प्रेम विवाह यानी Love Marriage आज के आधुनिक समाज में एक आम बात है। Facebook, Twitter आदि Social Media And Online Dating के आज कल के समय में रिश्ते बड़ी तेज़ी से बनते हैं और कई Cases में उसी तेज़ी से समाप्त भी हो जाते हैं । Most Cases में लड़का-लड़की एक-दूसरे से Attract होते हैं, और विवाह जैसे गंभीर विषय को Lightly लेकर एक दूसरे के साथ Commit हो जाते हैं, लेकिन जल्दी ही उनके लिए इस रिश्ते को निभा पाना मुश्किल होने लगता है। Divorce and Astrology के इस Post में आज एक Real Life Case Study से इसे समझते हैं।
विवाह हमारे यहाँ सिर्फ दो व्यक्तित्व का ही नहीं किन्तु दो परिवारों का भी मिलन होता है और सामाजिक मान्यताओं के अनुसार कई बार रिश्ते निभाने इतने मुश्किल हो जाते हैं कि बात बिगड़ते-बिगड़ते लड़ाई-झगडे शुरू होकर अन्त में Divorce तक पहुँच जाती है और Arrange Marriage की तुलना में Love Marriage के Cases में ऐसा ज्यादा होते देखा गया है।
क्यों ?
Astrological Point of View से देखें तो Love Marriage के Cases में ज्यादातर परिस्थितियों में शादी से पहले लड़के-लड़की की कुंडली का मिलान नहीं होता, क्योंकि उस Level से पहले ही लोग Commit हो जाते हैं, और कहीं कुंडली मिलान हुआ और कोई Negativity दिखी, तो या तो उसे फालतू के ज्ञान से Ignore देते हैं या उपाय बेचने वाले ज्योतिषियों से Quick-Fix उपाय करवा लेते हैं, लेकिन ये उपाय कारगर होते, तो आज के समय में इतने Divorce नहीं हो रहे होते।
कुंडली में Love Marriage के क्या combinations है, इस आर्टिकल में देखिये: https://www.ratnajyotish.com/love-marriage-in-kundli/
कुछ समय पहले एक बहुत ही Attractive, Smart और Working Couple का एक ऐसा ही Love Marriage का Case मुझे मेरे एक Client ने Refer किया था। जातक का जन्म 15 जुलाई 1990 शाम 19:40 हरियाणा में हुआ था जबकि जातिका का जन्म 19 मई 1992 19:10 NCR में हुआ था।
जब जातक पहली बार मेरे पास आया था तो Consultation के बाद मैंने उसे कुछ असंतुष्ट पाया जो की मेरे साथ होता नहीं है। उसकी Personality भी कुंडली से सही तरह Match नहीं कर रही थी। मेरे फलादेश में ज्यादा फर्क वैवाहिक जीवन में आ रहा था। मैंने बताया था की Marriage Life एक Average Marriage Life होगी, जैसी की ज्यादातर Normal लोगों की होती है। मेरी बात सुनकर उसने कहा:
(जातक के ही शब्दों में) – सर! बाकी सब तो चलो छोड़ भी दें, पर मेरी Married Life की तो वाट लगी पड़ी है।
जबकि ये उस स्थिति में जब जातक और जातिका शादी से पहले से एक दूसरे को जानते थे और काफी समय Dating के बाद उनका विवाह हुआ जिसे हम Love Marriage कह सकते हैं।
