ज्योतिष के सबसे उदार एवं विस्तार के ग्रह गुरु यानी ब्रहस्पति Guru Gochar 2021 में 06 अप्रैल 2021 को मकर राशी से कुम्भ राशी यानी Aquarius में प्रवेश करेंगे। Aquarius यानी कुम्भ राशी कालपुरुष यानी Natural Zodiac की ग्यारहवीं राशी है जिसे लाभ भाव या House Of Gains भी कहते हैं। Guru Gochar 2021 एक important transit है जिसमे गुरु वक्री भी होंगे और “गिरी हुई अवस्था” यानी Fallen भी होंगे। नीचे इस गोचर का पूरा Timeline दिया गया है:
Guru Gochar 2021 | ||
गुरु का कुम्भ राशी में प्रवेश | 06 अप्रैल 2021 से | 20 जून 2021 तक मार्गी (Direct) |
गुरु कुम्भ राशी में वक्री Retrograde) | 20 जून 2021 से | 16 सितम्बर 2021 तक |
गुरु मकर में “गिरी हुई अवस्था में” (Fallen) | 17 सितम्बर 2021 से | 17 अक्तूबर 2021 तक |
गुरु मकर राशी में मार्गी | 18 अक्तूबर 2021 से | 20 नवम्बर 2021 तक |
गुरु कुम्भ राशी में मार्गी | 21 नवम्बर 2021 से | 13 अप्रैल 2022 तक |
गुरु गिरी हुई अवस्था में कैसे ?
अभी तक आपने Internet, TV Channels, YouTube या दूसरे Social Media Platforms पर Guru Gochar 2021 के बारे में काफी कुछ पढ़ा सुना होगा, पर क्या इस विशेष गोचर के बारे में जानते हैं, जहाँ गुरु “गिरी हुई अवस्था” में गोचर करेंगे?
“गिरी हुई अवस्था” या Fallen अवस्था में होना किसी भी ग्रह के लिए अच्छा नहीं होता, ऐसे ग्रह बहुत अस्थिर हो जाते हैं और विपरीत फल दे सकते हैं। किसी भी ग्रह के लिए “गिरी हुई अवस्था” या Fallen अवस्था वास्तव में है क्या, पहले ये समझते हैं। गोचर करते हुए ग्रह जब एक राशी से दूसरी राशी में प्रवेश करते है और जब प्रवेश की हुई राशी में वक्री होकर वापस उसी राशी में आ जाते हैं, जहाँ से चले थे, इस अवस्था को “गिरी हुई अवस्था का ग्रह” या Fallen Planet कहते हैं।
सोशल मीडिया, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में Guru Gochar 2021 पर बहुत ही भ्रामक और बहकाने वाले फलादेशों की भरमार है। पहली बात जब तक कुंडली में गुरु की स्थिति – युति – दृष्टि – भाव स्वामित्व आदि का विश्लेषण ना हो, तब तक ये सब फलादेश बेकार हैं। दूसरी बात – किसी ने कहीं भी इस विशेष अवस्था का जिक्र नहीं किया है जहाँ गुरु मकर से कुम्भ में प्रवेश कर वक्री होकर फिर से मकर राशी में गोचर करेंगे। ग्रहों के इस तरह के विशेष परिस्थिति विश्लेषण के बिना कुछ भी लिख देना, कह देना “दिल रखने को ग़ालिब ख़याल अच्छा है” वाली बात है जो मनोरंजन के लिए अच्छा है !
किसी भी कुंडली में गुरु अस्त हो सकता है, जो पितृ दोष को इंगित करता है मतलब जातक के पिता के चाचा पितृ लोक को प्राप्त नहीं हुए हैं, और शांति कर्म की जरुरत है। इसके आलावा गुरु ग्रहण की अवस्था में हो सकता है मतलब राहू – केतु के अक्ष में। फिर “गिरी हुई अवस्था” में हो सकता है (Fallen Jupiter), इस अवस्था को “शिव दोषम” से जाना गया है। इसके अलावा कुंडली में गुरु नीच का हो सकता है – मतलब पाप योनी। शत्रु राशी में स्थित गुरु, शत्रु ग्रह से युत या दृष्ट गुरु और ग्रह युद्ध में परास्त गुरु – इस तरह की कई अवस्थाएं हैं जिन्हें देखे बिना गोचर का फलादेश करना अँधेरे में तीर चलाने जैसा है। जैसा मैंने पहले कहा, इस तरह के फलादेश को पढ़ कर Entertainment तो होगा, पर इसके आलावा और कुछ नहीं।
Guru gochar 2021 के इस पूरे गोचर में जो ऊपर “गिरी हुई अवस्था” का Period है वो हम सभी के लिए हमारे जीवन में बहुत सावधानीपूर्वक आगे बढ़ने का है। कुण्डली मे ब्रहस्पति जिस भाव का स्वामी है या जीवन के जिस क्षेत्र पर प्रभाव डाल रहा है उससे सम्बंधित क्षेत्रों में समस्याएं आ सकती हैं।
ग्रहों के गोचर का फलादेश कुंडली में ग्रह की स्थिति, लग्न लग्नेश तथा महादशा आदि के गहन अध्ययन के बाद ही किया जा सकता है। इस तरह के विश्लेषण के बाद ही ग्रह शान्ति के उपाय दिए जा सकते हैं जिससे गोचर के दोषों को न्यूनतम किया जा सके।
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