Ascendant Lagna in Hindi – कुंडली के प्रथम भाव को लग्न या तनुभाव कहते हैं| धरती पर नया जीवन जब पहली सांस लेता है तब उस समय को लेकर लग्न भाव बनता है और क्रमशः कुंडली का निर्माण होता है| यह भाव मुख्यतः जातक के समूचे Self और जन्म से ही सम्बन्ध रखता है| Life का span, quality और उपलब्धियां आदि सब लग्न से देखा जा सकता है| लग्न को उद्यम कहा गया है और पहली सांस से जीवन की शुरुआत, जीवन का उदय होता है| लग्न से जातक की शारीरिक बनावट, बालों का रंग, skin कलर, जीवन में आने वाली बीमारियाँ तथा उसका इलाज़ और जीवन में धन सम्पदा अर्जित करना आदि सब चीज़ें देखी जा सकती हैं| जीवन का span और मृत्यु लग्न से देखा जाना चाहिए नाकि चंद्रमा से|
लग्न भाव (Ascendant Lagna) से क्या देखते हैं?
- जीवन की शुरुआत
- बाल्यावास्था
- व्यक्तित्व
- समूची physical body
- रूप रंग
- वर्ण
- चरित्र और स्वभाव
- स्वास्थ्य
- आयु
- Strength
- मानसिक शान्ति या अशांति
- जन्म के समय या ठीक जन्म के बाद की घटनाएँ
- जीवन में आने वाली बीमारियाँ तथा उसका इलाज़
Physically प्रथम भाव (Ascendant Lagna) शरीर के प्रथम अंग यानि सर और विशेष रूप से कपाल और मस्तिष्क से सम्बंधित है| Natural zodiac यानि कालपुरुष राशिचक्र में प्रथम भाव मेष से सम्बन्घित है | प्रथम भाव (Ascendant Lagna) पर किसी भी तरह का प्रभाव समस्त जीवन पर गहरा असर छोड़ता है|
लग्न या प्रथम भाव (Ascendant Lagna) इसलिए भी सबसे महत्वपूर्ण बनता है क्यूंकि यह पहला केंद्र (Quadrant) भी है और पहला त्रिकोण (Trine) भी| ये धर्मकोण (religious conduct Trine) का पहला भाव है तथा सूर्य इस भाव के कारक हैं|
लग्न भाव और इसके Lord (लग्नेश) अनिवार्य रूपेण दुषस्थान यानी छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित नहीं होने चाहिए| जन्म लग्न कुंडली में और नवांश कुंडली (D-9) दोनों में इन्हे इन भावों में नहीं होना चाहिए| और साथ ही दुष्ट ग्रहों जैसे शनि, मंगल, राहू या केतु की उपस्थिति या particularly युति या दृष्टि से लग्न भाव को पीड़ित नहीं होना चाहिए क्यूंकि ऐसी स्थिति स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालेगी| जीवन में किसी को भी, किसी भी तरह की achievement के लिए sound health पहली जरूरत है |
द्वितीय भाव जीवन का Enjoyment house कैसे है?
Ascendant Lagna से अगला भाव द्वितीय भाव है जिसे धन भाव (house of wealth),कोष भाव और कुटुंब भाव (family one is brought up in) से भी जाना जाता है| वैसे तो इस भाव को neutral भाव माना जाता है पर इस भाव को बहुत महत्व दिया गया है – क्यों? इस दुनिया में दो most important चीज़ें है जिनके बिना दुनिया का आनंद नहीं लिया जा सकता – वो हैं – आँखें, नेत्र, eyesight और धन, संपत्ति, wealth – इनमे किसी एक का भी अभाव enjoyment नहीं दे सकता – और ये दोनों चीज़ द्वितीय भाव के अधिकार क्षेत्र में आती हैं| इन इसीलिए ये भाव आनंद का भाव भी बन जाता है|
विडंबना है की इस भाव को ही मारक स्थान भी माना जाता है !! यदि इस भाव में कोई अशुभ malefic ग्रह स्थित हो और उसकी दशा आ जाये तो वो मारकेश दशा बन जाती है|
द्वितीय भाव से क्या देखते हैं?
