
Saptami Navratri 2016 आठवाँ दिन (सप्तमी तिथि) 08 अक्टूबर शनिवार – माँ कालरात्रि पूजा|
Saptami Navratri 2016 में सप्तमी तिथि 08 अक्टूबर शनिवार को 21:24 तक रहेगी|
माँ कालरात्रि स्वरुप – जगत जननी जगदम्बे का सातवाँ स्वरुप माँ कालरात्रि का है| घने अंधकार की तरह एकदम काला वर्ण, बिखरे केश, कन्ठ में बिजली की तरह चमकने वाली माला, तीन ब्रह्माण्ड की तरह गोल उग्र आँखें और नासिका के श्वास निश्वास से अग्नि ज्वाला निकलते हुए माँ का बड़ा ही विकराल रूप है| गदर्भ – गदहे पर सवार माँ कालरात्रि का ऊपर को उठा दाहिना हाथ वरदान देने वाली वर मुद्रा में है और नीचे का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है| बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा और नीचे वाले हाथ में कटार (खड्ग) सुशोभित है|
Saptami Navratri 2016 नवरात्री के सातवें दिन होती है जिसमे माँ दुर्गा के इस स्वरुप की पूजा अर्चना आराधना से ग्रह बाधाएं दूर होती हैं तथा अग्नि, जल, जीव जंतु, शत्रु और रात्रि भय आदि का नाश हो कर साधक सर्वथा भय मुक्त हो जाता है| तामसिक शक्तियां जैसे भूत, प्रेत, पिशाच, किन्नर, दानव दैत्य आदि माँ कालरात्रि के स्मरण मात्र से भाग जाते हैं| माँ कालरात्रि का रूप देखने में तो भयानक है पर अपने भक्तों का सदा कल्याण करने वाली और शुभ फल देने वाली होने के कारण इन्हें “शुभंकरी” के नाम से भी जाना जाता है|

Saptami Navratri 2016 के दिन माँ कालरात्रि के रूप को मन में स्थिर करके एकनिष्ठ भाव से उपासना करने वाले साधक का मन इस दिन “सहस्रार चक्र” में स्थिर होता है, समस्त पापों और विघ्नों का नाश होकर साधक पुण्य लोक की प्राप्ति करता है|
माँ कालरात्रि दिव्य चरित्र
पुराणों के अनुसार शुम्भ निशुम्भ नामके दो दानवों ने रक्तबीज नामके दैत्य के साथ जब तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया तब समस्त देवतागण शिवजी के पास गए और उनसे इन दानवों के वध की प्रार्थना करी| शिवजी के कहने पर माँ पार्वती ने शुम्भ निशुम्भ का वध किया और जब रक्तबीज को मारा तो वरदान के कारन रक्तबीज के रक्त के एक एक कण से उसके जैसे कई और रक्तबीज निकल पड़े| तब माँ दुर्गा ने अपने तेज से माँ कालरात्रि को उत्पन्न किया| माँ दुर्गा ने अनेकों रक्तबीजों का वध किया और उससे निकले सम्पूर्ण रक्त को माँ कालरात्रि ने अपने मुख में ले लिया, और इस तरह रक्तबीज का अंत हो सका|
ज्योतिष से सम्बन्ध – मान्यता के अनुसार शनि ग्रह माँ कालरात्रि से controlled हैं| आदि शक्ति के इस रूप की पूजा अर्चना आराधना करने से कुंडली में शनि अनुकूल होता है| इस दिन का निर्धारित रंग मोर हरा (Peacock green) है और देवी को रात की रानी पुष्प पसंद है|
Saptami Navratri 2016 नवरात्री के आठवें दिन (सप्तमी तिथि) माँ कालरात्रि पूजा के मन्त्र
वैसे तो देवी महात्यम में, शिवपुराण और शास्त्रों में बहुत से मन्त्र और स्तोत्र हैं पर जैसा की मैं कहता आया हूँ आजकल के इस भाग दौड़ की जिन्दगी में, जहाँ हम लोग समय के पीछे भागते रहते हैं – बहुत लम्बे जाप के लिये समय निकालना मुश्किल हो जाता है| दूसरी अड़चन आती है संस्कृत के उच्चारण की, तो बड़े बड़े स्तोत्र संस्कृत के सही उच्चारण से भाग दौड़ के इस जीवन में पढना मुश्किल हो जाता है| विकल्प के रूप में किसी पंडित या पुरोहित से पूजा करवा लें – ये भी इतना आसान नहीं क्यूंकि इन दिनों में विद्वान् पंडित आसानी से मिलते ही नहीं| वैसे भी अपने जीवन के उत्थान के लिए, अपने जीवन के दुखों को दूर करने के लिए क्यूँ ना हम खुद जगत जननी माँ जगदम्बिके की अराधना करें?
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं आज आपको Saptami Navratri 2016 के लिए माँ कालरात्रि पूजा के कुछ छोटे, आसान पर बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र दे रहा हूँ जिसका बताई गयी संख्या में जाप करें और पूजा संपन्न करें|
माँ भगवती का Saptami Navratri 2016 के दिन पंचोपचार पूजन करें और माँ कालरात्रि के ऊपर बताये गए रूप का ध्यान करें| अब नौ बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः|| (Om Devi Kalaratryai Namah)
इसके बाद निम्न मन्त्र का तीन उच्चारण करें:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता| लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी||
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा| वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी||
(Eka veni Japakarnapura Nagna Kharaasthita
Lamboshthi Karnika-karni Tailabhyakta Sharirini
Vamapaadolla-salloha Lata-kantaka-bhooshana
Vardhan Moordha-dhwaja Krishna Kaalaraatrir-bhayankari)
(पढने में मुश्किल लगे तो देवी के इससे ऊपर वाले छोटे मंत्र पढ़ लें और पूरी श्रद्धा एवं भक्ति से आराधना करें)
फिर निम्न मंत्र का भी तीन उच्चारण करें:
ह्रीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती|
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता||
(Hreem Kaalaraatri Shreem Karaali Cha Kleem Kalyaani Kalaawati
Kaalamata Kalidarpadhni Kamadisha Kupaanvita)
अब नौ बार निम्न मंत्र पढ़ें:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
(Yaa devi sarva bhooteshu maa kaalratri roopen samsthita namastasyai namastasyai namastasyai namo namah)
पूजा के अंत में जाने अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें:
आवाहनम न जानामि न जानामि विसर्जनम|
पूजाम चैव ना जानामि क्षम्यताम परमेश्वरी||
मंत्रहीनम क्रियाहीनम भक्तिहीनम सुरेश्वरी|
यत्पूजितम मया देवी परिपूर्ण तदस्तु में||
मंत्र बोलने में कठिनाई हो तो भाव से क्षमा प्रार्थना करें की हे माँ कालरात्रि रूपेण आद्य शक्ति, हे जगत जननी माँ दुर्गा परमेश्वरी, जाने अनजाने में अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो मुझे क्षमा करें, मेरी पूजा स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करें| मुझ पर और मेरे परिवार पर सदा कृपा दृष्टि रखें|
जैसा मैं अपने हर article में कहता हूँ – पूजा या किसी भी भगवत सेवा, पूजा आराधना में भाव सबसे महत्वपूर्ण है, भाव से की जाने वाली पूजा ही देव को सबसे ज्यादा प्रिय है| पूरे मन से, भाव से और विश्वास से माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना आराधना करें, अपने शनि को सशक्त करें और जीवन में उन्नति करें| जय माता दी|

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