जब मैंने देखा कि जातक वैवाहिक जीवन के संदर्भ में मेरे Consultation से पूरी तरह से असंतुष्ट है, तो मैंने फटाफट प्रश्न कुंडली बनाई क्योंकि कई बार लोग अपने Birth Detail के बारे में पूरी तरह से Sure नहीं होते और उस स्थिति में प्रश्न कुंडली एक बहुत ही उपयोगी Tool की तरह काम आता है।
इसलिए जब जातक की वैवाहिक स्थिति को प्रश्न कुंडली पर देखा तो वाकई प्रश्न कुंडली में विवाह का सप्तम भाव बुरी तरह पीड़ित दिखाई दे रहा था, जिससे मुझे उसकी Birth Details के Correctness पर कुछ शक हुआ क्योंकि उसके व्यक्तित्व में भी फर्क दिख रहा था। मैंने जातक से फिर से उसकी Birth Details को Accuracy के लिए चेक करने को कहा, लेकिन जातक अपनी Birth Details की Correctness के प्रति 100% आश्वस्त दिखाई दिया।
जातक का अपनी Birth Details के Accurate होने प्रति जो आत्म विश्वास था, उसे देखकर मुझे उसकी Birth Details पर सवाल उठाने का प्रश्न ही नहीं था। लेकिन जन्म कुंडली और प्रश्न कुंडली के बीच वैवाहिक जीवन के संदर्भ में जो जमीन-आसमान का अन्तर आ रहा था, उससे मैं सचमुच बहुत ही ज्यादा Confuse था।
So अब मैंने थोड़ा और गहराई में जाने का विचार किया और जातक-जातिका दोनों का “अष्ट कूट मिलान” बनाया तो जातक-जातिका दोनों के 36 से 25 गुण मिलान निकले, जिसे वैदिक ज्योतिष में बहुत ही अच्छा व संतुष्टि पूर्ण मिलान माना जाता है। इसलिए इस अष्ट कूट मिलान के बाद तो मेरी Confusion और भी ज्यादा बढ़ गई। अब स्थिति ये हो गई थी कि जातक का असंतुष्ट वैवाहिक जीवन और Personality Reading अब केवल उसके लिए ही नहीं बल्कि मेरे लिए भी एक समस्या बन गई थी।
ये कुंडली मेरे Astrological ज्ञान व अनुभव के लिए एक Challenge बन गया था। बहुत Confusion था, ये हो क्या रहा था – जातक की समस्या को प्रश्न कुंडली सही तरह से बता रहा था, जिसे जातक भी मान रहा था, लेकिन जन्म कुंडली में वो नहीं दिख रहा था जो प्रश्न कुंडली और जातक बता रहे थे जबकि जातक दोनों की Birth Details की Accuracy के विषय में 100% Confident था।
इसलिए अब मेरे पास एक ही रास्ता था कि मैं अपने जीवन काल के सम्पूर्ण ज्योतिषीय अनुभव व ज्ञान का उपयोग करते हुए और ज्यादा गहराई में जाकर इस कुंडली का विश्लेषण करूं, जिसके लिए मैंने वर्ग कुंडलियों को Computer Software के बजाय Manually हाथ से बनाने का निर्णय लिया क्योंकि जब जन्मकुंडली व प्रश्न- कुंडली दोनों के फलादेश में कभी इस तरह का अन्तर निकलता है, तब वर्ग कुंडलियों में देखना पड़ता है, क्योंकि वर्ग कुंडलियाँ एक तरह से Microscope की तरह होती हैं और क्योंकि वर्ग- कुंडलियों के Manual Calculation में बहुत ही ज्यादा समय लगता है, इसलिए मैंने उस जातक को दो दिन बाद दोबारा आने का Appointment Time देकर विदा कर दिया।
