Navaratri 2016 छठा दिन (पंचमी तिथि) 06 अक्टूबर गुरुवार – माँ स्कंदमाता पूजा|
Navaratri 2016 Panchmi puja की पंचमी तिथि 06 अक्टूबर गुरुवार को 17:31 तक रहेगी|
माँ स्कंदमाता स्वरुप – जगत जननी माँ जगदम्बे का पंचम अवतार स्वरुप माँ स्कंदमाता हैं| शिवपुत्र स्कन्द भगवन जिन्हें कार्तिकेय भी कहा जाता है, उनकी माता के रूप में इस अवतार को स्कन्दमाता कहा गया है| माँ के इस शुभ्र सुन्दर करुणामय स्वरुप में माँ उग्र सिंह पर सवार हैं, जिनके गोद में स्कन्द भगवान कुमार कार्तिकेय बालरूप में विद्यमान हैं|
स्कन्दमात्रुस्वरूपिणी माँ की चार भुजाएं हैं| दाहिने तरफ के ऊपर वाले हाथ से स्कन्द भगवान् (जिन्हें मुरुगन भी कहा जाता है) को गोद में पकडे हुए हैं तथा दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमे कमल का फूल सुशोभित है| बायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा हस्त है और बायीं तरफ की नीचे वाली भुजा जो ऊपर उठी है उसमे भी कमल का पुष्प धारण किया हुआ है|
माँ स्कंदमाता दिव्य चरित्र
शास्त्रों के अनुसार एक बार तारकासुर नाम के एक महान असुर ने बहुत कठिन तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न किया और अमरता का वरदान माँगा| ब्रह्माजी के ये कहने पर की मृत्यु को कोई नहीं टाल सकता उस चतुर असुर ने ये जानते हुए की वैरागी शिव विवाह नहीं करेंगे, वरदान माँगा की मैं सिर्फ शिवपुत्र के हाथों ही मारा जाऊं|
ब्रह्मा जी को वरदान देना पड़ा जिसके कारण तारकासुर अमरतुल्य हो गया और पृथ्वी पर त्राहि त्राहि मचा दी| परेशान हो कर सब देवगण भगवान् शिव की शरण में गए और उनको सब बात बता कर विवाह करने की प्रार्थना की, ताकि पृथ्वी को बचाया जा सके| शिव पार्वती मिलन से विवाहोपरांत स्कन्द या मुरुगन या कार्तिकेय का जन्म हुआ जिन्होंने तारकासुर का वध कर देवताओं के प्रधान सेनानायक बने|
माँ के इस स्वरुप की आराधना से साधक को इस मृत्यु लोक में ही परम शांति और सुख का अनुभव होता है और समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं| समस्त बाह्य क्रियाओं और चित्तवृत्तिओं के लोप के बाद उपासक लौकिक, सांसारिक और माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है|
अपने ध्यान को एकाग्र करते हुए मन में पवित्र भाव से उपासना करने से साधक का मन इस दिन “विशुद्ध चक्र” में स्थिर होता है|
ज्योतिष से सम्बन्ध – ज्योतिष के समस्त ग्रहों में सबसे छोटे और कुमार ग्रह बुध है और मान्यता के अनुसार बुध का ये कुमारत्व माँ स्कंदमाता का मात्रु स्वरुप से शासित है| आदि शक्ति के इस रूप की पूजा अर्चना आराधना करने से कुंडली में बुध अनुकूल होता है| इस दिन का निर्धारित रंग पीला है और देवी लाल रंग के पुष्प पसंद हैं|
Navaratri 2016 पंचमी पूजन के छठे दिन (पंचमी तिथि) माँ स्कंदमाता पूजा के मन्त्र
वैसे तो देवी महात्यम में, शिवपुराण और शास्त्रों में बहुत से मन्त्र और स्तोत्र हैं पर जैसा की मैं कहता आया हूँ आजकल के इस भाग दौड़ की जिन्दगी में, जहाँ हम लोग समय के पीछे भागते रहते हैं – बहुत लम्बे जाप के लिये समय निकालना मुश्किल हो जाता है| दूसरी अड़चन आती है संस्कृत के उच्चारण की, तो बड़े बड़े स्तोत्र संस्कृत के सही उच्चारण में भाग दौड़ के इस जीवन में पढना मुश्किल हो जाता है| विकल्प के रूप में किसी पंडित या पुरोहित से पूजा करवा लें – ये भी इतना आसान नहीं क्यूंकि इन दिनों में पंडित मिलते ही नहीं| वैसे भी अपने जीवन के उत्थान के लिए, अपने जीवन के दुखों को दूर करने के लिए क्यूँ ना हम खुद जगत जननी माँ जगदम्बिके की अराधना करें?
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं आज आपको Navaratri 2016 Panchmi puja के लिए माँ स्कंदमाता पूजा के कुछ छोटे, आसान पर बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र दे रहा हूँ जिसका बताई गयी संख्या में जाप करें और पूजा संपन्न करें|
माँ भगवती का पंचोपचार पूजन करें और माँ स्कंदमाता के ऊपर बताये गए रूप का ध्यान करें| अब नौ बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः|| (Om Devi Skandmataayai namah)
इसके बाद निम्न मन्त्र का तीन उच्चारण करें:
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया| शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी||
(Simhasanagata Nityam Padmaanchit Karadvaya
Shubhadaastu Sada Devi Skandamata Yashasvini)
फिर निम्न मंत्र का भी तीन उच्चारण करें:
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्|
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्||
(Vande Vaanchhita Kaamarthe Chandraardh-krita-shekharam
Simhaaroodha Chaturbhuja Skandamata Yashasvinim)
अब नौ बार निम्न मंत्र पढ़ें:
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
(Yaa devi sarva bhooteshu maa skandmaata roopen samsthita namastasyai namastasyai namastasyai namo namah)
पूजा के अंत में जाने अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें:
आवाहनम न जानामि न जानामि विसर्जनम| पूजाम चैव ना जानामि क्षम्यताम परमेश्वरी|| मंत्रहीनम क्रियाहीनम भक्तिहीनम सुरेश्वरी| यत्पूजितम मया देवी परिपूर्ण तदस्तु में||
मंत्र बोलने में कठिनाई हो तो भाव से क्षमा प्रार्थना करें की हे माँ स्कंदमाता रूपेण आद्य शक्ति, हे जगत जननी माँ दुर्गा परमेश्वरी, जाने अनजाने में अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो मुझे क्षमा करें, मेरी पूजा स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करें| मुझ पर और मेरे परिवार पर सदा कृपा दृष्टि रखें|
जैसा मैं अपने हर article में कहता हूँ – पूजा या किसी भी भगवत सेवा, पूजा आराधना में भाव सबसे महत्वपूर्ण है, भाव से की जाने वाली पूजा ही देव को सबसे ज्यादा प्रिय है| पूरे मन से, भाव से और विश्वास से माँ स्कंदमाता की पूजा अर्चना आराधना करें, अपने बुध को सशक्त करें और जीवन में उन्नति करें| जय माता दी|
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