Navratre 2016 पांचवां दिन (चतुर्थी तिथि) 05 अक्टूबर बुधवार – माँ कूष्मांडा पूजा|
Navratre 2016 Chaturthi pujan में चतुर्थी तिथि 05 अक्टूबर बुधवार को 15:05 तक रहेगी |
माँ कूष्मांडा स्वरुप – सिंह सवार अष्टभुजा देवी के नाम से विख्यात माँ आद्य शक्ति के इस चौथे अद्भुत सुन्दर स्वरुप में आठ भुजाएं हैं| इनकी बांयी भुजाओं में क्रमशः कमल का फूल, बाण, धनुष और कमण्डल सुशोभित हैं और दायीं भुजाओं में चक्र, गदा, सभी निधियों को देने वाली जपमाला और अमृत कलश है| संस्कृत में कूष्माण्ड कुम्हड़े (white pumpkin) को कहते हैं और बलियों में माँ को कुम्हड़े की बलि सर्वाधिक प्रिय है, इसीलिए इन्हें “कूष्मांडा” से जाना जाता है|
माँ कूष्मांडा दिव्य चरित्र
सृष्टि में प्रारम्भ में जब सिर्फ अंधकार था और कुछ नहीं था तब माँ के इस रूप ने अपने मंद हास्य से सृष्टि का सृजन किया| अपने मंद हास्य से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण भी इन्हें “कूष्मांडा” कहा गया| सृष्टि के आदि स्वरूप इस आदि शक्ति का निवास सूर्य मंडल में माना जाता है| इनकी कान्ति और प्रभा सूर्य के सामान देदीप्यमान है जिनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हैं और ब्रह्माण्ड की समस्त वस्तुओं और प्राणियों का तेज, इन्ही की छाया है|
Navratri 2016 Chaturthi pujan में माँ कूष्मांडा के इस दिव्य विग्रह की उपासना से समस्त रोग, दुःख और शोक नष्ट हो जाते हैं तथा आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है| बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाली, भक्तों के अल्प सेवा और सच्ची भक्ति से पसीजने वाली माँ के शरणागत होने पर, माँ अपने बच्चों को सुगमता से परम पद तक ले जाती हैं| बोल मेरियां सच्चियां जोतां वाली माता तेरी सदा ही जय |
Navratre 2016 Chaturthi pujan के इस दिन साधक का मन “अनाहत चक्र” में स्थिर होता है|
ज्योतिष से सम्बन्ध – मान्यता के अनुसार सूर्य लोक निवासिनी और सूर्य को तेज तथा दिशा देने के कारन सूर्य ग्रह माँ कूष्मांडा से शासित हैं और आदि शक्ति के इस रूप की पूजा अर्चना आराधना करने से कुंडली में सूर्य अनुकूल होता है| इस दिन का निर्धारित रंग गहरा चमकदार नीला (Royal blue) है और देवी लाल रंग के पुष्प पसंद हैं|
Navratre 2016 के पांचवें दिन (चतुर्थी तिथि) माँ कूष्मांडा पूजा के मन्त्र
वैसे तो देवी महात्यम में, शिवपुराण और शास्त्रों में बहुत से मन्त्र और स्तोत्र हैं पर जैसा की मैं कहता आया हूँ आजकल के इस भाग दौड़ की जिन्दगी में, जहाँ हम लोग समय के पीछे भागते रहते हैं – बहुत लम्बे जाप के लिये समय निकालना मुश्किल हो जाता है| दूसरी अड़चन आती है संस्कृत के उच्चारण की, तो बड़े बड़े स्तोत्र संस्कृत में सही उच्चारण में भाग दौड़ के इस जीवन में पढना मुश्किल हो जाता है| विकल्प के रूप में किसी पंडित या पुरोहित से पूजा करवा लें – ये भी इतना आसान नहीं क्यूंकि इन दिनों में पंडित मिलते ही नहीं| वैसे भी अपने जीवन के उत्थान के लिए, अपने जीवन के दुखों को दूर करने के लिए क्यूँ ना हम खुद जगत जननी माँ जगदम्बिके की अराधना करें?
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं आज आपको Navratre 2016 Chaturthi pujan के लिए माँ चंद्रघंटा पूजा के कुछ छोटे, आसान पर बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र दे रहा हूँ जिसका बताई गयी संख्या में जाप करें और पूजा संपन्न करें|
माँ भगवती का पंचोपचार पूजन करें और Navratre 2016 Chaturthi pujan में माँ कूष्मांडा के ऊपर बताये गए रूप का ध्यान करें| अब नौ बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः|| (Om Devi Kooshmaandayai Namah)
इसके बाद निम्न मन्त्र का तीन उच्चारण करें:
वन्दे वाञ्छित कामार्थ चंद्रार्धकृतशेखराम| सिंहारुढ़ा अष्टभुजा कूष्मांडा यशस्विनीम||
(Vande vaanchhit laabhaay chandraardh krit shekharaam simhaaroodha ashtbhuja kooshmaanda yashaswineem)
फिर निम्न मंत्र का भी तीन उच्चारण करें:
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च|
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे||
(Surasampoorna Kalasham Rudhira-pluta-meva Cha
Dadhana Hasta-padmaabhyam Kooshmaanda Shubhadaastu Me)
अब नौ बार निम्न मंत्र पढ़ें:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
(Yaa devi sarva bhooteshu maa kooshmaanda roopen samsthita namastasyai namastasyai namastasyai namo namah)
पूजा के अंत में जाने अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें:
आवाहनम न जानामि न जानामि विसर्जनम| पूजाम चैव ना जानामि क्षम्यताम परमेश्वरी|| मंत्रहीनम क्रियाहीनम भक्तिहीनम सुरेश्वरी| यत्पूजितम मया देवी परिपूर्ण तदस्तु में||
मंत्र बोलने में कठिनाई हो तो भाव से क्षमा प्रार्थना करें की हे माँ कूष्मांडा रूपेण आद्य शक्ति, हे जगत जननी माँ दुर्गा परमेश्वरी, जाने अनजाने में अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो मुझे क्षमा करें, मेरी पूजा स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करें| मुझ पर और मेरे परिवार पर सदा कृपा दृष्टि रखें|
जैसा मैं अपने हर article में कहता हूँ – पूजा या किसी भी भगवत सेवा, पूजा आराधना में भाव सबसे महत्वपूर्ण है, भाव से की जाने वाली पूजा ही देव को सबसे ज्यादा प्रिय है| पूरे मन से, भाव से और विश्वास से माँ कूष्मांडा की पूजा अर्चना आराधना करें, अपने सूर्य को सशक्त करें और जीवन में उन्नति करें| जय माता दी|
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