Dussehra 2016 – इस साल दशहरा तथा विजयदशमी इतनी खास क्यों है? Dussehra 2016 इस वर्ष 11 अक्टूबर को है| दशहरा या विजयदशमी वैसे तो हर साल ही खास होता है क्यूंकि मान्यता है की नवरात्रों के नौ दिन रात्रि युद्ध के बाद माँ दुर्गा ने महिषासुर को इस दिन मारा था और इसी दिन को विजयोल्लास के रूप में मनाया गया| साथ ही यह दिन भगवान् श्रीराम के विजयोल्लास का भी दिन है जब राम ने राम-रावण युद्ध में इस दिन रावण को मौत के घाट उतारा था| Hindu Festival Dussehra को Dasara, Dashera या Dussera के नाम से भी जाना जाता है|
दशहरा हर वर्ष हम लोग बड़े धूम धाम से मनाते हैं| रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के पुतले हर वर्ष जलाए जाते है| Durga Puja Festival भी हम लोग खूब धूम धाम मनाते हैं| पर क्या सही मायनों में हम इन त्यौहारों का सही अर्थ समझते हैं? Dussehra 2016 की खासियत समझने से पहले आइये आज समझते हैं की सही मायनों में Dussehra और Vijayadashami का exactly मतलब क्या है?
Dussehra व Vijayadashami का शब्दार्थ तथा भावार्थ|
दशहरा शब्द संस्कृत के दो अक्षरों से बना है – दश + हारा| रावण का एक नाम दशानन भी है मतलब दस सिरों वाला – और दशानन की हार दशहरा बनी| इसे हम और दृष्टिकोण से देखें तो अच्छाई पर बुराई की विजय के रूप में देख सकते हैं – कैसे? दशानन मतलब दस सिरों वाला| हर एक सर को मानव जीवन की एक एक बुराई से जोड़ा जा सकता है – काम, क्रोध, लोभ, मोह, लालच, गर्व, ईर्ष्या, स्वार्थ, अन्याय और अहंकार – और असली दशहरा है इन दसों सिरों को काटना| हमारी इन बुराईयों पर विजय ही सही मायनों में दशहरा है|
विजयदशमी भी दो अक्षरों का संयोजन है – विजय मतलब विजय, जीत और दशमी मतलब दसवीं| संयुक्त शब्द का मतलब दसवें दिन विजय -Shardiya Navratri के बाद दशमी के दिन का विजय उत्सव| नवरात्री के एक एक दिन माँ जगदम्बे का एक एक रूप है जो हमारे जीवन के एक एक पहलू को प्रभावित करता है| जिस तरह माँ के एक एक रूप ने एक एक दिन तपस्या में या रण में एक एक विजय प्राप्त किया उसी तरह हमें भी एक एक करके अपने अन्दर के दैत्यों का नाश करना है|
Dussehra 2016 की क्या खासियत है?
सबसे पहली बात इस साल Shardiya Navratri पूरे दस दिन की है और इस दस दिनों के बाद ग्यारहवें दिन Dussehra या Vijayadashami है| प्रतिपदा तिथि दो दिन तक विस्तृत होने के कारण इस वर्ष नवरात्री दस दिन रहने के बाद 11 अक्टूबर 2016 को Dussehra या Vijayadashami है|
11 अक्टूबर 2016 का दिन ज्योतिष के दृष्टिकोण से खास है| इस दिन चंद्रमा शनि की राशी मकर में अपने ही नक्षत्र श्रवण में रहेंगे| श्रवण सरस्वती देवी का जन्म नक्षत्र है| श्रवण नक्षत्र से ही श्रवण कला या सुनने की कला, शिक्षा और श्रवण शक्ति से सीखने की क्रिया याने की audible education की उत्पत्ति हुई है|
विद्या की देवी सरस्वती के जन्म नक्षत्र होने की वजह से श्रवण नक्षत्र शास्त्रों के ज्ञान का, शिक्षा कौशल का, पांडित्य एवं विद्वत्ता आदि का द्योतक है| महान शिक्षाविद, ज्ञानी और बड़े बड़े वक्ता जिन्हें दुनिया सुनती है वे सब श्रवण नक्षत्र से प्रभावित रहते हैं|
एक और खासियत है इस दिन की – Dussehra 2016, 11 अक्टूबर को श्रवण नक्षत्र में स्थित चन्द्र ज्योतिष के दो सबसे महत्वपूर्ण गहों – ब्रहस्पति और शनि से दृष्ट रहेंगे जो इस दिन को अध्यात्मिक उर्जा देंगे| समस्त ग्रह इस दिन राहू और केतु के मध्य रहेंगे और इनका काफी डिग्री सामीप्य भी रहेगा – ब्रहस्पति और बुध 1 डिग्री के अन्दर, मंगल और चन्द्र 1 डिग्री के अन्दर तथा शनि-राहू-केतु 1 डिग्री के अन्दर रहते हुए “ग्रह मालिका” बनायेंगे|
Dussehra 2016 के दिन ये जो उपरोक्त ग्रह स्थिति है ये एक बहुत strong अध्यात्मिक उर्जा को दर्शा रही है| इस दिन माँ चंडी देवी के जाप, दुर्गा सप्तश्लोकी जाप और जगदम्बे की पूजा अर्चना अराधना करें और अपने अन्दर के असुरों का – बुराइयों का अंत करने का प्रण लें|
इस शुभ दिन के energy का पूरा लाभ उठाएं, सम्पूर्ण समर्पण भाव से माँ जगदम्बे जगत जननी का ध्यान करें और हमारे अन्दर काम, क्रोध, लोभ, मोह, लालच, गर्व, ईर्ष्या, स्वार्थ, अन्याय और अहंकार रूप में घात लगाये बैठे दशानन का अंत करने की प्रार्थना करें|
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