किन्तु मुझे और ज्यादा गहराई में जाकर उन कुंडलियों की वर्ग-कुंडलियाँ Manually Create करने की जरूरत ही नहीं पड़ी क्योंकि उसी दिन शाम को जातक का फोन आया कि उसके जन्म के समय जिस पंडित ने उसकी जन्म कुंडली बनाई थी, जातक को उस पंडित द्वारा बनाया गया टेवा मिल गया है, जिसमें हिंदी की देवनागरी लिपी में जन्म समय पंडित के हाथ से लिखा हुआ है, जो कि शाम के 7:40 का है क्योंकि उस पंडित ने जन्म समय 19:40 ना लिख कर “सूर्यास्त पश्चात जन्म समय ७ ४०” लिखा था और जातक ने इस समय को 07:40 (सुबह) का मान लिया था, यानी जातक ने अपना जन्म समय 12 घण्टे बाद का दिया था जो कि पूरी तरह से गलत था।
इसलिए अब जब इस नए व सही समय के अनुसार जन्मकुंडली बनी, तो स्थिति एकदम स्पष्ट हो गई क्योंकि अब जन्मकुंडली भी वही वैवाहिक स्थिति दिखा रही था जो प्रश्न कुंडली में दिखाई दे रहा था। इस नए समय की जन्मकुंडली मिलान के अष्ट कूट गुण मिलान में केवल 12 गुण मिलान निकले थे, जो कि किसी भी स्थिति में वैवाहिक जीवन के लिए शुभ व संतुष्टि पूर्ण नहीं थे।
चूंकि ये एक Interesting Love Marriage Case था, इसलिए अब जबकि हमारे पास दोनों कुंडलियों के Exact Birth Details हैं, Astrologically ये समझना काफी Interesting है कि किस तरह से ग्रहों की विभिन्न स्थितियाँ अपना खेल खेलती हैं, दो अनजान लोगों के बीच आकर्षण पैदा करती हैं, विभिन्न प्रकार की परेशानियों से दो-चार करवाती हैं, लम्बे समय तक Dating करवाती हैं, विवाह के पवित्र बंधन में बंधवाती हैं और फिर जल्दी ही इस प्रेम-कहानी का दु:खद अन्त करवाते हुए Love Marriage को Divorce तक भी पहुंचा देती हैं।
आकर्षण
वर्तमान समय में जो Fast Track प्रेम चल रहा है, वो ज्यादातर बार केवल आकर्षण मात्र ही होता है। इसलिए Astrologically ये समझना काफी उपयोगी है कि कौन सी ग्रह स्थितियां दो लोगों के बीच केवल आकर्षण पैदा करवाती हैं और कौन सी ग्रह-स्थितियां वास्तव में सच्चे प्रेम को इंगित करती हैं।
इन दोनों की कुंडली में कई ऐसे योग हैं जो एक दूसरे के प्रति आकर्षण का कारण बने और इन दोनों को इतना उत्साहित कर दिया कि इन्होंने अपने आकर्षण को प्रेम समझा और फिर सभी का विरोध सहते हुए भी उस प्रेम को Love Marriage में परिवर्तित कर लिया।
पुरुष कुंडली में शुक्र स्त्री का कारक होता है और स्त्री कुंडली में गुरु (ब्रहस्पति) पुरुष का। पंचम भाव प्रणय का और Love Feelings का भी भाव है और इस भाव/भावेश से सप्तम भाव/भावेश (विवाह) का सम्बन्ध Love Marriage को Indicate करता है।
इस Native की कुंडली में पंचम भाव शुक्र की राशी वृषभ है जो लड़की का सप्तम भाव है और लड़की की कुंडली का पंचम भाव मीन राशी है जिसका स्वामी गुरु लड़के की कुंडली में शुक्र के साथ स्थित है।
लड़की की कुंडली में गुरु चन्द्र को दृष्ट कर रहा है जो लड़के का सप्तमेश है और साथ ही शुक्र को भी जो लड़के का पंचमेश है। तो दोनों कुंडलियों में परस्पर पंचमेश एवं सप्तमेश का सम्बन्ध इन दोनों Mutual Attract तो करना ही था!
