Shradh 2016 – इस साल पितृ पक्ष यानी महालय पक्ष यानी Shradh 2016 शुरू हो रहा है 17 सितम्बर 2016 को, और 30 सितम्बर 2016 को आखिरी श्राद्ध है| Technically देखा जाये तो इस बार श्राद्ध 16 सितम्बर पूर्णिमा श्राद्ध से शुरू होगा, पर पूर्णिमा तिथि 03:15 से शुरू होगी तो सही मायने में श्राद्ध 17 सितम्बर से ही मानेंगे जब महालय पक्ष शुरू होगा|
शास्त्रों के अनुसार ये वो समय है जब हमारे पितृगण पृथ्वी पर अपने वंशजों से तर्पण की इच्छा ले कर आते हैं| पितरों के आशीर्वाद और कृपा के बिना जीवन में उन्नति हासिल नहीं की जा सकती|
Shradh 2016 पंद्रह दिनों का वो सुअवसर है जिसमे हम अपने पितरों को तृप्त कर उनसे जीवन के खुशियाँ आशीर्वाद के रूप में प्राप्त कर सकते हैं| जो कर्म हमें इस जन्म में स्वास्थ्य, धन, career और रिश्तों आदि में प्रतिकूल असर डाल रहे हैं, उन्हें महालय पक्ष में तर्पण के द्वारा शांत किया जा सकता है|
श्राद्ध क्यों किये जाते हैं?
पुराणों के अनुसार ऋषि मुनि और महान योगी तक महालया पक्ष का इन्तजार करते हैं ताकि पितृ तर्पण कर सकें और पितृ ऋण उतार सकें| Shradh 2016 में किया गया तर्पण दो तरह के पितृ कर्म का नाश कर हमारे जीवन में चमत्कार कर सकता है – एक कर्म है पितरों के आत्मा की मुक्ति के रूकावट को हटाना और दूसरा कर्म है पितरों के आशीर्वाद को हम तक पहुँचने की रूकावट हटाना|
पितृ एक अत्यधिक विकसित पूर्वज अस्तित्व हैं जो धार्मिक रूप से इतने उच्च हैं की वे अपने वंशज के आत्मा के उत्थान का काम करते हैं| जीवन की समस्त खुशियों और शुभ फलों के लिये पितरों के आशीर्वाद की आवश्यकता रहती है| अपने पूर्वजों को कृतज्ञता से याद करना और उनकी मुक्ति के लिये कर्म करने से हम उनके ऋणों से मुक्त हो सकते हैं और जिस कर्मानुबंधन से जुड़े हैं, उससे मुक्त हो सकते हैं|
इन्ही स्वर्गवासी आत्माओं की शान्ति के लिए और उन्हें पितृ लोक से अगले लोकों में प्रस्थान के लिये पितृ तर्पण उनके वंशजों द्वारा किया जाता है| हिन्दू धर्म में ये एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, पर धार्मिक अनुष्ठान ना भी मानें तो ये किसी के द्वारा भी किया जा सकता है क्यूंकि आप अपने अपने दिवंगत पूर्वज, जिनके genes से आप बने हैं, उन्हें याद कर रहे हैं, उनसे जुड़ रहे हैं|
Shradh 2016 कब शुरू होगा?
महालय पक्ष 17 सितम्बर 2016 से शुरू होगा जब चंद्रमा कालपुरुष की बारहवीं राशी तथा मोक्ष और निर्वाण की राशी मीन में प्रवेश करेंगे| चंद्रमा इस दिन न्याय और अध्यात्म के कारक शनि के नक्षत्र उत्तर भाद्रपद में होंगे|
नक्षत्र स्वामी शनि मंगल के साथ चन्द्र से नवम भाव में रहेंगे जो पूर्वजों से आशीर्वाद के लिए उत्तम combination दिखाता है| नक्षत्र स्वामी शनि का वृश्चिक में होना (जो की कालपुरुष का अष्टम भाव है और पुराने दबे हुए emotions का भी भाव है) दर्शाता है की हमें अपने पितरों से यदि कोई गिले शिकवे भी रहे हैं तो उन्हें भी माफ़ करने का दिन है यह| मोक्षकारक केतु उस समय चन्द्र से बारहवें स्थान यानि कुम्भ राशी में रहेंगे और बारहवें भाव फिर मुक्ति और निर्वाण की याद दिलाता है|
ये पूरा combination यह दिखा रहा है की Shradh 2016 का ये जो समय शुरू हो रहा है यह बहुत महत्वपूर्ण और बलवान समय है जब ग्रहों की सकारात्मक उर्जा भी है और पितरों का तर्पण कर पितृ ऋण से मुक्त होने सुअवसर भी| श्राद्ध का इससे बढ़िया starting और क्या होगा?
कैसे करें श्राद्ध तर्पण?
अगर आपके पास समय है तो किसी कर्म कांडी पुरोहित के द्वारा तर्पण किया जा सकता है| श्राद्ध साधारणतया किसी पुण्य नदी के किनारे और पुण्य क्षेत्र में किया जाता है| पर आज के भाग दौड़ के जीवन में और working days होने की वजह से शायद हर एक के लिये ये पॉसिबल ना हो| पर इसका मतलब ये नहीं की आप अपने पितरों का तर्पण ना कर सकें|
जिस युग हम जी रहें हैं वो कलियुग के साथ नामयुग भी है| इस युग में कर्म काण्ड से ज्यादा भाव महत्वपूर्ण है| सिर्फ नामजप से कलियुग में मुक्ति पायी जा सकती है| इस युग में भाव से आप जो कर्म करेंगे वो पूरी तरह स्वीकार्य है| पितृ तर्पण भी आप खुद कर सकते हैं| आइये आज पितृ तर्पण का एक सरल तरीका समझते हैं जो स्त्री या पुरुष कोई भी अपने पितरों के लिये कर सकता है|
कैसे करें श्राद्ध?
