Shardiya Navratri 2016 पहला दिन 01 अक्टूबर शनिवार – माँ शैलपुत्री की पूजा|
Shardiya Navratri 2016 को प्रतिपदा तिथि 01 अक्टूबर 05:41 से शुरू होकर 02 अक्टूबर 07:45 तक रहेगी|
माँ शैलपुत्री का स्वरुप – Shardiya Navratri 2016 की पहली नवरात्री में माँ शैलपुत्री की पूजा होती है| माँ शैलपुत्री का अद्भुत सुन्दर रूप बैल पर सवार (इसीलिये इन्हें “वृषारुढ़ा” भी कहा जाता है) एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल धारण किये है| इन्हें हेमावती और और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है|
माँ शैलपुत्री का दिव्य चरित्र
शैलपुत्री माँ दुर्गा का पहला रूप है| शास्त्रों के अनुसार दक्ष प्रजापति की पुत्री और शिव पत्नी देवी सती ने जब दक्ष महायज्ञ में आत्मदाह किया, उसके बाद पार्वती ने पर्वतराज हिमालय हिमवान के घर उसकी पुत्री के रूप में जन्म लिया| संस्कृत में पर्वत को शैल कहा जाता है और पर्वतराज की पुत्री होने के कारण देवी शैलपुत्री कहलाईं|हिमालय पुत्री होने की वजह से, शैलपुत्री प्रकृति स्वरूपा हैं और सर्व चराचर जगत, मनुष्य, वनस्पति, कीट आदि की देवी हैं जिनके मस्तक पर अर्ध चन्द्र सुशोभित हैं| सप्तधान्य को मिटटी (पृथ्वी तत्व) में बो कर शैलपुत्री की पहली नवरात्री पूजा उनके प्रकृति के सम्बन्ध को दर्शाता है|
ज्योतिष से सम्बन्ध – ऐसा माना जाता है की चन्द्र ग्रह शैलपुत्री से शासित हैं और आदि शक्ति के इस रूप की पूजा अर्चना आराधना करने से कुंडली में चंद्रमा के दुष्प्रभाव का निवारण होता है| इस दिन का निर्धारित रंग भूरा है और देवी का पसंदीदा पुष्प है चमेली या Jasmine.
Shardiya Navratri 2016 के पहले दिन शैलपुत्री पूजा के मन्त्र
वैसे तो देवी महात्यम में, शिवपुराण और शास्त्रों में बहुत से मन्त्र और स्तोत्र हैं पर जैसा की मैं कहता आया हूँ आजकल के इस भाग दौड़ की जिन्दगी में, जहाँ हम लोग समय के पीछे भागते रहते हैं – बहुत लम्बे जाप के लिये समय निकालना मुश्किल हो जाता है| दूसरी अड़चन आती है संस्कृत के उच्चारण की, तो बड़े बड़े स्तोत्र संस्कृत में सही उच्चारण में भाग दौड़ के इस जीवन में पढना – तो भई पंडित को बुला लो और करवा लो !! वो भी आजकल आसान नहीं है| तो क्या करें?
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं आज आपको Shardiya Navratri 2016 में शैलपुत्री पूजा के कुछ छोटे, आसान पर बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र दे रहा हूँ जिसका बताई गयी संख्या में जाप करें और पूजा संपन्न करें|
Shardiya Navratri 2016 में कलश स्थापना के बाद माँ भगवती की फोटो या मूर्ति कलश के पीछे रखें, पंचोपचार पूजा करें और माँ शैलपुत्री के ऊपर बताये गए रूप का ध्यान करें| अब नौ बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः|| (Om Devi shailputryai namah)
इसके बाद निम्न मन्त्र का तीन उच्चारण करें:
वन्दे वाञ्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम| वृषारूढाम शूलधराम शैलपुत्रीम यशस्विनीम||
(Vande vaanchhit laabhaay chandraardh krit shekharaam vrishaaroodhaam shooldharaam shailputreem yashaswineem)
अब नौ बार निम्न मंत्र पढ़ें:
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
(Yaa devi sarva bhooteshu maa shailputri roopen samsthita namastasyai namastasyai namastasyai namo namah)
पूजा के अंत में जाने अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें:
आवाहनम न जानामि न जानामि विसर्जनम| पूजाम चैव ना जानामि क्षम्यताम परमेश्वरी|| मंत्रहीनम क्रियाहीनम भक्तिहीनम सुरेश्वरी| यत्पूजितम मया देवी परिपूर्ण तदस्तु में ||
मंत्र बोलने में कठिनाई हो तो भाव से क्षमा प्रार्थना करें की हे माँ शैलपुत्री रूपेण आद्य शक्ति, हे जगत जननी माँ दुर्गा परमेश्वरी, जाने अनजाने में अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो मुझे क्षमा करें, मेरी पूजा स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करें| मुझ पर और मेरे परिवार पर सदा कृपा दृष्टि रखें|
जैसा मैं अपने हर article में कहता हूँ – पूजा या किसी भी भगवत सेवा में भाव सबसे महत्वपूर्ण है, भाव से की जाने वाली पूजा ही देव को सबसे ज्यादा प्रिय है|
पूरे मन से, भाव से और विश्वास से माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना आराधना करें, अपने चन्द्र को अनुकूल बनायें और जीवन में उन्नति करें| जय माता दी|
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