- आँखों की ज्योति
- नेत्र रोग
- Speech – वाक् सिद्धि
- सत्य असत्य वचन
- Second wife
- छोटे भाई बहन का loss
- जीवनसाथी के रोग
- विरासत की Property
- किस प्रकार के परिवार में जन्म हुआ है
- परवरिश के लिए कौन जिम्मेदार है
- धन संपत्ति or self-wealth,
- बैंक बैलेंस,
- परिवार का रुतबा,
- पारिवारिक संस्कार,
- जमा पूँजी, गहने और मूल्यवान वस्तुएं, बहुमूल्य precious stones
- बांड, securities तथा शेयर्स
द्वितीय भाव पहला अर्थकोण (Money mattered trine) है जिसे पहला पणफर house (Cadent house) भी कहते है| Natural zodiac यानि कालपुरुष राशिचक्र में द्वितीय भाव वृषभ राशि है जोकि एक स्थिर और एक पृथ्वी तत्व राशि है जिसके स्वामी शुक्र हैं| शुक्र यहाँ अपने धन व विलासिता के कारकत्व को पूर्ण रूप से फलीभूत करते हैं|
तृतीय भाव से Sex का क्या सम्बन्ध है?
Ascendant Lagna से तीसरा भाव पहला कामकोण (desire/enjoyment trine) है| भावों के सम्बन्ध में आपने इस site पर काफी जगह पहला धर्म कोण, पहला अर्थ कोण, दूसरा मोक्ष कोण तीसरा काम कोण आदि पढ़ा होगा – अब आप सोचेंगे की धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का ये पहला, दूसरा और तीसरा angle क्यों है? प्रश्न वाजिब है दोस्तों| Actually इनमे हर चीज़ का जो “पहला” पहलु या angle है वो हमारी उस चीज़ के प्रति मानसिक क्षमता या mental capacity को दर्शाता है, जो “दूसरा” angle है वो हमारी उस चीज के प्रति शारीरिक क्षमता या physically happening को दर्शाता है और “तीसरा” angle उस चीज़ को sustain करने की, उस चीज़ की आयु को दर्शाता है|
इस प्रकार तृतीय भाव पहला काम कोण होने की वजह से sex या यौन संबंधों या यौन क्रिया के प्रति हमारी मानसिक क्षमता या mental attitude दिखाता है| इस भाव से शुक्र की स्थिति देखनी पड़ती है| उदाहरण के लिए तृतीय भाव से यदि शुक्र 6/8/12 भाव में बैठे हों तो साधारणतया sex के प्रति mental frustration या sexual comforts के अभाव में frustration देखने को मिलती है| ऐसी परिस्थिति इस case में शीघ्रपतन का कारण बनती है| दूसरे उदाहरणार्थ यदि तृतीय भाव या इसके स्वामी से, शुक्र दूसरे या बारहवें (तीसरे भाव से शुक्र एक घर आगे या एक घर पीछे) भाव में स्थित हों तो ऐसे case में sex के लिए stimulation, उकसाने या प्रोत्साहित करने की जरूरत पड़ती है|
तो अब आप समझ गए होंगे की तृतीय भाव का sex से क्या सम्बन्ध है|
उपरोक्त कारकत्व के अलावा इस भाव को भातृ भाव और सहज भाव भी कहतें हैं| ये सहोदरों और उनसे रिश्तों को दर्शाता है| ये भाव शौर्य, पराक्रम और निर्भयता को भी दिखाता है इसीलिए इसे पराक्रम भाव से भी जाना जाता है| इस भाव से भाई बहन, संक्षिप्त तीर्थ यात्रा, पत्र या लघु लेखन, सहनशक्ति. हिम्मत, physical fitness, शौक, दस्तावेज व agreements, प्रतिभा, communication skills, दोस्त एवं पडोसी, नजदीकी रिश्तेदारी और मृत्यु के कारण आदि देखते हैं|
आधुनिक समय में इसी भाव से sports, कला प्रतिभा और business agencies वगैरा भी देखा जाता है| दुष्ट ग्रह जैसे शनि, राहू, केतु या मंगल इस भाव में अच्छे माने गए हैं| Physically ये भाव कंधे, दायाँ कान भुजा एवं हाथ से सम्बंधित है| Natural zodiac यानि कालपुरुष राशिचक्र में ये भाव मिथुन राशि है जिसके स्वामी बुध हैं जो अपने communication के कारकत्व को इस भाव फलीभूत करते हैं |
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