क्या मेरा कभी घर बन पायेगा? क्या मैं जीवन में अपने स्वयम के घर में रह पाऊंगा ? How to see property in astrology ? How to see property yoga in astrology ? ये कुछ प्रश्न है जो अक्सर जातक मुझसे पूछते हैं| ये एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर ज्यादातर लोग जानना चाहते हैं की कुंडली में कौन से वो योग हैं जिनसे ये जाना जाए की किसी जातक का अपना मकान या अचल संपत्ति है की नहीं? तो आज इसी विषय को समझने की कोशिश करते हैं|
महर्षि पराशर ने अपने ग्रन्थ “बृहत् पराशर होरा शास्त्र” के “भाव विवेकाध्यायः” के पञ्चम श्लोक में property in astrology के सम्बन्ध में कुंडली के चतुर्थ भाव और चतुर्थेश को विशेष महत्त्व दिया है| चतुर्थ भाव में सन्दर्भ में महर्षि पराशर जी कहते हैं:
वाहनान्यथ बन्धूंश्च मातृसौख्यादिकान्यपि | निधि क्षेत्रं गृहं चापि चतुर्थात परिचिन्तयेत || ५ ||
अर्थात वाहन, बंधू बांधव, माता, सुख, निधि (धन, खजाना), भूमि एवं मकान को चतुर्थ भाव से देखा जाना चाहिए|
Property in astrology में चतुर्थ भाव के वे क्या योग हैं जो ये इंगित करेंगे की जातक का अपना मकान होगा?
पराशर जी इस विषय पर “सुखभावफलाध्यायः” में कहते हैं:
सुखेशे सुखभावस्थे लग्नेशे तदगतेऽपि वा | शुभदृष्टे च जातस्य पूर्णं गृहसुखं वदेत || २ ||
अर्थात चतुर्थ भाव में भाव का स्वामी या लग्नेश स्थित हो और इस भाव पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो जातक को पूर्ण ग्रह सुख मिलेगा |
Property in astrology में महल जैसे बड़े बंगले या हवेली जैसे घर के बारे में महर्षि पराशर जी आगे कहते हैं:
कर्माधिपेन संयुक्ते केन्द्रे कोणे गृहाधिपते | विचित्रसौधप्राकारेर्मन्डितं तद् गृहं वदेत || ३ ||
अर्थात यदि कर्म भाव – यानी दशम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ किसी केंद्र या त्रिकोण भाव में युति करे, तो ऐसे जातक को जीवन में महल जैसे बड़े बंगले या आलीशान मकान का योग बनेगा |
ज्योतिष के एक और ग्रन्थ जातक तत्व के अनुसार property in astrology :
- चतुर्थ भाव में उच्च के ग्रह अथवा शुक्र एवं चन्द्र की चतुर्थ भाव में युति बहुमंजिलीय मकान देती है |
- भूमि कारक मंगल यदि केतु के साथ चतुर्थ भाव में युत हो तो लाल ईंटों का घर दे सकती है |
- चतुर्थ भाव का ब्रहस्पति लकड़ी का या लकड़ी के ज्यादा इस्तेमाल का घर दे सकता है |
- सूर्य की चतुर्थ भाव में उपस्थिति घास फूस का (ग्रामीण) घर दे सकता है |
- नवम भाव का स्वामी केंद्र में, चतुर्थ भाव का स्वामी चतुर्थ में, अपनी उच्च राशी में, मित्र राशी में या चतुर्थ भाव में उच्च के ग्रह सुन्दर मकान दे सकते हैं |
- चतुर्थ भाव का स्वामी और दशम भाव का स्वामी चन्द्र और शनि के साथ हो तो अति मनोरम और मनमोहक घर दे सकता है |
- चतुर्थ भाव का स्वामी और दशम भाव का स्वामी भाव परिवर्तन योग में हो और चतुर्थेश बलशाली मंगल के साथ हो तो जातक अचल भूमि संपत्तियों का स्वामी हो सकता है |
- चतुर्थ भाव का स्वामी स्वग्रही होकर बलशाली हो या 3, 6, 10 या 11वें भाव में (उपचय भाव) शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो भी जातक कई अचल भूमि का मालिक हो सकता है |
चतुर्थ भाव के बारे में और जानकारी यहाँ है |
उपरोक्त श्लोकों में property in astrology में सिर्फ चतुर्थ भाव, भावेश और लग्नेश आदि का ही जिक्र है | इसके साथ ही कुंडली में उपयुक्त धन योग का भी होना अनिवार्य है क्योंकि पर्याप्त धन के बिना गृह स्वामित्व मिलना कठिन है | इसके साथ भूमि कारक मंगल और संपत्ति के कारक बृहस्पति का भी केंद्र त्रिकोण आदि में स्थिति भी देखनी जरुरी है | महादशा एवं गोचर आदि भी अपनी भूमिका निभाते हैं |
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