श्राद्ध क्यों किये जाते हैं? श्राद्ध का क्या महत्व है? Pitru Paksh के आलावा भी क्या पूर्वजों के लिए तर्पण कर सकते हैं? क्या पुरोहित के द्वारा ही तर्पण किया जा सकता है?
ये कुछ प्रश्न pitru paksh से related जो आमतौर पर पूछे जाते हैं| तो आइये आज बात करते हैं Amavasya shradh की| अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्र एक साथ होते हैं – सूर्य आत्मकारक हैं और चन्द्र पोषण के कारक| पञ्च महाभूत – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – इनका प्रभाव उस दिन भूलोक पर खास होता है| और उस दिन जल तत्व के द्वारा हम अपने पूर्वजों को भोग से संतुष्ट कर सकते हैं| पितृ लोक चंद्रमा के ठीक ऊपर अनदेखा लोक है जो अमावस्या के दिन सूर्य चन्द्र के सामीप्य से लौकिक हो उठता है|
ऐसे खास दिनों में जब आत्मकारक सूर्य शक्तिशाली हों, अपने पूर्वजों की आत्माओं से जुड़ना बहुत शुभ होता है| ऐसे ख़ास दिनों में तर्पण से संतुष्ट होकर पूर्वज अपने वंशज को भरपूर आशीर्वाद देता हैं| और पूर्वजों के आशीर्वाद के बिना जीवन में शुभ फलों का मिलना बड़ा मुश्किल होता है|
ऐसा ही एक खास दिन आ रहा है इस वर्ष| 27 जनवरी 2017 बड़ा खास दिन है| वो इसलिए की इस नववर्ष की ये पहली अमावस्या तो है ही, खास बात ये है की सूर्य के उत्तरायण में होने के बाद की ये पहली अमावस्या है| उत्तरायण का सूर्य सबसे शुभ और शक्तिशाली माना जाता है|
इस amavasya shradh के दिन सूर्य और चंद्रमा शनि राशी मकर में रहेंगे| साथ ही नक्षत्र परिवर्तन भी होगा – यानी सूर्य चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण में चंद्रमा सूर्य के नक्षत्र उत्तराषाढ़ा में रहेंगे| इस amavasya shradh के दिन इन प्रकाशीय पिंडों के combination को ज्योतिष के सबसे शुभ, उदार और जीवकारक ग्रह – ब्रहस्पति दृष्टि देंगे| तो ये combination इस दिन को अपने पूर्वजों से आशीर्वाद के लिए उत्तम दिन बनाता है|
Amavasya shradh किसी पुण्य तीर्थ पर किया जा सकता है| ये तर्पणम किसी पुरोहित से भी कराया जा सकता है| पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए सबसे अच्छा है अपने हाथों से तर्पणम करना|
पितृ तर्पण आप बड़े ही सरल रीति से स्वयम अपने घर पर ही कर सकते हैं| पितृ तर्पण की अति सरल विधि यहाँ पढ़ें:
Tarpanam in Hindi – पितृ तर्पण स्वयं करें
Amavasaya shradh के दिन किया गया shradh पितरों को पितृ लोकों से आगे जाने में सहायक होते हैं| अपने वंशज के हाथों जल और तिल के रूप में अन्न की प्राणशक्ति ग्रहण कर पितृ देव संतुष्ट होकर अपनी यात्रा में विभिन्न लोकों को पार कर मुक्ति को प्राप्त होते हैं| और जब वे इस तर्पण से मुक्ति की और अग्रसर होते हैं तो अपने वंशज व उसके परिवार को अपना आशीर्वाद देकर जाते हैं|
इस दिन गाय को अपने हाथों से खिलाना भी अति शुभ है| हमारी मान्यता के अनुसार गौ माता में देवी देवताओं और पितरों का का निवास रहता है| कोई भी हरा चारा जैसे पालक, खीरा आदि या रोटी और गुड गाय को खिलाएं, आपके पितुगण शांत होंगे और आप उनके आशीर्वाद के भागी बनेंगे|
इस दिन किसी असहाय या किसी गरीब विशेकर वृद्ध जनों को खाना खिलाना भी अति उत्तम है| यदि आप खुद ना खिला सकें तो किसी अन्नक्षेत्र में यथाशक्ति दान दें, जिससे की आपका दान गरीबों के भोजन में काम आ सके| कई दक्षिण भारतीय मंदिरों में आपको “अन्नदान” की हुंडी रखी मिलेगी, ऐसे किसी मंदिर की अन्नदान हुंडी में भी आप यथाशक्ति अपना योगदान डाल सकते हैं|
तो इस Amavasya shradh के दिन अपने पूर्वजों के लिए तर्पणम करें और महा पुण्य के भागी बनें| आपके श्राद्ध से संतुष्ट पितृ गण जब अपने आत्मा की यात्रा में आगे बढ़ेंगे तो उनका आशीर्वाद आपके जीवन के कई कष्टों का निवारण कर जीवन में उन्नति और खुशियाँ देगा|
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