आज कल से इस तनाव ग्रस्त जीवन में जहाँ हम सुबह से शाम तक अपने अस्तित्व की कठोर लड़ाई में लिप्त रहते हैं, पूजा पाठ, ध्यान धारणा आदि के लिए समय मिलना कठिन हो जाता है| चौबीसों घंटे आज का मानव सिर्फ और सिर्फ कमाने की चिंता में लगा रहता है| प्रतिस्पर्धा, प्रतियोगिता, आगे और आगे बढ़ने की होड़ ने आज हमें एक मशीनी मानव बना दिया है जिसके पास ध्यान, धारणा, धर्म और जप ताप के कोई समय नहीं रह गया है| ऐसे में सांसारिक कष्टों व पापों से निदान का सरलतम “अष्टाक्षर … [Read more...]