्का बहाना भी कुंडली के नीच के सूर्य के लिए इस दिन शुभ है|
- पुण्य तीर्थों पर स्नान और उपरोक्त बताये गए तरीके से सूर्य अर्घ्य हर राशि के जातक के लिए शुभ फल देने वाला है| चन्द्र से तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें घर में सूर्य का Mesh rashi गोचर अति शुभ है|
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