Manglik horoscope या मंगल दोष क्या है? क्या ये वास्तव में विवाह को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है? विवाह की जब बातचीत चलती है तो साधारणतया सबसे पहले मांगलिक स्थिति को ही देखा जाता है उसके बाद ही शादी की बातचीत आगे बढती है| आइये आज मंगल दोष और मंगल दोष कुंडली -Manglik horoscope मिलान के बारे में समझते हैं|
मंगल कालपुरुष कुंडली या natural zodiac में अष्टम भाव के स्वामी हैं| अष्टम भाव को ज्योतिष में दुश्स्थान माना गया है| जो कुछ भी अष्टम भाव या अष्टमेश से सम्बंधित होती हैं वो सब अशुभ फल देने वाली बन जाती हैं| मंगल को ज्योतिष में malefic यानि दुष्ट planet माना गया है|
कुंडली में जब मंगल लग्न से, चन्द्र से और शुक्र से दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होते हैं, तो ऐसी कुंडली मांगलिक कुंडली (Manglik horoscope) मानी जाती है| ये सारे भाव किसी न किसी रूप में विवाह और family से जुड़े भाव हैं – दूसरा भाव कुटुंब भाव है, चौथा भाव घरेलु सुख का स्थान है, सप्तम भाव विवाह का ही भाव है जिसे युवती और कलत्र भाव कहते हैं, अष्टम भाव आयु का भाव है और बारहवां भाव शयन सुख का भाव – इस तरह ये सारे भाव विवाह से सम्बंधित भाव हैं| मंगल जैसा पहले कहा कालपुरुष कुंडली का अष्टमेश है इसीलिये इन भावों में मंगल की उपस्थिति विवाह के सम्बन्ध में अशुभ फल देती है|
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Manglik horoscope मिलान में लग्न, चन्द्र और शुक्र का क्या महत्व है?
विवाह के लिए कुंडली मिलान में लग्न, चन्द्र और शुक्र का क्या role है? देखिये, लग्न शारीरिक रूप रेखा को दर्शाता है तो शारीरिक अनुकूलता, एक दुसरे के प्रति शारीरिक रूप से पसंद या नापसंद आदि लग्न से देख सकते हैं| ज्योतिष में चन्द्र को मन का कारक कहा गया है (चंद्रमा मनस्सोजातः) तो चन्द्र एक दुसरे के प्रति मानसिक झुकाव को दिखाता है| शुक्र यौन सम्बन्धी अनुकूलता दिखाता है|
अब प्रश्न ये उठता है की आखिर मंगल इन भावों में इतना अशुभ क्यों माना गया है? क्यूंकि:
- कालपुरुष कुंडली में मंगल अष्टमेश हैं और अष्टम भाव आंतरिक यौन अंगों (internal sexual organs) का भी भाव है इस तरह मंगल कामेच्छा (sexual urge) को भी control करता है|
- पुरुष जातक में मंगल अंडकोष (testicles) को स्त्री जातक में मंगल sexual द्रव्य को नियंत्रित करता है|
- विवाह से सम्बंधित उपरोक्त भावों में मंगल की उपस्थिति जातक के कामेच्छा को उत्तेजित करती है और जातक में काम वासना की अधिकता हो जाती है|
- इस energy का संतुलन करने के लिए ही दोनों कुंडलियों में same मंगल दोष होना चाहिए ताकि ये balance out या दोष साम्य हो जाये|
भावों के दृष्टिकोण से Manglik horoscope
अगर भावों के हिसाब से मंगल दोष देखें तो सबसे बड़ा दोष है मंगल का लग्न, चन्द्र या शुक्र से सप्तम या अष्टम भाव में होना| दूसरे नंबर पर आएगा उपरोक्त से चौथे भाव में होना, और सबसे कम दोष है लग्न चन्द्र और शुक्र से मंगल का दुसरे या बारहवें भाव में होना|
