ज्योतिष में समय पर या जल्दी विवाह के क्या combinations हैं? समय पर विवाह होगा की नहीं, किस तरह देखा जाये?
What is early marriage yoga? – विवाह से सम्बन्धित ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर शादी के इच्छुक लोग या शादी लायक बच्चों के parents आमतौर पर जानना चाहते हैं|
विवाह के लिए मुख्यतः सप्तम भाव और सप्तमेश को देखा जाता है| पुरुष जातक में शुक्र और स्त्री जातक में ब्रहस्पति life पार्टनर के कारक हैं|
स्त्री जातक में सप्तम भाव के साथ अष्टम भाव के गहन अध्ययन की जरुरत रहती है क्यूंकि स्त्री जातक में अष्टम भाव मांगल्य भाव है|
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उपरोक्त भावों और उनके स्वामियों के अलावा दूसरा भाव, चौथा भाव, पंचम भाव और बारहवें भाव और उनके स्वामियों के अध्ययन की आवश्यकता रहती है क्यूंकि ये सभी भाव विवाह से सम्बन्ध रखते हैं|
दूसरा भाव कुटुंब भाव है| कुटुंब वृद्धि, family life में adjustment और शादी के बाद धन संपत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य और ख़ुशी आदि यही से decide होता है| चतुर्थ भाव पारिवारिक एवं घरेलू ऐश्वर्य, ख़ुशी, स्त्री जातक में चारित्र और पति से एकदिली तथा मिलन दिखाता है|
पंचम भाव संतान और संतान से मिलने वाली ख़ुशी का भाव है| बारहवें भाव के कारकत्व में शयन सुख (bed pleasures) आता है|
विवाह से सम्बंधित भावों के बाद आइये अब देखते हैं समय से या early marriage yoga के क्या astrological combinations हैं| कुंडली में यदि ये संयोग हों तो समय से शादी के लक्षण बनते हैं|
Early marriage yoga लग्न से सम्बंधित
- लग्नेश (लग्न या ascendant का स्वामी) और सप्तमेश (सप्तम भाव का स्वामी) में आपसी स्थान परिवर्तन (exchange)
- सप्तमेश लग्न में स्थित होना|
- लग्नेश, सप्तमेश और द्वितीयेश (दूसरे भाव का स्वामी) वर्ग charts बली होना strong early marriage yoga है|
- लग्नेश और सप्तमेश कुंडली में आपस में 3/11 या 5/9 की स्थिति में स्थित|
- लग्नेश और सप्तमेश एक साथ स्थित हों|
- सप्तम भाव में शुभ ग्रह स्थित हों और सप्तमेश बली हो|
- कुडंली का सप्तम भाव वर्ग चार्ट – द्रेशकोण (D-3), नवांश (D-9) और द्वादशाम्श (D-12) – में शुभ राशी में स्थित होना|
- लग्न या सप्तम भाव संधि के निकट शुभ ग्रहों का होना|
- लग्न में, दूसरे और सप्तम भाव में शुभ ग्रहों का होना या इन भावों का शुभ ग्रहों से दृष्ट होना और इन भावों के स्वामियों पर शुभ ग्रहों का प्रभाव|
Early marriage yoga शुक्र से सम्बंधित
- मेष या वृश्चिक लग्न में शुक्र का दूसरे भाव में स्थित होना|
- कुंडली में शुक्र का शक्तिशाली होना strong early marriage yoga है|
- ब्रहस्पति और चन्द्र या शुक्र और चन्द्र दोनों लग्न में, पंचम भाव में, दशम या ग्यारहवें भाव में एक साथ स्थित होना|
- लग्नेश सप्तम में और शुक्र लग्न में स्थित होना|
- शुक्र का लग्न में बलशाली होना|
- कुंडली में बुध सप्तम में और शुक्र का सप्तमेश (सातवें भाव के स्वामी) के साथ स्थित होना|
- शुक्र – चन्द्र का वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु या मीन राशी में इकट्ठे बैठना या सप्तम भाव का इनमे से किसी भी राशी में होना|
Early marriage yoga दूसरे, सातवें और ग्यारहवें भाव से सम्बंधित
- सप्तम भाव का स्वामी ग्यारहवें भाव में और शुक्र का दुसरे भाव में स्थित होना|
- दूसरे, सातवें और ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रहों का स्थित होना या इन भावों से शुभ ग्रहों से दृष्ट होना|
- लग्नेश दशम भाव में और द्वितीयेश (दूसरे भाव का स्वामी) ग्यारहवें भाव में स्थित होना|
- लग्नेश और एकादशेश (ग्यारहवें भाव का स्वामी) का आपस में स्थान परिवर्तन (exchange)
- द्वितीयेश (दूसरे भाव का स्वामी) और सप्तमेश (सप्तम भाव का स्वामी) इकट्ठे ग्यारहवें भाव में स्थित होना|
- सप्तम भाव को शुभ ग्रहों की दृष्टि और सप्तम में अशुभ ग्रहों का ना होना और ना ही अशुभ ग्रहों से दृष्ट होना|
- सप्तम भाव का रिक्त होना यानी किसी भी ग्रह का ना होना|
- सप्तमेश का उच्च स्थिति (exalted) होना, अपनी ही राशी में होना या मित्र राशी में होना strong early marriage yoga है|
- सप्तमेश के अगले या पिछले भावों में अशुभ ग्रहों का ना होना मतलब सप्तमेश का शुभ-कर्त्री योग में होना, यानी सप्तमेश के आगे और पीछे शुभ ग्रहों का स्थित होना|
- लग्न का बलशाली होना, लग्न के दोनों तरफ अशुभ ग्रहों का ना होना, लग्न में पाप ग्रहों का ना होना और लग्न को अशुभ ग्रहों की दृष्टि ना होना|
- सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश का शुक्र के साथ स्थित होना और/या पंचम भाव या नवम भाव में स्थित होना|
- शुक्र उच्च (exalted) स्थिति में होना, अपनी राशी में होना, शुभ ग्रहों के साथ स्थित होना या शुक्र का शुभ भावों में स्थित होना|
- लग्नेश, द्वितीयेश और चन्द्र का शुभ स्थिति में रहना और/या शुभ ग्रहों से दृष्ट होना|
- दूसरे, सातवें और ग्यारहवें भाव के स्वामियों को ब्रहस्पति की दृष्टि या इनका केंद्र या त्रिकोण भावों में बैठना|
उपरोक्त कोई भी combination कुंडली में उपस्थित हो तो शादी समय पर होगी|
विवाह से सम्बंधित problems के लिए मांगल्य गणपति set की स्थापना कर, विधिवत पूजा अर्चना आराधना करने से शादी के विलम्ब का निवारण किया जा सकता है| गणपति का किसी भी मांगल्य कार्य से गहरा सम्बन्ध है| इस मांगल्य गणपति set को प्राकृतिक सुपारी और प्राकृतिक हल्दी में निर्मित और अभिमंत्रित किया गया है|
साबुत सुपारी का इतना महत्व है की हवन आदि में यदि गणपति विग्रह ना मिले तो सिर्फ साबुत सुपारी में गणपति आवाहन से हवन किया जा सकता है| सभी धार्मिक कार्यों में हल्दी का भी बहुत महत्व है| दक्षिण भारत में सिर्फ हल्दी की गाँठ को मंगल सूत्र की तरह धारण किया जाता है| स्त्री मांगल्य का हल्दी से इतना गहरा सम्बन्ध है|
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