पितृ तर्पण की बहुत ही सरल और बहुत ही प्रभावशाली पद्धति आप मेरे इस article पर पढ़ कर अपने घर पर स्वयं तर्पण कर सकते हैं|
Tarpanam in Hindi – पितृ तर्पण स्वयं करें
Shradh 2016 dates और प्रत्येक श्राद्ध का महत्व
श्राद्ध | तिथि/वार | महत्व |
प्रतिपदा Shradh 2016 | 17 सितम्बर शनि | धन, विवाह और वांछित रिश्ते के लिये |
द्वितीय Shradh 2016 | 18 सितम्बर रवि | वंशवृद्धि और संतुष्ट जीवन के लिये |
तृतीय Shradh 2016 | 19 सितम्बर सोम | व्यापार समृद्धि, वर्जित रिश्तों से मुक्ति के लिये |
चतुर्थी Shradh 2016 | 19 सितम्बर सोम | शत्रु विजय, अनजाने में मारे गए पशुओं का आशीर्वाद |
पंचमी Shradh 2016 | 20 सितम्बर मंगल | सम्पूर्ण समृद्धि, वनस्पति औषधि शांति, सदाबहार जीवन |
षष्ठी Shradh 2016 | 21 सितम्बर बुध | मान मर्यादा यश, शिष्य आशीर्वाद (तर्पण शिक्षक द्वारा) |
सप्तमी Shradh 2016 | 22 सितम्बर गुरु | अध्यात्म आन्तरिक बल के लिए, जीव कारुण्य तर्पणं |
अष्टमी Shradh 2016 | 23 सितम्बर शुक्र | बुद्धि के लिए, हमारे कुकर्मों द्वारा पीड़ित से श्राप मुक्ति |
नवमी Shradh 2016 | 24 सितम्बर शनि | स्त्री समर्थन, मात्रु तर्पणं, निरामिष आहार पाप से मुक्ति |
दशमी Shradh 2016 | 25 सितम्बर रवि | व्यवसाय में उन्नति, बाल मरण तर्पणं |
एकादशी Shradh 2016 | 26 सितम्बर सोम | संतान समृद्धि बुद्धि, पूर्वजों के वस्तु उपयोग आभार तर्पणं |
द्वादशी Shradh 2016 | 27 सितम्बर मंगल | वंश वृद्धि, शिक्षा में उन्नति के लिये |
त्रयोदशी Shradh 2016 | 28 सितम्बर बुध | आयुरारोग्य, वाहन सुख आदि के लिये, बाल मरण तर्पणं |
चतुर्दशी Shradh 2016 | 29 सितम्बर गुरु | दुर्घटना, आत्महत्या, हत्या, हथियार मृत्यु तर्पणं |
अमावस्या Shradh 2016 | 30 सितम्बर शुक्र | सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या, उपरोक्त किसी दिन ना श्राद्ध कर सकें तो अमावस्या सर्व पितृ मोक्ष श्राद्ध |
उपरोक्त श्राद्ध के दिनों में सबसे महत्वपूर्ण श्राद्ध अमावस्या श्राद्ध है| वो इसलिए की अगर श्राद्ध के सब दिन भी miss हो जायें, तो भी अमावस्या श्राद्ध के दिन सर्व पितृ मोक्ष श्राद्ध करके अपने जीवन को कृतार्थ कर सकते हैं| अमावस्या श्राद्ध के आलावा के दिनों में जिस तिथि को जिस पूर्वज की मृत्यु हुई है और वो ज्ञात है तो उस उस तिथि को उन पूर्वजों का श्राद्ध होता है| पर अमावस्या श्राद्ध को समस्त जाने अनजाने पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है|
अमावस्या श्राद्ध के दिन चंद्रमा कन्या राशी में आत्मकारक सूर्य के नक्षत्र उत्तर फाल्गुनी में रहेंगे| इस दिन सूर्य और ब्रहस्पति भी चंद्रमा के साथ चंद्रमा के ही नक्षत्र हस्त में रहेंगे| इस दिन पूरे भाव से श्राद्ध करें और अपने पितरों की आत्मा ही नहीं, बल्कि जितने भी पूर्वजन्मों के आपके रिश्ते रहे हैं, दोस्त रहे हैं और पालतू जानवर, मवेशी आदि रहे हैं, सबकी आत्मा तृप्त होगी|
अमावस्या श्राद्ध के बाद गौमाता को चारा देना, कौवों को खाना डालना और छोटे प्राणियों जैसे चींटी आदि को खाना डालना अति शुभ माना गया है| इस दिन आप poor feeding आदि भी करें तो अति शुभ है| इस प्रकार की क्रिया आपके पूर्वजों से आपको आशीर्वाद में सहायक होंगी|
हालाँकि उपरोक्त आर्टिकल में dates इस वर्ष की हैं, पर विधि विधान एवं महात्म्य शाश्वत है, किसी भी वर्ष श्राद्ध में इन्ही तरीकों से श्राद्ध किया जा सकता है |
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