Gemstones – रत्न वास्तव में मानवता को प्रकृति का उपहार है| धरती के गर्भ में हज़ारों लाखों साल प्रचंड ताप और अत्यंत दबाव में प्राकृतिक खनिज पदार्थ घनीभूत रूप लेकर पृथ्वी के विद्युतीय तरंगों और प्रकाश के विभिन्न आयामों को समाविष्ट करते हुए धरती पर हमारे जीवन के कमजोर पहलुओं को सशक्त करने के लिए रत्नों के रूप में अवतरित हुए हैं|
Gemstones लाखों वर्षों से मानवता से जुड़े हैं| प्राचीन काल से रत्नों का किसी न किसी रूप में प्रयोग होता रहा है| और शायद सबसे ज्यादा प्रयोग ज्योतिष से ही सम्बंधित रहा है| हमारे शास्त्रों में भी ज्योतिष उपायों के लिए इनका वर्णन है| एक रत्न विशेषज्ञ और Astrologer की हैसियत से मुझसे सबसे ज्यादा प्रश्न यही किया जाता है की क्या रत्न वास्तव में काम करते हैं? यदि हाँ तो कैसे? तो आइये आज हम यही जानते हैं की gemstones आखिर किस प्रकार काम करते हैं|
रत्नों के बारे में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल जवाब यहाँ पढ़े: Gemstones – रत्नों के बारे में कुछ आम सवाल
रत्न वास्तव में किस प्रकार काम काम करते हैं?
अन्तरिक्ष में विभिन्न ग्रह सदा चलायमान रहते हैं और सदा अपनी उर्जा का प्रसारण करते रहते हैं| ये उर्जा हमारे चारों तरफ फैले सूर्य के धवल प्रकाश में सम्मिलित रहती है| रत्न ग्रहों के इसी उर्जा को प्रसारण, आवृत्ति प्रवाह (frequency channelization) एवं प्रकाश के सिद्धांतों (light theory of the planets) यानि प्रतिबिंबन, अवशोषण और संचारण (Reflection, Absorption and Transmission )के द्वारा हम तक पहुंचाते हैं|
ऊपर का वर्णन शायद ज्यादा technical हो गया! साधारण शब्दों में कहा जाये हमारे चारों तरफ फ़ैले धवल प्रकाश (visible/white light ) जिसमे समस्त ग्रहों के तरंगीय आयाम (wave length ) प्रकाशीय रूप में सम्मिश्रित हैं, उसमे से किसी खास ग्रह के एक खास तरंग आयाम का अवशोषण कर उसे पहनने वाले के शरीर में प्रवाहित करना, ये रत्नों के माध्यम से होता है|
इसे एक और तरीके से समझते हैं| हर ग्रह का अपना विशिष्ट तरंगदैर्घ्य (wavelength) और अपना विशिष्ट रंग होता है जो सूर्य के धवल प्रकाश में निहित होता है| चयनशील अवशोषण (selective absorption) के माध्यम से रत्न, धवल प्रकाश (visible light) उर्जा की range से, इन विशिष्ट तरंगदैर्घ्य (wavelength) का अवशोषण कर बाकी तरंग आयामों को बिना बदले निष्कासित कर देता है|
उदाहरण के लिए पन्ना देखने में हरा दिखता है क्यूंकि ये रत्न बुध के हरे तरंगदैर्घ्य (wavelength) अवशोषण व प्रतिबिंबन कर बुध की उर्जा प्रेषित करता है और बाकी समस्त तरंग आयामों का निष्कासन करता है|
सूर्य उर्जा का मुख्य स्रोत है| सूर्य के उर्जा के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है| सौरमंडल का केंद्र सूर्य है और अन्य समस्त ग्रह सूर्य की प्रदक्षिणा करते रहते हैं| सूर्य की उत्कृष्ट उर्जा (peak power) का प्रसारण धवल प्रकाश (visible/white light) के रूप में विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electro Magnetic spectrum) पर 357 nm to 740 nm के बीच होता है| (nm का मतलब है nanometer – One billionth (10-9) of a meter तो आप सोच सकते हैं कितना सूक्ष्म है ये spectrum)
विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electro Magnetic spectrum) क्या है?
विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electro Magnetic spectrum) वास्तव में दीप्तिमान उर्जा का अभिरूप है, एक तरह का scale है| जितने भी possible तरंगीय आयाम हैं वो सब इस स्पेक्ट्रम का हिस्सा हैं| मनुष्य की आँखों को नजर आने वाली Visible/white light भी इसी का हिस्सा है| इस स्पेक्ट्रम की फैलावट ब्रह्मांड की अन्तरिक्ष किरणों से लेकर गामा किरण, एक्स रे, UV rays, धवल प्रकाश (visible light), अवरक्त किरण (infra-red rays) से radio rays तक है और इस तरह ये हजारों किलोमीटर वाली तरंगीय आयामों से लेकर अति सूक्ष्म अणु के परमाणु तक समाविष्ट करती है ! इसे नीचे दिये गए डायग्राम से और समझा जा सकता है|
Electromagnetic Spectrum
रत्नों के भीतर उपस्थित अतिसूक्ष्म परमाणु (electrons) और अणु सूर्य के धवल प्रकाश (जिसमे समस्त ग्रहों के सभी तरंगों का सम्मिश्रण है) को अवशोषित कर, अपनी आन्तरिक सरंचना तथा प्रजाति के अनुसार, इस उर्जा को एक स्तर से दूसरे स्तर तक पहुंचाते हैं| सूर्य के धवल प्रकाश (visible/white light) में जैसा पहले वर्णित है, सभी ग्रहों के energy frequencies तथा इन्द्रधनुष के सभी सात रंग सम्मिश्रित रहते हैं|
रत्न (gemstones) किस प्रकार रत्नों की उर्जा हमारे शरीर में प्रेषित करते हैं?
रत्नों की उर्जा का प्रेषण हम तक कैसे होता है ? रत्नों को अंगूठी या पेंडेंट के रूप में, सोना चांदी, ताम्बे और अन्य धातु मिश्रण जैसे पंचधातु आदि में पहनने का विधान है| ये जितने भी धातु हैं ये electrolyte हैं जोकि उर्जा के उत्कृष्ट संवाहक हैं| रत्नों को जब इन इलेक्ट्रोलाइट में जड़ कर धारण किया जाता है तब ये रत्न हमारे शरीर के विद्युत् चुम्बकीय (electromagnetic) तथा विद्युत् रासायनिक (electrochemical) शक्तियों के साथ अंतःक्रिया (interact) करती हैं| ये अंतःक्रिया होती है मानव शरीर के अति सूक्ष्म और अति जटिल तंत्रिकाओं, तंतुओं, तंत्रिका तंत्र (nervous system) एवं लसीका द्रव्य तंत्र (lymphatic fluids) के द्वारा|
रत्नों को एक अनुभवी ज्योतिषी के निर्देशन में ही धारण करना चाहिए जो आपकी कुंडली को गूढ़ रूप से अवलोकन कर सके| रत्न सुच्चे, असली, कुंडली के हिसाब से सही और वैज्ञानिक तरीके से परखे हुए प्रमाणित होने चाहिये| ऐसे gemstones जीवन से negative energies को निकाल कर positivity, सौभाग्य, यश, power, success एवं पूर्ण संतुष्टि दे कर मनोवैज्ञानिक और शारीरिक खुशहाली और सम्पूर्णता लाते हैं| ग्रहों से उत्पन्न दैविक किरणों के संवाहक बन ये रत्न समृद्धि, positivity और चिरस्थायी ख़ुशी प्रदान करते हैं| रत्न जीवन की सब मुसीबतों और परेशानियों से मुक्ति दिलाने में सक्षम होते हैं|
जन्मकुंडली में प्रकाशित ग्रह सूर्य और चन्द्र को छोड़, सब ग्रहों के स्वामित्व में दो भाव या दो घर आते हैं| इन दो भावों में शुभ और अशुभ दोनों भाव हो सकते हैं| इस सिद्धांत से रत्न धारण जहाँ जीवन के एक पहलू को बढ़ावा देता है वहीँ किसी दुसरे पहलू को प्रतिकूल रूप से भी प्रभावित करता है| इसके साथ जो विंशोत्तरी दशा चल रही है वो भी रत्न निर्धारण में महत्वपूर्ण हो जाती है| इसीलिए ये अति आवश्यक हो जाता है की रत्न धारण एक विशेषज्ञ की सलाह से ही किया जाए जो इन सब चीजों को बारीकी से जांच कर रत्न निर्धारण करे|
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