दोनों कुंडलियों में परस्पर पंचमेश एवं सप्तमेश का कई तरीकों से जो सम्बन्ध बन रहा है, इसी की वजह से इन दोनों के बीच Mutual Attraction हुआ और वे एक दूसरे से इतना आकर्षित हुए कि अपने आकर्षण रूपी प्रेम को Love Marriage के बंधन में परिवर्तित कर लिया।
दोनों की कुंडली में शुक्र की महादशा के अन्त में ही Love Affair भी चला क्योंकि शुक्र प्रणय -विवाह आदि का कारक हैI यदि यही Love Affair सूर्य की महादशा में चलता तो विवाह तक नहीं पहुँचता क्योंकि जन्म कुंडली के combination की वजह से Attraction Based Love Affair तो होता पर सूर्य जैसा आग्नेय और Egoistic ग्रह Breakup भी करा देता।
विवाह
तक़रीबन 8-9 वर्षों के Relation के पश्चात 29 जनवरी 2019 को ये Love Story – Love Marriage में परिवर्तित हुई। लड़के की कुंडली में दशा थी सूर्य-राहू–चन्द्र। चन्द्र जातक के विवाह के भाव का स्वामी होकर प्रत्यंतर दशा (Sub-Sub Period) का स्वामी है जो Most Immediate फल देने वाला ग्रह होता है तो सप्तमेश चन्द्र ने अपनी प्रत्यंतर दशा में अपना काम किया और इस Love Marriage को फलीभूत किया। उस दिन का अंतर दशानाथ राहू भी विवाह के भाव को दृष्ट कर अपना Role निभा रहा है| महादशानाथ सूर्य तो बैठा ही विवाह के कारक शुक्र के साथ है।
पर दशा Pattern में अंतरदशानाथ राहू सूर्य और चन्द्र दोनों का शत्रु ग्रह है, और विवाह के दिन गोचर में चन्द्र मंगल की वृश्चिक राशि में नीच अवस्था में था – Result ? विवाह के दौरान ही रिश्तेदारों में कहा सुनी और झगडे का माहौल बन गया।
जातिका की कुंडली में विवाह के दशा थी सूर्य–बुध–गुरु। महादशानाथ सूर्य विवाह के भाव में, अंतरदशानाथ बुध और सप्तमेश शुक्र को गुरु की दृष्टि जो स्वयं प्रत्यंतर दशानाथ था – परिणामस्वरूप दशा Pattern ने यहाँ भी अपना काम किया।
जातक की गोचर कुंडली में सप्तमेश चन्द्र नीच का, लड़की की गोचर कुंडली में उस दिन सप्तमेश शुक्र अपने आखिरी अंश में मंगल की वृश्चिक राशी (कालपुरुष का अशुभ अष्टम भाव) में नीच के चन्द्र और गुरु के साथ स्थित था – इन ग्रह स्थितियों ने विवाह के समय उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थिति को सुधारने या प्रतिकूल परिस्थितियां बनने से रोकने में कोई Help नहीं किया, बल्कि बनने वाली प्रतिकूल परिस्थितयों को बढ़ाने के लिए एक तरह से आग में घी की तरह काम किया।
Love And Marriage के कारक शुक्र की महादशा में परस्पर आकर्षण से उपजा ये प्रेम सम्बन्ध देश-काल-पात्र के अनुरूप सही उम्र में सूर्य की महादशा में विवाह के पवित्र बंधन में बंध गया। विवाह के समय लड़की 26 वर्ष Cross कर गयी थी और इनके समाज में यह अब Late हो रहा था।
सम्बन्ध विच्छेद के कुछ Astrological Reasons
Actually पाप ग्रहों या क्रूर ग्रहों का विवाह के सप्तम भाव से, इस भाव के स्वामी से या कारक शुक्र से किसी भी तरह का सम्बन्ध वैवाहिक भाव को पीड़ित (Afflict) कर विवाह सम्बन्ध-विच्छेद (Divorce) करा सकता है। इसमें भी सूर्य और मंगल अपना Role काफी Aggressive तरीके से Play करते हैं। वैवाहिक जीवन में मंगल कहीं माफ़ी के लायक नहीं है, विशेषकर स्त्री की कुंडली में। ये Affliction सिर्फ जन्म कुंडली में नहीं बल्कि चन्द्र कुंडली और नवांश कुंडली में भी देखनी होती है तभी सही और सम्पूर्ण विश्लेषण हो सकता है ।
