Hindu नववर्ष की पहली एकादशी “कामदा एकादशी” (Kamda Ekadashi) है जो शुक्रवार 23 अप्रैल 2021 को पड़ रही है। ये Ekadashi 2021 की खास एकादशी है जो बहुत महत्वपूर्ण भी है। वैसे तो व्रत उपवास को हर धर्म एवं प्रदेश में बहुत मान्यता दी गयी है, पर हमारे यहाँ व्रत उपवास को “तप” या तपस्या की श्रेणी में रखा गया है।
नारद पुराण में व्रत महात्म्य में कहा गया है की – तीर्थों में सर्वोपरि गंगा है मतलब गंगा के समान कोई अन्य तीर्थ नहीं, गुरुओं में सर्वोपरि माँ है, मतलब माँ के समान अन्य कोई गुरु नहीं, देवताओं में विष्णु सर्वोपरि हैं, मतलब विष्णु भगवान् जैसा कोई देव नहीं और व्रत उपवास जैसा कोई तप नहीं मतलब व्रत एवं उपवास के जैसी कोई तपस्या नहीं।
कुछ व्रत बहुत खास होते हैं और मोक्ष एवं काम्य दोनों की प्राप्ति के लिए किये जाते हैं। जो व्रत बिना किसी फल की इच्छा के किया जाता है, निष्काम किया जाता है उसे “नित्य व्रत” कहते है जो साधक को माक्ष की तरफ ले जाते हैं। जो व्रत किसी फल की इच्छा से – जैसे संतान प्राप्ति, ऐश्वर्य के लिए, रोग दोष निवारण आदि के लिए किया जाता है उसे “काम्य व्रत” लहते हैं।
Ekadashi 2021 में ऐसा ही एक व्रत है “कामदा एकादशी” व्रत जिसका अर्थ ही मनो कामना पूर्ण करना है। यदि स्वास्थ्य अनुमति देता है तो यह एक बहुत ही उत्तम व्रत है जो साधक की मनो कामना पूर्ण करने के लिए सक्षम है। शास्त्र के अनुसार ब्रह्म ह्त्या जैसा जघन्य पाप/अपराध तक कामदा एकादशी व्रत से माफ़ हो जाता है!
Ekadashi 2021 vrat कैसे करें?
दशमी के दिन अर्थात Ekadashi 2021 के एक दिन पहले व्रत रखने वाले को मांस, मदिरा, प्याज, मसूर दाल या किसी भी प्रकार के उत्तेजक खाद्य का सेवन वर्जित है, हो सके तो इस दिन एक समय सात्विक भोजन लेना चाहिए ताकि व्रत के दिन पेट में अपच्य भोजन व्यवधान ना करे।
Ekadashi 2021 के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर हो सके तो मंदिर जा कर (वैसे आज कल से इस महामारी के दौर में मंदिर या धर्म स्थान पर जाना संभव नहीं है।) या अपने घर के पूजा स्थान पर दीप धूप आदि प्रज्वलित कर संकल्प लें। इसके लिए सीधे हाथ की तर्जनी ऊँगली के उपरी भाग को मोड़ कर अंगूठे के अग्र भाग से मिला कर हथेली में एक गड्ढा से बना कर जल लें और प्रण करें की आज का दिन बहुत संयम से बिताएंगे, अनावश्यक बात न करेंगे ना ही अनावश्यक संगति करेंगे, जितना हो सके मौन रह कर मानस जाप करते रहेंगे।
भगवान् विष्णु का ध्यान करते हुए प्रार्थना करें की आपका व्रत निर्विघ्न पूरा हो, आपको शक्ति दें की अन्नाहार के बिना आप अगले दिन तक सुबह तक प्रभु समरण में बिताएंगे और सुबह पारण कर व्रत संपन्न करेंगे। फिर अपने उद्देश्य का स्मरण करें की हे प्रभु, ये व्रत अमुक उद्देश्य पूर्ति के लिए है, मेरे इच्छित फल को शीघ्र प्रदान करें।
व्रत के दिन अन्नाहार नहीं करना चाहिए, नाही किसी के द्वारा दिया गया भोजन खाना चाहिए। फलाहार करें, सूखे मेवे, दूध व दूध से बनी वस्तुओं का सेवन कर सकते हैं। जो भी भोजन लें, प्रभु अर्पण कर, तुलसी का पत्ता चढ़ा कर ग्रहण करें। इसके लिए दशमी के दिन ही कुछ तुलसी दल तोड़ कर रख लें क्यूंकि एकादशी के दिन पेड़ पोधों से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, गिरे हुए ले सकते हैं।
Ekadashi 2021 के दिन हो सके तो गीता पारायण करें या विष्णु सहस्र नाम का पाठ करते रहें। और कुछ ना हो सके तो विष्णु द्वादश मन्त्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करते रहें। जितना हो सके, मौन रहें।
Ekadashi 2021 पारण विधि
Ekadashi 2021 पारणा समय : 24 अप्रैल 2021 को सुबह 05:47 से 08:24.
द्वादशी यानी अगले दिन स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थान पर दीप धूप पुष्प फल मिठाई आदि प्रभु को अर्पित कर ब्राहमण को भोजन कराया जाता है। आज कल से इस महामारी के समय पर ये सम्भव नहीं है तो ब्राहमण के लिए भोजन का कुछ कच्चा सामान उठा कर संकल्प के साथ अलग रख दें की पहले अवसर पर ये ब्राह्मण को दान कर दिया जायेगा। हालाँकि शास्त्रोक्त देखा जाये तो पुरोहित/ब्राहमण के सान्निध्य में (देख रेख) में विधि विधान से षोडशोपचार पूजा, कई तरह के चढ़ावे, हवन आदि का विधान है पर देश काल पात्र एवं आज कल के इस महामारी के चलते ये संभव नहीं हो सकता, इसलिए स्वयं यथा शक्ति, पर पूरे भाव से, विश्वास से और आस्था से उपासना करें, प्रार्थना करें और जैसा बन पड़े, पूजा उपासना करें।
इसके बाद जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें, व्रत सफलता पूर्वक संपन्न करने के लिए धन्यवाद करें और प्रसाद ग्रहण कर भोजन करें।
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