Navrate 2016 तृतीय पूजन – चौथा दिन (तृतीय तिथि) 04 अक्टूबर मंगलवार – माँ चंद्रघंटा पूजा|
Navrate 2016 में तृतीय तिथि (सिन्दूरी तृतीया) 04 अक्टूबर मंगलवार को 12:34 तक रहेगी|
माँ चंद्रघंटा स्वरुप – शेर पर सवार दस भुजाओं के साथ माँ दुर्गा जगदम्बिके का ये तीसरा रूप है| Navratri 2016 Triteeya pujan के तीसरे दिन माँ की इसी रूप में पूजा अर्चना आराधना की जाती है| परम शान्तिदायक और कल्याणकारी शेरोंवाली के इस रूप में माँ के मस्तक पर घंटे के आकर का अर्ध चन्द्र धारण से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है|
दश भुजा माँ के बाएं चार भुजाओं में क्रमशः त्रिशूल, गदा, तलवार, कमण्डल सुशोभित है और पंचम भुजा वरद मुद्रा हस्त (वरदान देने वाली) हैं| चंद्रघंटा माँ के दांयी भुजाओं में क्रमशः कमल का फूल, बाण, धनुष, जपमाला सुशोभित हैं और पंचम अभय मुद्रा हस्त है – भक्तों की रक्षा में तत्पर आश्रय देने वाली मुद्रा|
माँ के ये अद्भुत स्वरुप युद्ध में तत्परता के साथ जहाँ शत्रुओं के विनाश की तैय्यारी दिखता है वहीँ भक्तों के लिए अत्यंत सौम्यता और शांति से परिपूर्ण रहता है| इनकी सदैव युद्धाभिमुख मुद्रा भक्तों के कष्ट का भी तीव्रता से निवारण करने वाली है| इनके घंटे की ध्वनि किसी भी प्रकार के प्रेत, पिशाच और अन्य काली शक्तियों की बाधा से भक्तों की रक्षा करती है| सच्चे मन से इनका ध्यान करते ही शरणागत के रक्षा के लिए इनके घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है|
माँ चंद्रघंटा दिव्य चरित्र
पार्वती के तपस्या में सफलता के बाद जब महादेव शिव शंकर पार्वती के इस अवतार से विवाह के लिए सहमत हुए और बारात लेकर पहुंचे तो भूत, प्रेत गणों, साधुओं और शिव के अन्य गणों के साथ विशाल देह वाले, बिखरे बाल, नागधारी और बाघम्बरधारी (बाघ के चर्म से ढके) शिव को देख कर देवी के माता पिता डर से बेहोश हो गए| तब शिव के अनुरूप बनने के लिए देवी ने इस रूप का धारण किया और शिव से अनुरोध किया के वे अपने सौम्य और आकर्षक रूप में आयें जिसे मान कर शिव सुन्दर वेशभूषा में परिवर्तित हुए और विवाह संपन्न हुआ|
माँ के इस दिव्य विग्रह की उपासना से साधक में वीरता, निर्भयता के साथ सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है, मुख, नेत्र और शारीर में कान्ति व आभा की वृद्धि होती है तथा स्वर में माधुर्य का समावेश होता है| इस दिन उपासक का मन “मणिपूरक चक्र” में स्थिर होता है|
ज्योतिष से सम्बन्ध – ऐसी मान्यता है की शुक्र ग्रह माँ चंद्रघंटा से शासित हैं और Navrate 2016 Triteeya pujan में आदि शक्ति के इस रूप की पूजा अर्चना आराधना करने से कुंडली में शुक्र अनुकूल होता है| Navrate 2016 Triteeya pujan के इस दिन का निर्धारित रंग लाल है और देवी का पसंदीदा पुष्प है चमेली या Jasmine.
Navrate 2016 Triteeya pujan के चौथे दिन (तृतीय तिथि) माँ चंद्रघंटा पूजा के मन्त्र
वैसे तो देवी महात्यम में, शिवपुराण और शास्त्रों में बहुत से मन्त्र और स्तोत्र हैं पर जैसा की मैं कहता आया हूँ आजकल के इस भाग दौड़ की जिन्दगी में, जहाँ हम लोग समय के पीछे भागते रहते हैं – बहुत लम्बे जाप के लिये समय निकालना मुश्किल हो जाता है| दूसरी अड़चन आती है संस्कृत के उच्चारण की, तो बड़े बड़े स्तोत्र संस्कृत में सही उच्चारण में भाग दौड़ के इस जीवन में पढना मुश्किल हो जाता है| विकल्प है किसी पंडित या पुरोहित से पूजा करवा लें – ये भी आसान नहीं – इन दिनों में एक तो पंडित मिलते ही नहीं और मिलें भी तो उनकी अपेक्षा के क्या कहने !! तो क्या करें?
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं आज आपको Navrate 2016 Triteeya pujan के लिए माँ चंद्रघंटा पूजा के कुछ छोटे, आसान पर बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र दे रहा हूँ जिसका बताई गयी संख्या में जाप करें और पूजा संपन्न करें|
माँ भगवती का पंचोपचार पूजन करें और माँ चंद्रघंटा के ऊपर बताये गए रूप का ध्यान करें| अब नौ बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः || (Om Devi Chandraghantaayai namah)
इसके बाद निम्न मन्त्र का तीन उच्चारण करें:
वन्दे वाञ्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम| सिंहारुढ़ा चंद्रघंटा यशस्विनीम ||
(Vande vaanchhit laabhaay chandraardh krit shekharaam simhaaroodha chandraghanta yashaswineem)
फिर निम्न मंत्र का भी तीन उच्चारण करें:
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||
(Pindaja Pravararudha Chandako-pastra-kairyuta
Prasadam Tanute Mahyam Chandraghanteti Vishruta)
अब नौ बार निम्न मंत्र पढ़ें:
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
(Yaa devi sarva bhooteshu maa chandraghanta roopen samsthita namastasyai namastasyai namastasyai namo namah)
पूजा के अंत में जाने अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें:
आवाहनम न जानामि न जानामि विसर्जनम| पूजाम चैव ना जानामि क्षम्यताम परमेश्वरी
मंत्रहीनम क्रियाहीनम भक्तिहीनम सुरेश्वरी| यत्पूजितम मया देवी परिपूर्ण तदस्तु में ||
मंत्र बोलने में कठिनाई हो तो भाव से क्षमा प्रार्थना करें की हे माँ चंद्रघंटा रूपेण आद्य शक्ति, हे जगत जननी माँ दुर्गा परमेश्वरी, जाने अनजाने में अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो मुझे क्षमा करें, मेरी पूजा स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करें| मुझ पर और मेरे परिवार पर सदा कृपा दृष्टि रखें|
जैसा मैं अपने हर article में कहता हूँ – पूजा या किसी भी भगवत सेवा, पूजा आराधना में भाव सबसे महत्वपूर्ण है, भाव से की जाने वाली पूजा ही देव को सबसे ज्यादा प्रिय है| पूरे मन से, भाव से और विश्वास से माँ चंद्रघंटा की पूजा अर्चना आराधना करें, अपने शुक्र को अनुकूल बनायें और जीवन में उन्नति करें| जय माता दी |
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