लग्न भाव, पंचम भाव एवं नवम भाव, इन तीन त्रिकोण भावों में पंचम भाव या Fifth house प्रथम शुभ त्रिकोण भाव है| लग्न चूँकि केंद्र भाव भी है इसीलिए पंचम ही शुद्ध त्रिकोण भाव बनता है| पंचम भाव या Fifth house पूर्व पुण्य भाव और पुत्र भाव से भी जाना जाता है क्योंकि इस भाव से संतान एवं संचित पूर्व पुण्यों को भी देखा जाता है| पंचम भाव को एक तरह से कई जन्मों के पूर्व कर्मों का बैंक balance कह सकते हैं| जातक का सम्पूर्ण जीवन, सफलता, तरक्की, सुख दुःख आदि सब पूर्व पुण्यों के बल पर निर्भर करता है इसीलिए पंचम भाव एक तरह से कुंडली की कुंजी है|
Fifth house and sacred knowledge
धर्म त्रिकोण नवम भाव से नवम भाव होने के कारण ये जीवन में अध्यात्मिक उन्नति व प्रगति को भी इंगित करता है| वेद वेदांग, शास्त्रों का ज्ञान, मंत्र सिद्धि एवं अध्यात्म साधना, विद्वत्ता, बुद्धि का झुकाव आदि सब पंचम भाव से देखा जा सकता है| Fifth house से मन्त्र सिद्धि एवं मन्त्र शक्ति को भी देखा जाता है| मंत्र शक्ति को या तो विधिवत रूप से सिद्ध किया जाता है या पूर्व जन्मों के कर्मानुसार जन्म सिद्ध होता है| यहाँ फिर इस भाव का पूर्व जन्मों से सम्बन्ध देखिये!
Poorva Punya bhava and forefathers
नवम भाव से नवम भाव होने की वजह से Fifth house पितरों का भी भाव बनता है क्योंकि नवम भाव पिता का भाव है नवम से नवम पितरों का| इस भाव या भावेश पर दुष्प्रभाव पितृ दोष को दिखाता है की जातक ने अपने किसी पूर्व जन्म में कोई ऐसा कर्म किया है जिससे पितरों का श्राप इस जन्म में फलित हो रहा है| इसकी गहराई या श्राप का प्रभाव पंचम भाव या पंचमेश पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की गहराई पर निर्भर करता है|
धर्म के लिए की जाने वाली लघु यात्रा तथा तीर्थ यात्राओं को भी इसी भाव से देखा जाता है| तृतीय भाव लघु यात्रा का भाव भी है, और तृतीय से तृतीय होने की वजह से ये यात्रा तीर्थ यात्रा होगी की नहीं, ये इस भाव की शुभता से देखा जा सकता है| पंचम भाव के और भी कई कारकत्व और क्षेत्र हैं|
पंचम भाव या Fifth house यदि किसी नीच ग्रह से, दग्ध राशी से या किसी और अन्य कारणों से पीड़ित हो तो पंचमेश के राशीश के स्वामी के परिहार कर्म करने से कुछ हद तक दोष में निवारण हो सकता है| सूर्य के कारण पीड़ित पंचम भाव पितृ दोष को, राहू के कारण पीड़ित हो तो पुत्र दोष को, गुरु के कारण पीड़ित हो पुत्र और देव दोष को, शनि के कारण पीड़ित हो कुलदेवता दोष को तथा शुक्र के कारण पीड़ित हो तो मात्रु दोष या देवी दोष को दिखाता है|
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