चलिए, अब ये भी देखते हैं कि किन Astrological Patterns की वजह से इन दोनों का Love Marriage ठीक से नहीं चल पाया और जल्दी ही दोनों में Divorce हो गया।
जातक की कुंडली में
सप्तम भाव राहू केतु के अक्ष में है, सप्तम भाव में केतु स्थित है और ये भाव मंगल से दृष्ट भी है, जिसके कारण सप्तम भाव काफी पीड़ित है। सप्तम का स्वामी चन्द्र मेष राशी में मंगल के साथ स्थित है – परिणामस्वरूप लग्न कुंडली का सप्तम भाव और सप्तमेश दोनों पीड़ित है।
जातक का लग्नेश शनि और जातिका का लग्नेश मंगल परस्पर शत्रु है। जातिका का सप्तमेश शुक्र जातक के सप्तमेश चन्द्र का नैसर्गिक शत्रु है। परिणामस्वरूप दोनों के लग्नेश सप्तमेश परस्पर शत्रु ग्रह हैं, विवाह के बाद Personality Clash को निश्चित करेगा।
विवाह का कारक शुक्र कुंडली के छठे भाव में शत्रु ग्रह सूर्य और गुरु के साथ है और बारहवें भाव में स्थित वक्री शनि से दृष्ट भी है। परिणामस्वरूप लग्न कुंडली में विवाह कारक शुक्र भी पीड़ित है।
इसी तरह से चन्द्र कुंडली में चन्द्र मेष राशि में मंगल की युति में होने से चन्द्र कुंडली का लग्न भाव पीड़ित। चन्द्र से सप्तम – तुला राशी, मंगल से दृष्ट होने से चन्द्र कुंडली का सप्तम भाव पीड़ित है। साथ ही चन्द्र कुंडली का सप्तम भाव तुला का स्वामी शुक्र, चन्द्र से तीसरे भाव में सूर्य और गुरु के साथ युत व नवम भाव के वक्री शनि से दृष्ट होने से चन्द्र कुंडली में भी विवाह का कारक शुक्र पीड़ित है।
और अन्त में नवांश में जन्म कुंडली का सप्तमेश चन्द्र मंगल की राशी मेष में स्थित होने से पीड़ित है साथ ही जन्म कुंडली के लग्नेश शनि पर इसके परम शत्रु सूर्य, मंगल एवं गुरु की दृष्टि भी है।
जातिका की जन्म कुंडली में
सप्तम भाव वृषभ राशी में विच्छेदकारी ग्रह सूर्य, सप्तमेश शुक्र कुंडली के दुश्स्थान छठे भाव मेष राशी में मंगल के साथ युत – परिणामस्वरूप लग्न कुंडली का सप्तम भाव और सप्तमेश दोनों पीड़ित है।
विवाह का कारक शुक्र छठे भाव मेष में मंगल के साथ – विवाह का कारक पीड़ितI लग्नेश और सप्तमेश परस्पर शत्रु ग्रह।
चन्द्र कुंडली राहू केतु के अक्ष में पीड़ितI चन्द्र से सप्तम मिथुन राशी में केतु और इसके स्वामी बुध पर राहू की दृष्टि – परिणामस्वरूप चन्द्र से सप्तम और सप्तमेश पीड़ित।
नवांश कुंडली के लग्न में सूर्य की सिंह राशी जिसमे शनि स्थित है और नवांश के सप्तम भाव में सूर्य। शनि और सूर्य के बीच सम सप्तक दृष्टि। नवांश में सप्तम भाव और सप्तमेश पीड़ित
विवाह सूर्य की महादशा में संपन्न हुआ जिस दिन चन्द्र नीच का था। सूर्य एक Egoistic Planet जो सौरमंडल का राजा है। सूर्य की महादशा में Generally देखा गया है की Ego Prime रहती है विशेषकर यदि सूर्य का सम्बन्ध लग्न से आ रहा हो जो की दोनों कुंडलियों में है।
इसी Ego और No Compromise की Attitude की वजह से विवाह के कुछ ही समय पश्चात लड़ाई झगडे और Misunderstandings का माहौल बनना शुरू हो गया, Family में Adjustment की Problems शुरू हो गयी।
