Navratre 2016 Shashthi puja सातवाँ दिन (षष्ठी तिथि) 07 अक्टूबर शुक्रवार – माँ कात्यायिनी पूजा|
Navratre 2016 में षष्ठी तिथि 07 अक्टूबर शुक्रवार को 19:41 तक रहेगी| सरस्वती पूजा का पहला दिन – आवाहन मुहूर्त 15:37 से 17:56
माँ कात्यायिनी स्वरुप – भव्य तेजस्वी बब्बर शेर पर सवार माँ कात्यायिनी का अतिसुन्दर रूप चार भुजाओं वाला है| युद्ध के लिए तैय्यार रूप में भी माँ भक्तों के लिए अत्यंत शांत और तेज से भरी हैं| भव्य और दिव्य रूप में माँ का वर्ण स्वर्ण में सामान चमकीला है| माँ कात्यायिनी के इस विग्रह का दाहिना उपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा दाहिना नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है मतलब माँ रक्ष करते हुए आश्रय भी देती हैं और वरदान भी| बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है|
Navratre 2016 Shashthi puja में नवरात्री के छठे दिन आद्य शक्ति के इस रूप की आराधना से रोग, शोक, संताप, भय और दारिद्र का नाश होता है| अमोघ फलदायिनी माँ कात्यायिनी के उपासना से उपासक को सरलता से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है| अनेक जन्मों के पापों से मुक्ति पाने का कलियुग में सबसे सरल मार्ग है माँ के इस रूप की अर्चना, आराधना और माँ के चरणों में पूर्ण समर्पण|
Navratre 2016 Shashthi puja के इस दिन माँ के चरणों में सर्वस्व अर्पण कर जो साधक एकाग्रचित माँ की उपासना करता है उसका चित्त योगसाधना के सबसे महत्वपूर्ण चक्र “आज्ञा चक्र” में स्थित होता है|
माँ कात्यायिनी दिव्य चरित्र
दानवराज महिषासुर और उसके दो अन्य खौफनाक राक्षस चंड तथा मुंड के आतंक और उपद्रव से पृथ्वी और देवलोक में हाहाकार मच गया तब समस्त देवगण ब्रह्मा, विष्णु, महेश के शरण में सहायता के लिये गए|| तब ब्रह्मा विष्णु महेश ने अपने अपने तेज से सहस्र सूर्य के समान तेजस्वी देवी को उत्पन्न किया जिनको सब देवगणों ने अनेक शस्त्रों से सुसज्जित किया| महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की जिससे ये देवी कात्यायिनी कहलायीं|
चंड मुंड इनके रूप से मोहित हो गए और अपने राजा महिषासुर देवी के अद्भुत रूप के बारे में बताया| महिषासुर ने दोनों को देवी के पास विवाह निमंत्रण के साथ भेजा जिसपर देवी ने कहा की उनकी प्रतिज्ञा है की जो कोई भी संग्राम में उन्हें पराजित आकर दे, उसीसे विवाह करेंगी| महिषासुर ये सुन आगबबूला हो अपनी सेना के साथ युद्ध के लिए आया| माँ ने युद्ध में अनेक योद्धाओं का मारकर अंत में अपने बब्बर शेर से उठीं और महिषासुर अपने पैर से दबा कर उसे भी मृत्यु लोक पहुंचा दिया|
एक और मान्यता के अनुसार महर्षि कात्यायन ने बड़ी कठिन तपस्या वर लिया की माँ भगवती उनके घर पुत्रिरूप में जन्म लें| माँ भगवती ने वर देकर कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायिनी कहलायीं| आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी – तीन दिन कत्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था|
ज्योतिष से सम्बन्ध –ऐसी मान्यता है ब्रहस्पति ग्रह कात्यायिनी माँ से controlled हैं| Navratre 2016 में आदि शक्ति के इस रूप की पूजा अर्चना आराधना करने से कुंडली में गुरु अनुकूल होता है| इस दिन का निर्धारित रंग हरा है और देवी लाल रंग के पुष्प खासकर गुलाब पसंद हैं|
Navratre 2016 Shashthi puja – सातवें दिन (षष्ठी तिथि) माँ कात्यायिनी पूजा के मन्त्र
वैसे तो देवी महात्यम में, शिवपुराण और शास्त्रों में बहुत से मन्त्र और स्तोत्र हैं पर जैसा की मैं कहता आया हूँ आजकल के इस भाग दौड़ की जिन्दगी में, जहाँ हम लोग समय के पीछे भागते रहते हैं – बहुत लम्बे जाप के लिये समय निकालना मुश्किल हो जाता है| दूसरी अड़चन आती है संस्कृत के उच्चारण की, तो बड़े बड़े स्तोत्र संस्कृत के सही उच्चारण से भाग दौड़ के इस जीवन में पढना मुश्किल हो जाता है| विकल्प के रूप में किसी पंडित या पुरोहित से पूजा करवा लें – ये भी इतना आसान नहीं क्यूंकि इन दिनों में विद्वान् पंडित आसानी से मिलते ही नहीं| वैसे भी अपने जीवन के उत्थान के लिए, अपने जीवन के दुखों को दूर करने के लिए क्यूँ ना हम खुद जगत जननी माँ जगदम्बिके की अराधना करें?
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं आज आपको Navratre 2016 षष्ठी पूजा के लिए माँ कात्यायिनी पूजा के कुछ छोटे, आसान पर बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र दे रहा हूँ जिसका बताई गयी संख्या में जाप करें और पूजा संपन्न करें|
माँ भगवती का पंचोपचार पूजन करें और माँ कात्यायिनी के ऊपर बताये गए रूप का ध्यान करें| अब नौ बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः|| (Om Devi Katyayanyai Namah)
इसके बाद निम्न मन्त्र का तीन उच्चारण करें:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना| कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी||
(Chandrahasojjvalakara Shardulavaravahana
Katyayani Shubham Dadyad Devi Danavaghatin)
फिर निम्न मंत्र का भी तीन उच्चारण करें:
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्|
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्||
(Vande Vanchhita Manorathaarth Chandrardh-krita-shekharam
Simhaaroodha Chaturbhuja Katyaayani Yashasvinim)
अब नौ बार निम्न मंत्र पढ़ें:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायिनी रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
(Yaa devi sarva bhooteshu maa kaatyaayini roopen samsthita namastasyai namastasyai namastasyai namo namah)
पूजा के अंत में जाने अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें:
आवाहनम न जानामि न जानामि विसर्जनम| पूजाम चैव ना जानामि क्षम्यताम परमेश्वरी|| मंत्रहीनम क्रियाहीनम भक्तिहीनम सुरेश्वरी| यत्पूजितम मया देवी परिपूर्ण तदस्तु में||
मंत्र बोलने में कठिनाई हो तो भाव से क्षमा प्रार्थना करें की हे माँ कात्यायिनी रूपेण आद्य शक्ति, हे जगत जननी माँ दुर्गा परमेश्वरी, जाने अनजाने में अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो मुझे क्षमा करें, मेरी पूजा स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करें| मुझ पर और मेरे परिवार पर सदा कृपा दृष्टि रखें|
जैसा मैं अपने हर article में कहता हूँ – पूजा या किसी भी भगवत सेवा, पूजा आराधना में भाव सबसे महत्वपूर्ण है, भाव से की जाने वाली पूजा ही देव को सबसे ज्यादा प्रिय है| पूरे मन से, भाव से और विश्वास से Navratri 2016 Shashthi puja को माँ कात्यायिनी की पूजा अर्चना आराधना करें, अपने ब्रहस्पति को सशक्त करें और जीवन में उन्नति करें| जय माता दी|
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