यदि इन भावों में मंगल उच्च के (exalted) स्वग्रही या मित्र भाव में भी हों तो भी मंगल दोष बनता है, पर बहुत कम दर्जे का| मिलान की दूसरी कुंडली में मंगल का किस प्रकार का दोष है यह देख कर मिलान करने से अशुभ फल कम हो सकता है| वैसे सप्तम भाव में मंगल की उपस्थिति को साधारणतया कलत्र दोषम मानते हैं| इस स्थिति में पार्टनर को कोई विकलांगता या दुर्घटना से क्षति हो सकती है जो की विवाहित जीवन को अस्त व्यस्त कर सकती है| ऐसे जातक का पार्टनर काफी तेज आवाज में (चीखना चिल्लाना) कोलाहल मचाने वाला भी हो सकता/सकती है|
ग्रहों के दृष्टिकोण से Manglik horoscope
- अगर हम लग्न, शुक्र और चन्द्र से मंगल दोष देखें तो शुक्र से सबसे ज्यादा, लग्न से दुसरे नंबर पर और चन्द्र से तीसरे नंबर का दोष बनेगा|
- शुक्र से सप्तम या अष्टम का मंगल बहुत अशुभ माना गया है|
- फिर शुक्र से चतुर्थ भाव का मंगल कम अशुभ और शुक्र से दुसरे या बारहवें भाव का मंगल सबसे कम अशुभ|
- अगर ये मंगल उच्च का होगा तो ये दोष काफी कम हो जायेगा, अगर मूलत्रिकोण का मंगल होगा तो भी दोष थोडा कम हो जायेगा|
- तीसरे नंबर दोष में कमी है मंगल का स्वग्रही होना, और चौथे नंबर पर मित्र स्थान में होना थोडा बहुत दोष में कमी करेगा|
- मंगल का शत्रु राशि में होना बड़ा दोष है और नीच का होना सबसे बड़ा दोष है|
उत्तर भारत ज्योतिष पद्धति में मंगल का लग्न में होना भी मांगलिक दोष माना गया है| पर शास्त्रीय ज्योतिष सिद्धांतों के अनुसार लग्नेश अगर लग्न में ही स्थित होगा या कोई भी ग्रह लग्न में है तो वह योग कारक मतलब शुभ ग्रह माना जायेगा विशेषकर अगर लग्न में स्थित ग्रह केंद्र या त्रिकोण का भी स्वामी हो| इस सिद्धांत के अनुसार लग्न में स्थित मंगल अशुभ नहीं होगा और मंगल दोष नहीं बनेगा|
Manglik horoscope में मंगल दोष का cancellation
मंगल दोष साधारणतया 75% से भी अधिक कुंडलियों में देखा जा सकता है| अब आप कहेंगे इसका मतलब तो इतने लोगों की कुंडलियों का तो मिलान ही नहीं हो सकता| शायद ये बात हमारे प्राचीन ज्योतिषविदों को भी खटकी होगी! इसीलिये उन्होंने इस दोष को रद्द – cancel करने के भी कुछ सिद्धांत दिये हैं जो नीचे दिये गए हैं:
- कर्क और सिंह लग्न में मंगल कहीं भी हो ये दोष नहीं माना गया है|
- मिथुन और कन्या लग्न में मंगल द्वितीय भाव में हो तो मंगल दोष नहीं बनता|
- मेष या वृश्चिक राशी में मंगल चतुर्थ भाव में हो तो ये दोष नहीं है|
- कर्क और और मकर लग्न में मंगल का सप्तम में होना दोष नहीं बनता|
- धनु या मीन लग्न में मंगल का अष्टम में होना दोष नहीं माना गया है|
- वृषभ और तुला लग्न में मंगल का बारहवें भाव में होना मंगल दोष नहीं बनता|
- सिंह और कुम्भ राशी में मंगल का होना मंगल दोष नहीं बनता|
- मंगल यदि ब्रहस्पति या चंद्रमा या सूर्य और या फिर बुध के साथ युत हो तो भी मंगल दोष नहीं बनेगा|
- मंगल यदि राहू से दृष्ट है तो ये दोष नहीं बनेगा|
- मंगल के भाव का स्वामी यदि लग्न से केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो मंगल दोष cancel हो जायेगा|
- मंगल यदि राहू, केतु या शनि के साथ युत हो, दृष्ट हो या सम्बन्ध बना रहे हों तो भी मंगल दोष नहीं बनता|
- मंगल अपनी मित्र राशी में हो तो भी cancel है|
- मंगल यदि सूर्य, ब्रहस्पति या शनि से युत हो या दृष्ट हो तो भी मंगल दोष नहीं लगेगा|
Manglik horoscope में मिलान कैसे हो?