Actually जुलाई 2019 में जातक की कुंडली में सूर्य की महादशा और गुरु की अंतरदशा में केतु की प्रत्यंतर दशा शुरू हुई जिसे गुरु-चंडाल दशा भी कहते हैं। विवाह के भाव में बैठा केतु जीवन में Misunderstandings, Disharmony और Mistrust का जहर घोलने लगा। जातक की पत्नी का जातक के दोस्तों से खुल कर व्यवहार करना, Party आदि में खुल कर खाना पीना आदि से Mistrust का वातावरण बनता गयाI घर परिवार की सलाह और Interference ने और आग में घी का काम किया।
ये जातक मेरे पास अगस्त 2019 में आया था जब तक इनकी पत्नी उपरोक्त कारणों से अपने मायके जा चुकी थी तथा स्थिति बिलकुल Stalemate थी मतलब समझौते की सारी कोशिशें नाकाम और किसी तरह का कोई Touch नहीं।
उस समय जातक की कुंडली में सूर्य-गुरु-शुक्र और इनकी पत्नी की कुंडली में सूर्य-केतु-बुध का समय चल रहा था। दशा Pattern से मुझे दिख गया था कि समझौते की कोई गुंजाइश नहीं बची है। मैंने जातक को Exactly यही बता भी दिया था कि रिश्ता बनाए रखने की उम्मीद करने का कोई फायदा नहीं है। दोनों की जन्म कुण्डली, दशा – अन्तदर्शा व गोचर में कहीं किसी में भी कोई स्थिति ऐसी नहीं बन रही है, जिससे ये रिश्ता बच सके।
मेरे ऐसा कहने के बावजूद जातक अपने इस रिश्ते को बनाए रखना चाहता था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद भी दोनों के बीच बातचीत का कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा था क्योंकि जातिका की तरफ से संपर्क के सभी साधनों के साथ ही मोबाइल नंबर तक Block कर दिया गया था।
इसी दौरान जातक ने किसी Online ज्योतिषी से Consult किया जिसने काफी पैसे लेकर Patch-up कराने के लिए कुछ उपाय बताए और मन्त्र आदि दिया, जिसे जातक ने बताये गए तरीके से किया भी, पर कुछ काम न आया, क्योंकि ग्रहों ने कहानी कुछ और ही लिख रखी थी और ये Astrological उपाय भी तभी काम करते हैं, जब जन्मकुंडली, दशा-अन्तर व गोचर में से कुछ तो Favourable हों। अगर सब कुछ विरोध में ही हो, तो किसी ज्योतिषीय उपाय का भी कोई मतलब नहीं बचता और वो होकर रहता है, जिसे नियति ने तय किया है।
इस Stalemate को तोड़ने के लिए और दूसरी Party से कोई Reaction निकलवाने के लिए मैंने जातक से नवम्बर 2019 में अपनी पत्नी के ऑफिस फूल और Sorry Card भिजवाया, जब गुरु जातक की गोचर कुंडली के अशुभ अष्टम भाव से शुभ नवम भाव में आ गया था और इनकी पत्नी की चन्द्र राशी मेंI गुरु गोचर में शुभ था, हालाँकि उम्मीद कम थी पर इस Stalemate को तोडना था और जातक Desperate था स्थिति को जानने के लिएI इस कोशिश का ये नतीजा निकला की वो सब इकट्ठे होकर आये और जातक के घर पर खूब हंगामा किया और पत्नी अपने गहने, जेवर आदि लेकर चली गयी।
इस घटना के बाद जातक ने मुझे बिना बताये दिसम्बर 2019 के पहले हफ्ते में एक बार फिर समझौते के लिए मीटिंग की जो मार पीट तक पहुँच गयी क्योंकि उस समय जातक की पत्नी की कुंडली में सूर्य-शुक्र-मंगल चल रहा था और जातक का सूर्य-गुरु-राहू, बातचीत के लिए उचित समय नहीं था यह।
दिसम्बर 2019 में Police Case हुआ, अब जातक भी Mentally Prepare हो चुका था Divorce के लिए, तब मैंने विवाह मोचन के लिए इन्हें “बंदी मोचन मन्त्र” दिया और इन्होने पूरे मन विश्वास से इसे करना शुरू किया। Mediation में बात फंसी क्योंकि दूसरी Party बहुत अधिक Demand कर रही थीI तब मैंने इनके नाम नक्षत्र पर “शत्रु निवारण अर्चना” और “दुरिदा निवारण अर्चना” करवाई जिसके बाद Demand में कमी आनी शुरू हुई।
दिसम्बर 2019 के अन्त से जातक की सूर्य-शनि दशा शुरू हुई। अन्तर दशानाथ शनि कुंडली का लग्नेश होकर व्यव एवं हानि के भाव में बैठा है और जातक को बता दिया गया था की जब फरवरी 2020 में सूर्य-शनि में सप्तम भाव में बैठे बुध की प्रत्यंतर दशा शुरू होगी, विवाह से सम्बन्धित खर्चा/हानि के लिए तैयार रहो। मेरे बताये अनुसार मार्च 2020 में एक अच्छे खासे Settlement के बाद Finally Divorce फाइल हो गया जो इस वर्ष के अन्त तक विवाह विच्छेद में परिवर्तित हो जायेगा।
समाधान
हालांकि सबसे बेहतर स्थिति तो यही है कि विवाह हमेशा कुंडली मिलान करवाने के बाद ही हो और यदि कुंडली न मिले, तो ऐसा विवाह न किया जाए। लेकिन प्रेम विवाह की परिस्थिति में कुंडली मिलान केवल एक औपचारिकता मात्र ही होती है क्योंकि जातक व जातिका किसी भी स्थिति में विवाह करते ही हैं, चाहे कुंडली मिले चाहे न मिले।
तो क्या इस Loving Love Story का यही अन्त निश्चित था?
क्या कुछ समाधान हो सकता था?
क्या कुछ किया जा सकता था, जिससे ये Divorce होने से बच जाता?
हर समस्या के लिए किसी न किसी तरह का समाधान तो होता ही है। बारिश आना स्वाभाविक है, हम इसे नहीं रोक सकते। लेकिन छतरी का उपयोग करके हम स्वयं को बारिश में भीगने से तो बचा ही सकते हैं। ठीक इसी तरह कुंडलियों के ग्रह-दोषों को तो नहीं मिटाया जा सकता, लेकिन छतरी के रूप में इस प्रेम विवाह को बचाने के लिए भी किसी न किसी तरह का समाधान जरूर Try किया जा सकता था। कुछ स्थितियों या परिस्थितियों को जरूर बदला जा सकता था, कुछ खराब ग्रह दशा के समय को टालने का प्रयास जरूर किया जा सकता था।
यदि ये विवाह शुक्र की महादशा में ही हो जाता तो स्थिति में बदलाव हो सकता थाI दोनों Already लम्बे समय में Relation में थे, थोडा पहले हो जाता तो हो सकता था की Separation होता, लड़ाई झगडे के बाद Compromise हो जाता।
इसी तरह से विवाह की तिथि के दिन चन्द्र नीच का था, नीच का चन्द्र सही दिशा में सोचने नहीं देता, अगर सही तरीके से Date निकाली जाती तो विवाह के दिन कलह से बचा जा सकता था, जो कि संभवतया वैवाहिक जीवन की शुरूआत को ही इतना कड़वा अनुभव न बना देता, और शायद ये कड़वा अनुभव अन्त में Divorce तक न पहुंचता।
विवाह के ठीक उपरांत अगर ये मेरे पास आये होते तो मैं इस Couple को अपना “मांगल्य गणपति सेट” स्थापित करवा कर इनकी पत्नी से “मंगला गौरी” पाठ कराता और इनसे “सप्तश्लोकी दुर्गा” का सम्पुट पाठ करवाता, जिससे मंगल शांति होकर इनके जीवन में सुख शान्ति आती। इनको 10 रत्ती का शुद्ध मोती पहनाता और इनकी पत्नी को 7 रत्ती का सफ़ेद पुखराज, जिससे इनके सप्तम भाव के स्वामियों को सकारात्मक बल मिलता और नकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रह कुछ कमजोर हो जाते। जिसके परिणामस्वरूप इनके वैवाहिक जीवन में यदा-कदा लड़ाई-झगड़े, तू-तू मैं-मैं तो होती, लेकिन सम्भवतया Divorce नहीं होता और यदि Divorce होता भी, तो इतने कलुषित तरीके से नहीं होता।