- मिलान की दोनों कुंडलियों में मंगल दोष होगा तो मिलान किया जा सकता है|
- अगर एक Manglik horoscope हो और दूसरी शुद्ध – मतलब मंगल दोष रहित है तो ऐसी स्थित में मिलान नहीं करना चाहिए|
- अगर एक कुंडली में मंगल दोष है और वो cancel हो रहा है तो वैसा ही दोष और उसका cancellation दूसरी कुंडली में भी होना चाहिये|
- अगर एक कुंडली में सप्तम या अष्टम का मंगल हो तो मिलान की दूसरी कुंडली में भी मंगल सप्तम या अष्टम में होना चाहिये|
- जिस कुंडली में चतुर्थ भाव में मंगल हो उसका मिलान दूसरी कुंडली के 4, 12, 2 या 1 में स्थित मंगल कुंडली से कर सकते हैं|
- अगर एक कुंडली Manglik horoscope है और उसमे मंगल दोष cancel भी हो रहा है तो ऐसी कुंडली शुद्ध कुंडली नहीं मानी जाती और और मिलान की दूसरी कुंडली शुद्ध हो मतलब मांगलिक न हो तो मिलान नहीं करना चाहिये|
- मिलान की कुंडलियों में मंगल दोष दोनों कुंडलियों same ही हो ये जरूरी नहीं, पर दोष होना चाहिये|
- अगर एक कुडंली में मंगल पहले या दूसरे भाव में है और दोष cancel हो रहा है तो मिलान की दूसरी कुंडली में मंगल सप्तम, चतुर्थ या बारहवें में होना चाहिये और दोष cancel भी होना चाहिये|
- जिस कुंडली में मंगल सप्तम या अष्टम भाव में हो तो दूसरी कुंडली में भी मंगल सप्तम या अष्टम भाव में ही होना चाहिये|
वृषभ और तुला लग्न के लिए मंगल के स्वामित्व में सप्तम भाव आता है| अगर ये कुंडली पुरुष जातक की है तो उसकी पार्टनर आज्ञाकारी और दूसरों के अनुसार अपने को ढालने वाली होगी| घर परिवार के समस्त कार्यों में दक्ष होकर वो परिवार की समृद्धि की कारक बनती है|
विवाह के दृष्टिकोण से मंगल स्वग्रही हो, उच्च का मंगल हो और किसी शुभ ग्रह या शुभ भाव से सम्बन्ध बना रहा हो तो शुभ फल मिलते हैं| इसे दीर्घ कलत्र योग कहते हैं जिसका मतलब है लम्बा और शुभ विवाहित जीवन| पर अगर मंगल नीच का हो, शत्रु भाव में हो या अशुभ ग्रहों से सम्बन्ध बना रहा हो तो बड़े ही दुष्परिणाम होते हैं|
लग्न कुंडली में यदि मंगल नीच का हो, पीड़ित हो या राहू से सम्बन्ध बना रहा हो तो विवाह के उपरांत शारीरिक अस्वस्थता रह सकती है| स्त्री जातक में सप्तम या अष्टम में मंगल का होना विधवा योग भी माना गया है और विवाहोपरांत रोग का कारण भी माना गया है|
मंगल यदि सप्तम भाव में वक्री (retrograde) अवस्था में स्थित हो तो बड़े ही अनिष्टकर परिणाम निकलते हैं| ऐसा मंगल विवाह विच्छेद करा सकता है या नित्य झगडे और अवसाद का कारण बन सकता है| ऐसे जातक विधवा से विवाह कर सकते हैं या उसके साथ रह सकते हैं, पर नित्य कलह और विषाद बना रहता है| और अगर ऐसा मंगल चन्द्र या बुध से भी सम्बन्ध बना ले, तो इस स्थिति का प्रभाव जातक को परपीड़क (sadist) बना सकती है| जातक में कामेच्छा अत्यधिक हो सकती है और अवैध वैवाहिक संबंध भी बना सकता है जिसके कारण अपनी इज्जत और प्रतिष्ठा खो सकता है|
मंगल का लग्न कुंडली के सप्तम भाव में होना पार्टनर से विच्छेद या पार्टनर की मृत्यु को भी दर्शाता है| अगर ऐसा मंगल अशुभ ग्रह से दृष्ट भी हो और किसी तरह का शुभ सम्बन्ध न हो तो पार्टनर की मृत्यु निश्चित है| कर्क लग्न में मंगल सप्तम भाव मकर में हो, और वृश्चिक राशी में शनि हो तो मंगल शनि की तीसरी दृष्टि से दृष्ट होता है, और life partner की मृत्यु तय है| पर मकर लग्न के लिए मंगल का सप्तम में होना दोष नहीं माना गया है|
लग्न कुंडली के सप्तम भाव का वक्री मंगल यदि लग्नेश या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो जाये किसी तरह सम्बंधित हो जाये तो अशुभता काफी कम हो जाएगी और विवाहित जीवन सुखी रहेगा| ये सम्बन्ध नक्षत्र से हो सकता है, एक दूसरे के भाव स्थानान्तरण से हो सकता है|
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