ये जातक जितनी बार भी मुझसे Consultation के लिए मिले अथवा Telephonic संपर्क किया, हर Consultation के बाद इन्होंने मेरा Consultation Charge देने में कभी आनाकानी नहीं की। यहां तक कि यदि Phone पर भी कभी कोई Consultation किया, तो उस Telephonic Consultation के लिए भी इन्होंने हमेशा पूरी Consultation Fee Pay की, जो कि सामान्यतः: Appointment से आकर Meeting करने वाले लोग करते हैं।
बल्कि जिस दिन मैंने इनसे इनकी Wife को फूल और Card भिजवाकर संपर्क करने का एक अंतिम प्रयास करने के लिए कहा था और जिसके बाद इनके घर पर हंगामा हुआ था, उसके बाद जब ये मुझसे मिले, तो ये मेरी Consultation Fee के रूप में एक लिफाफे में 4200/- रुपए डाल कर लाये थे, जो कि मेरी दक्षिणा यानी Consultation Fee का Double था। जब मैंने हैरान होकर पूछा कि Negative Effect आने के बावजूद भी Double दक्षिणा क्यों? तो इनका जवाब था कि सर! ये करने से Case तो आगे बढ़ा वरना पता नहीं कब तक ये Stalemate चलता रहता और मेरी जान अटकी रहती।
हालांकि ये जातक Genuinely अपनी Marriage को बचाए रखना चाहता था, लेकिन जब कोई रास्ता नहीं बचा और Divorce के लिए ये Case अपने Final Settlement Amount के साथ Court में File हो ही चुका है, तो 2020 के अन्त तक इस Case का Final Result आने यानी Divorce Complete हो जाने की पूरी सम्भावना हैI
Case File हो जाने के बाद अंतिम बार जब मेरी इस जातक से बात हुई थी, तब ये पहले की तुलना में कहीं अधिक शांत और सुलझा हुआ महसूस हो रहा था। शायद! इस जातक के जीवन में शान्ति के लिए भी जरूरी था कि इसकी Love Marriage का अन्त Divorce पर ही हो जाए।
Conclusion
एक Astrologer के रूप में मैं किसी का भाग्य तो नहीं बदल सकता, लेकिन जातक की किसी समस्या का सही समाधान कब और कैसे हो सकता है, अथवा क्या उपाय किए जा सकते हैं ताकि स्थितियों में कुछ सुधार हो सके, इस विषय में सहायता जरूर कर सकता हुं, ताकि जातक की परेशानियों थोड़ी कम हो सकें और उसमें उन परेशानियों को सहन करने की क्षमता आ सके।
यदि आप भी ऐसी ही किसी तरह की परेशानी में उलझे हुए हैं और कोई सही उपाय, सही समाधान या सही रास्ता समझ में नहीं आ रहा है, तो मुझसे WhatsApp Number (9958607444) पर संपर्क कर सकते हैं जहां मैं (आचार्य शशि धरन नायर) स्वयं आपके ग्रहों की चाल के आधार पर आपकी समस्या के समाधान के लिए किए जा सकने वाले उपयुक्त उपाय व सही समय का चुनाव करने में आपकी मदद करता हूँ।
और इस Post को पढ़कर आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि एक समस्या को ठीक से समझने व उसका सही समाधान निकालने के लिए एक Astrologer को कितना Analysis करना पड़ता है और इस Analysis में लगने वाले समय के लिए मात्र INR 2100/- का Consultation Fee Pay करके आप भी मेरे पूरे जीवन के ज्योतिषीय ज्ञान व अनुभव का लाभ Personal Consultation के रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
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